Tuesday 21 November 2023

ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।





आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको अनिर्वचनीय आनंद से भर देती हैं और हार गहरे अवसाद और निराशा से।

 अहमदाबाद में क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में भारत की हार सालों साल मन को कचोटती रहेगी। एक दुःख रिसता रहेगा। ये एक ऐसी अप्रत्याशित हार थी जिसकी किसी भी भारतवासी ने कल्पना नहीं की थी।


भारत अपने सभी प्रतिद्वंदियों को बेतरह हराकर फाइनल तक पहुंचा था। उसने ऑस्ट्रेलिया सहित 09 टीमों को परास्त किया था। उसके बाद सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को दुबारा हराकर फाइनल में प्रवेश किया था। उसके बल्लेबाज़ और गेंदबाज शानदार फार्म में थे। उससे तनिक पहले  भारत ने एशिया कप भी शानदार तरीक़े से जीता था और अपने सभी प्रतिद्वंदियों को बेतरह हरा दिया था। फिर ये विश्वकप तो भारत अपने देश में खेल रहा था और फाइनल में  स्टेडियम के भीतर  टीम को 13 मिलियन लोगों का  समर्थन हासिल था। 

पर खेल में अनहोनी होना कोई अनहोनी नहीं होता। खेल में ऐसे ही इतिहास रचे जाते हैं। भारतीय टीम फाइनल हार गई। ये विश्वकप 10 शानदार जीत के लिए नहीं, बल्कि एक जीत से चूक जाने के लिए याद किया जाएगा।

 याद कीजिए 1950 का फुटबॉल विश्वकप। ये ब्राज़ील में खेला गया था। फाइनल में ब्राज़ील और उरुग्वे की टीम थीं। उस समय ब्राज़ील की टीम विजयी रथ पर सवार थी। वो सभी प्रतिद्वंदियों को बुरी तरह हराकर फाइनल में पहुँची थी। फिर वो अपने देश में खेल रही थी। उसकी जीत में किसी को संदेह नहीं था। । उरुग्वे ने ब्राज़ील को 2-1 हरा दिया था। ये मैच रियो डी जेनिरो के माराकाना स्टेडियम में खेला गया था।और तब उस हार से एक नया शब्द प्रचलन में आया था 'माराकांजो' यानी माराकाना का अभिशाप। 

उस अप्रत्याशित हार का दर्द हर ब्राज़ील वासी के मन में भीतर ही भीतर आज तक रिसता चला आ रहा है। 

और इस अप्रत्याशित हार का दर्द हर भारतवासी के मन में अनंत काल तक रिसता रहेगा।

हार्ड लक टीम इंडिया।

ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।

आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...