' हंसती हुई स्त्री '
और ' रोता हुआ पुरुष '
जीवन के दो सुंदर दृश्य हैं
जब स्त्री की दंतपंक्तियों से
पुरूषों की सी आजादी
और आदमी की आंखों से
स्त्री के से दुःख
झरते हैं।
ये खेल सत्र मानो कुछ खिलाड़ियों की दीर्घावधि से लंबित पड़ी अधूरी इच्छाओं के पूर्ण होने का सत्र है। कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते ...
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