Saturday 31 July 2021

टोक्यो ओलंपिक डायरी_8




 31 जुलाई,2021

टोक्यो ओलंपिक

प्रतिस्पर्धाओं का आठवां दिन। 


        ज़िन्दगी में उतार चढाव आते रहते हैं। ये उतार चढाव कभी ऐसे होते हैं कि आप उन्हें नोटिस भी नहीं कर पाते और कभी इतने तीव्र होते हैं कि आप आश्चर्य चकित हो जाते हैं। आप किसी क्लाइमेक्स का इंतज़ार कर रहे होते हैं और एन्टी क्लाइमैक्स आ जाता है। आज का दिन टोक्यो में भारत के लिए एन्टी क्लाइमैक्स का दिन था। पिछले दो दिनों से हम तमाम खेलों में पदक की ओर मजबूती से कदम बढ़ा रहे थे कि आज अचानक से ब्रेक लग गए और पदक की उम्मीदें कांच की तरह टूट कर बिखर गई। अतानु हारे,सिंधु हारीं,पूजा हारी और अमित पंघाल हारे। मानो भारत की उम्मीद ही हार गई हो।  हां निराशा के घटाटोप में कमलप्रीत का  डिस्कस थ्रो के फाइनल में और महिला हॉकी टीम का क्वार्टर फाइनल में पहुंचना सिल्वर लाइनिंग की तरह था।

           अब टोक्यो ओलंपिक खेलों के मुकाबले दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर गए हैं। पहले सप्ताह में भारत ने एक रजत पदक वेटलिफ्टिंग में जीता। और एक पदक मुक्केबाजी में सुनिश्चित किया। इस पदक का रंग क्या होगा ये इस सप्ताह पता चलेगा। और ये भी कि भारत की झोली में कुल कितने पदक आते हैं।

            आठवें दिन की शुरुआत भारत के लिए एक बेहतरीन नोट पर हुई। एथलेटिक्स में डिस्कस थ्रो का आज क्वालिफिकेशन राउंड था। इसमें भारत की सीमा पूनिया और कमलप्रीत कौर सहित कुल 31 प्रतिभागी थीं। फाइनल में क्वालीफाई करने के लिए 64 मीटर की थ्रो या बेस्ट 13 में आना जरूरी था। सीमा पूनिया 60.57 मीटर की थ्रो के साथ अपने ग्रुप में 6ठे स्थान पर रहीं और फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहीं। लेकिन कमलप्रीत कौर ने अपने तीसरे प्रयास में 64मीटर डिस्कस फेंक कर फाइनल में प्रवेश किया। वे अभी हाल ही में फेडरेशन कप में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर सुर्खियों में आईं थी। वे अपने ग्रुप में दूसरे स्थान पर रहीं। लेकिन पुरुषों की लंबी कूद में भारत के श्रीशंकर फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके। वे 7.69 मीटर की छलांग के साथ 25वें स्थान पर रहे।


                महिला हॉकी टीम ने आज अपना अंतिम ग्रुप मैच दक्षिण अफ्रीका से खेला। टीम तीन हार और उसके बाद आयरलैंड पर कल 1-0 की जीत से ग्रुप में चौथे स्थान पर थीं। भारतीय टीम को क्वार्टर फाइनल में प्रवेश के लिए आज का मैच जीतना ज़रूरी था। दोनों ही टीमों ने आज शानदार खेल दिखाया। ये दोनों ही टीमों का इस प्रतियोगिता का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था। भारत की टीम इक्कीस साबित हुई और उसने दक्षिण अफ्रीका का 4-3 से हरा दिया। भारत की वंदना कटारिया ने 3 गोल किए। ओलंपिक में हैटट्रिक करने वाली वे पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करने के लिए भारत को ना केवल जीतना था बल्कि आज के अंतिम लीग मैच में इंग्लैंड को आयरलैंड से नहीं हारना था। ये मैच इंग्लैंड ने 2-0 से जीतकर भारत का आगे बढ़ने का रास्ता साफ कर दिया। क्वार्टर फाइनल 02 अगस्त को भारत ऑस्ट्रेलिया से खेलेगी।

            आज तीरंदाजी में भारत का अभियान अतानु दास की हार के साथ समाप्त हो गया। प्री क्वार्टर फाइनल में आज अतानु का मुकाबला जापान के ताकाहारु से था। वे ये मुक़ाबला 4-6 अंकों से हारे। ताकाहारु ने इस स्पर्धा का कांस्य पदक जीता। जबकि स्वर्ण पदक टर्की के मेटे गजोज़ ने और रजत इटली के मैरो नैपोली ने जीता।

