ओह ! इलाहाबादी जोंटी रोड्स ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया !
-----------------------
1983 के क्रिकेट विश्व कप में भारत की जीत भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण प्रस्थान बिंदु है। दरअसल यहाँ से क्रिकेट का चरित्र बदलता है और एक इलीट खेल मास के खेल में तब्दील होने लगता है। क्रिकेट बड़े बड़े शहरों से निकल छोटे छोटे शहरों की और रुख करता है और बड़े क्लबों और मैदानों से निकल कर गली मोहल्लों तक पहुंचता है। मैदान में नफासत की जगह भदेसपन घर करने लगता है। साफ़ शफ्फाक कर्रजदार कपड़ों पर घास और मिटटी के निशान नज़र आने लगते हैं। और छोटे छोटे शहरों के लड़के राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने लगते हैं और अन्ततः भारतीय टीम में शामिल होकर देश को नयी ऊंचाईयां प्रदान करते हैं। मो.कैफ बदलाव की उसी बयार की देन है कि वे इलाहाबाद वाया कानपुर राष्ट्रीय टीम में पहुंचते हैं और अपनी पहचान बनाते हैं।
मो.कैफ ने 13 टेस्ट और 125 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले।उनके नेतृत्व में भारत ने अंडर 19 विश्व कप जीता।उन्हें दरअसल2002 के लॉर्ड्स में नेट वेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में उनकी युवराज सिंह के साथ लाजवाब साझेदारी और 87 रनों की पारी के लिए लिए जाना जाता है जिसके बाद ही सौरव गांगुली ने अपनी शर्ट उतार कर ऐतिहासिक जेस्चर दिया था।इसके अलावा भी कई यादगार प्रदर्शन किए।लेकिन मुझे लगता है उन्हें इनका वाजिब दाय नही मिला।
वे भले ही सचिन,लक्ष्मण, द्रविड़,सहवाग जैसे महान खिलाड़ी ना रहे हो।लेकिन उनका योगदान भारतीय क्रिकेट को कम नही।दरअसल वे एक शानदार फील्डर थे।उनके आसपास से गेंद का निकलना नामुमकिन था और उनके हाथों से कैच छूटना असंभव।वे बॉल रोकने के लिए लंबी लंबी डाइव मारते,चीते की फुर्ती से गेंद पर झपटते और एक ही एक्शन में बाल थ्रो करते।वे असंभव से कैच पकड़ते।युवराज सिंह के साथ उनकी शानदार जोड़ी बनती।युवराज पॉइंट और कैफ कवर पर फील्डिंग करते और फिर इस जगह से रन बनाने बल्लेबाज़ के लिए असंभव कर देते।उनके आने से पहले भारत की फील्डिंग एक बड़ी कमजोरी थी।भले ही भारत के पास बड़े बैट्समेन और बॉलर रहे हो पर भारतीय क्रिकेट टीम ऊंचाइयों पर तभी पहुंची जब उसकी फील्डिंग शानदार हुई।और इसका श्रेय बहुत कुछ कैफ को है।उनके साथ तमाम खिलाड़ी आये जो श्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक थे।लेकिन कैफ उन समानों में प्रथम थे(first among the equals).अब खिलाड़ियों के हाथों में आर्मगार्ड्स और उंगलियों में टेप दिखाई देने लगे थे।अब फील्डिंग से भी खिलाड़ियों को पहचान मिलने लगी ।याद कीजिये कैफ से पहले किसी खिलाड़ी को फील्डिंग से पहचान मिली हो एकनाथ सोलकर को छोड़कर।ये कैफ ही थे जिन्होंने फील्डिंग को नई परिभाषा दी।दरअसल वे भारत के जोंटी रोड्स थे।ये भारतीय क्रिकेट को उनका बड़ा योगदान था और केवल इसी के लिए वे लम्बे समय तक याद किए जा सकते हैं और याद किए जाने चाहिए।
---------------------------------------
खेल के मैदान से अलविदा कैफ।