Saturday, 31 August 2024

अवनी लखेरा:द गोल्डन गर्ल

 



साल 2021 के ओलम्पिक खेलों को याद कीजिए। टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ी पदकों को हासिल करने में हांफ रहे थे। वे अपने पदकों की गिनती बमुश्किल सात तक ले जा पाए थे। लेकिन इसकी भरपाई की हमारे पैरा एथलीटों ने। टोक्यो ओलम्पिक के तुरंत बाद टोक्यो में ही पैरा ओलम्पिक खेल हुए। इन खेलों में भारत ने कुल 19 पदक जीते थे। 05 स्वर्ण,08 रजत और 06 कांस्य। ये हमारे पैरा खिलाड़ियों का असाधारण प्रदर्शन था।

इन्हीं पदक विजेताओं में एक थीं अवनी लखेरा। वे निशानेबाजी प्रतियोगिता में भाग ले रही थीं। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था। वे पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर थीं। इसके अलावा उन्होंने 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में कांस्य पदक भी जीता था।

2021 से 2024 तक तीन साल लंबा वक्त बीत चुका है। खेल टोक्यो से पेरिस तक की हजारों किलोमीटर लंबी यात्रा कर चुके हैं। इस बीच अगर कुछ नहीं बदला तो अवनी लखेरा का शूटिंग के प्रति जज़्बा नहीं बदला और ना उनका निशाना चूका। वे अभी भी उतनी ही एक्यूरेसी से निशाना साध रही हैं। उनका निशाना कितना अचूक है ये उन्होंने आज एक बार फिर सिद्ध किया। 

ये वही शूटिंग रेंज थी जहां कुछ दिन पहले मनु भाकर भारत के लिए इतिहास रच रही थीं। आज भी किरदार वही थे। बस उनका नाम बदला था। आज मनु की जगह अवनी लखेरा थीं। हां, उन्होंने गौरव का रंग बदला। तमगे का रंग बदला और अपनी काबिलियत,अपने निशाने और निशाने की एक्यूरेसी से उसे सुनहरे रंग में बदल दिया। उन्होंने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया। आज उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता। अब वे शूटिंग में दो पैरा ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण जीतने वाली पहली शूटर बन गई हैं।

आज 10 मीटर राइफल में 249.7 अंकों के साथ अपना ही टोक्यो पैरा ओलम्पिक में बनाया 249.6 अंकों का विश्व कीर्तिमान तोड़ दिया। यहां उल्लखनीय है कि इसी स्पर्धा में कांस्य पदक 228.7 अंकों के साथ भारत की मोना अग्रवाल ने जीता।

अवनी पैरा ओलम्पिक में एस एच वन कैटेगरी में भाग लेती हैं। इस श्रेणी में वे प्रतिभागी भाग लेते हैं जिनका निचला हिस्सा विकलांगता की श्रेणी में आता है लेकिन हाथ इतने मजबूत होते हैं कि राइफल या पिस्टल पकड़ने के लिए स्टैंड का सहारा नहीं लेना पड़ता है।

साल 2012 में अवनी के पिता धौलपुर में तैनात थे। उस समय वे 11 वर्ष की थीं। वे परिवार के साथ जयपुर से धौलपुर जाते वक्त कार दुर्घनता में उनका निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। पर उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोया। उन्होंने ना केवल अपनी पढ़ाई जारी रखी बल्कि खेलों भी हाथ आजमाया। उन्होंने शुरुआत तीरंदाजी से की। लेकिन जल्द ही शूटिंग करने लगीं। वे खेलों के साथ साथ मेधावी छात्रा भी हैं और इस समय  कानून की पढ़ाई कर रही हैं।

अवनी को बहुत बधाई और मोना अग्रवाल को भी। भारत को पेरिस पैरा ओलम्पिक के 2024 के पहले दो पदक मुबारक।


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