                 निशानेबाजी में भारतीय निशानेबाजों का खराब प्रदर्शन आज भी जारी रहा। 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन स्पर्धा में आज अंजुम मौदगिल और तेजस्विनी सावंत भाग ले रही थीं। लेकिन उन्होंने आज भी निराश किया और क्वालिफिकेशन राउंड से ही बाहर हो गईं। सौरभ चौधरी के अलावा कोई भी भारतीय निशानेबाज किसी भी स्पर्धा के फाइनल राउंड में नहीं पहुंच सका। आज इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक स्विट्ज़रलैंड की नीना क्रिस्टीन ने जीता। रजत और कांस्य पदक रूस की यूलिया ज्यकोवा और यूलिया करीमोव ने जीता।

           


निशानेबाजों के अलावा मुक्केबाजों से अच्छे प्रदर्शन की और पदक की बहुत उम्मीदें थीं। इस उम्मीद पर महिला मुक्केबाज तो खरी उतरीं पर पुरुष मुक्केबाज नहीं। आज विश्व नंबर एक भारत के अमित पंघल कोलंबिया के मुक्केबाज युबरजेन मार्टिनेज से पहले ही राउंड में 1-4 से हारकर प्रतियोगिता से बाहर हो गए। उनकी हार से भारत की पदक की उम्मीदों को भारी झटका लगा। वे चौथे भारतीय पुरूष मुक्केबाज हैं जो पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो गए। उधर महिलाओं के 69 किलोग्राम वर्ग में आज क्वार्टर फाइनल में पूजा रानी का मुकाबला चीन की ली कुआन से था। वे अपना पहले का प्रदर्शन नहीं दोहरा सकीं और आसानी से 0-5 से मुकाबला हार गईं।

       


  बैडमिंटन में पदक की बड़ी उम्मीद और विश्व चैंपियन पीवी सिंधु का मुकाबला चाइनीज ताइपे ताई जू यिंग से था। पिछली बार उन्होंने रियो में रजत पदक जीता था। वे इस बार अभी तक एक भी गेम नहीं हारी थीं और सभी प्रतिद्वंदियों को आसानी से सीधे गेमों में हराया था और जबरदस्त फॉर्म में थीं। लेकिन आज सिंधु अपने रंग में नहीं दिखी। वे ताई जू यिंग से सीधे सेटों 18-21 और 12-21 से हार गईं। पहले गेम में सिंधु ने अच्छा खेल दिखाया और हर पॉइंट के लिए कड़ा संघर्ष था। पहले गेम में जब स्कोर 18-18 बराबर था, ताई जू ने गियर बदला और गेम 21-18 से जीत लिया। दूसरे गेम में सिंधु के पास ताई जू के डिसेप्टिव स्ट्रोक्स और नेट के खेल का कोई जवाब नहीं था। और आसानी से 12-21 से हार गईं। जिस आसानी से ताई जू ने अंतिम दो अंक लिए वे ताई जू की क्लास की ताईद करते हैं और ये भी कि सिंधु ने मैच खत्म होने से पहले ही हार मान ली। इसके विपरीत सिंधु अंतिम समय तक कड़ा संघर्ष करने के लिए जानी जाती हैं। वे कभी भी इस तरह से हार नहीं मानती। निसन्देह ये अब तक का भारत के लिए सबसे बड़ा अपसेट था। इससे पहले बैडमिंटन के पहले सेमी फाइनल में मुकाबला चीन की दो  खिलाड़ियों  चेन यू फे और ही बाओ जियान के बीच था। फे ने बाओ को 21-16,13-21 और 21-12 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। अब कांस्य पदक के लिए कल सिंधु चीन की ही बाओ जियान से खेलेंगी।

और अब कुछ और बातें टोक्यो ओलंपिक एरीना से

  • सेलिंग में  पुरुषों की आर एस एक्स विंडसर्फिंग स्पर्धा का स्वर्ण पदक नीदरलैंड के किरन बड़लै ने जीता। जबकि इस स्पर्धा का रजत पदक फ्रांस के थॉमस गोयार्ड ने और कांस्य चीन के कुन बी ने जीता।
  • जिम्नास्टिक में पुरुषों की ट्रंपोलिन स्पर्धा का स्वर्ण पदक बेलारूस के इवान लिट्विनोविच ने लगातार दूसरा बार जीता। इसका रजत पदक चीन के दोंग दोंग ने और न्यूज़ीलैंड के डिलन श्मिट ने कांस्य पदक जीता।
  • टेनिस का महिला एकल का कांस्य पदक यूक्रेन की एलिना स्वितोलीना ने जीता। उन्होंने कजाकिस्तान की एलिना रीबाक़ीना को 1-67-6(7-5),6-4 से हराया। वे टेनिस में यूक्रेन के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं।
  • अगर आज की एथेलेटिक्स की बात करें तो पुरुषों की डिस्कस थ्रो में स्वीडन के डेनियल स्टाल ने स्वर्ण और यहीं के सिमोन पीटरसन ने रजत पदक जीता और ऑस्ट्रिया के लुकास  ने कांस्य पदक। 
  • महिलाओं की 100 मीटर दौड़ में जमैका ने क्लीन स्वीप किया। वर्तमान चैंपियन एलेन थॉम्पसन हेराह ने 10.61 सेकंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता। ये इस दौड़ का अब तक का दूसरा सबसे तेज समय है। विश्व रिकॉर्ड 1988 में ग्रिफिथ जोयनर ने 10.49 का बनाया था। शैली एन फ्रेजर ने 10.74 सेकंड के साथ रजत और जैकसन ने 10.76 सेकंड के साथ कांस्य पदक जीता। पोलैंड की टीम ने 4×400 मीटर मिक्स्ड दौड़ पोलैंड ने जीती जबकि डोमिनिकन रिपब्लिक ने रजत और अमेरिका ने ब्रॉन्ज पदक जीता। ट्राईथलॉन मिक्स्ड  स्पर्धा का स्वर्ण पदक ब्रिटेन ने जीत लिया है।
  • फेंसिंग में महिलाओं की साब्रे टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक रूस ने,रजत फ्रांस ने और साउथ कोरिया ने कांस्य पदक जीता।
  • बैडमिंटन में युगल स्पर्धा का ख़िताब चाइनीज ताइपे के ली यांग और वांग ची लिन की जोड़ी ने चीन की ली जुनहुई  और लियु युचेन की जोड़ी को सीधे सेटों में 21-18 21-12से हराकर जीता। मलेशिया की जोड़ी ने कांस्य पदक जीता।
  • कतर के इब्राहीम एलबाख ने पुरुषों की 96 किलोग्राम वर्ग की वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में 402 किलोग्राम वजन उठाकर नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया। वेनेजुएला के वेलेनिला ने रजत और जॉर्जिया के एंटोन प्लिसनोई ने कांस्य पदक जीता।

और अब बात पदक तालिका की। आज खेल प्रतिस्पर्धाओं की समाप्ति पर पदक तालिका में चीन 21 स्वर्ण पदकों सहित 46 पदक जीत कर पहले स्थान पर,जापान 17 स्वर्ण  पदकों सहित कुल 30 पदक लेकर दूसरे पर और अमेरिका 16 स्वर्ण पदक सहित कुल 46 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर है। भारत एक रजत के साथ पदक तालिका में अब 60वें स्थान पर पहुंच गया है।

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और आज चलते चलते बात नोवाक जोकोविच की। वे टेनिस के महानतम खिलाडियों में से एक हैं और  20 ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुके हैं। इस बार वे गोल्डन ग्रैंड स्लैम के लिए टोक्यो ओलंपिक में थे। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। वे बहुत आसानी से सेमी फाइनल तक पहुंच गए थे। और अपने लक्ष्य से केवल दो जीत दूर थे कि जर्मनी के अलेक्जेंडर ज्वेरेव ने उन्हें हरा दिया। उनका सपना टूट गया। लेकिन उनके लिए शायद इतना काफी नहीं था। आज वे कांस्य पदक के लिए स्पेन के पाब्लो करेन बुस्ता से खेल रहे थे। लेकिन बुस्ता ने उन्हें 3-6,7-6(8-6),6-4 से हरा दिया। वे मिश्रित युगल में भी एक पदक जीत सकते थे पर उससे भी कंधे की चोट के कारण नाम वापस ले लिया।उन्होंने बीजिंग,लंदन, रियो और टोक्यो कुल चार ओलंपिक  खेलों में भाग लिया। वे केवल एक पदक जीत सके। बीजिंग 2008 में कांस्य पदक।यही ओलंपिक खेलों का रोमांच है और विशेषता भी। इन खेलों का मिज़ाज एकदम अलग होता है। यहां बड़े बड़े नाम खेत रहते हैं और अनजान खिलाड़ी अपने देश के लिए हीरो बन जाते हैं। यहां खिलाड़ी अपने देश के लिए खेलता है। और उसके पीछे पूरा देश खड़ा होता है। ओलंपिक में पदक जीतना हर खिलाड़ी के सपना  होता है। इसीलिए एक खिलाड़ी ने चाहे जो प्रतियोगिता जीती पर ओलंपिक में ज़रूर जीतना चाहता है। यही ओलंपिक आंदोलन की,ओलंपिक खेलों की सफलता है।

टोक्यो ओलंपिक डायरी_7


30 जुलाई,2021

टोक्यो ओलंपिक 

प्रतिस्पर्द्धाओं का सातवां दिन।


धैर्य और प्रतीक्षा दो ऐसे शब्द हैं जिन्हें यदि आप तवज्जो देते हैं तो वे भी आपको बहुत कुछ बदले में देते हैं। पहले दिन के मीराबाई चानू के एक रजत पदक के बाद 6 दिन का लंबा इंतजार और उसके बाद एक और पदक पक्का हुआ। कुछ और पदकों की और कदम कुछ और आगे बढ़े। एक ऐसा दिन मानो वो अपने पूर्ववर्ती दिन को दोहरा रहा हो। पहले दिन मेरी कॉम की हार और फिर महत्वपूर्ण सफलताएं और आज दीपिका की हार और फिर पदक की आस ही आस।

      भारत ने आज अपने अभियान की शुरुआत 25मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा से की। कल प्रिसिजन राउंड के बाद मनु भाकर 5वें और राही सरनोबत 18वें स्थान पर थीं। आज इस स्पर्धा का रैपिड फायर राउंड था। उम्मीद थी कम से कम मनु इसमें बेहतर करेंगी और शायद पदक की उम्मीद बन सके। लेकिन निशानबाजों ने एक बार फिर निराश किया। रैपिड राउंड में मनु 15वें स्थान पर राही 31वें स्थान पर रही। कभी कभी जिनसे सबसे ज़्यादा उम्मीद होती है वे ही सबसे ज़्यादा निराश करते हैं।निशानेबाजों ने ऐसा ही किया।

       भारत को दूसरा झटका दीपिका कुमारी की हार से लगा। दीपिका विश्व नंबर एक हैं और कुछ दिन पहले ही उन्होंने विश्व खिताब जीता था। वे भारत की पदक की सबसे बड़ी उम्मीदों में एक थीं। आज उन्होंने अपने पहले प्री क्वार्टर फाइनल के एक कड़े मुकाबले में रूस की सेनिया पेरोवा को शूट ऑफ में  6-5 से हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया और पदक की उम्मीद को थोड़ा और आगे बढ़ाया। यहां उनका मुकाबला दक्षिण कोरिया की अन सान से था। लेकिन दीपिका उनके सामने नहीं टिक सकी और सीधे सेटों में 0-6 से हार गईं और भारत की उम्मीद भी। यहां उल्लेखनीय है कि सान अन ने इस स्पर्धा  का स्वर्ण पदक रूस की ई. ओसीपोवा को हराकर जीता।

       इस समय तक दुख के बादल छंट चुके थे और भारत के भाग्य का सूरज चमकने लगा था।  मुक्केबाजी में लोवलीना बोरगोइन रिंग में चाइनीज ताइपे की एन चिन चेन के सामने थीं। लोवलीना इससे पहले चेन से चार बार परास्त हो चुकी थीं। दरअसल ये ही उनका सबसे बड़ा संबल और जीत का शस्त्र थीं।  वे अपने को प्रूव करना चाहती थीं और उन्होंने किया। आज उन्होंने अपने दमदार मुक्कों से अपनी प्रतिद्वंदी को टिकने नहीं दिया और आसानी से 4-1 से हरा दिया। इस जीत के साथ ही वे सेमी फाइनल में पहुंच गईं हैं और उनका कांस्य पदक पक्का हो गया। लवलीना अब सेमीफाइनल में बुधवार को अपने तमगे का रंग बदलने के लिए विश्व चैम्पियन तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली से भिड़ेंगी। लेकिन भारत की एक और मुक्केबाज सिमरनजीत कौर इतनी भाग्यशाली नहीं रहीं और महिलाओं की 60 किग्रा वर्ग के प्री क्वार्टर फाइनल में थाईलैंड की सुदापोर्न सीसोंदी के खिलाफ 0-5 से अपना मुकाबला हार गईं।

         भारतीय महिला हॉकी टीम लगातार तीन मैच हारने के बाद आज अपने चौथे पूल मैच में  आयरलैंड से खेल रही थी और उसने एक कड़े मुकाबले में आयरलैंड को 1-0 से हराकर टोक्यो ओलंपिक में अपनी पहली जीत दर्ज की। भारत के लिए नवनीत कौर ने 57वें मिनट में विजयी गोल किया। इस मैच को जीतकर भारत ने अपनी क्वार्टर फाइनल में पहुंचने की उम्मीदों को बरकरार रखा है। इससे पहले भारत को मिले 14 पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए। भारत को तीन मैचों में करारी हार के बाद भारत को इस मैच में हर हालत में जीत दर्ज करनी थी। भारतीय खिलाड़ियों ने गोल करने के कई मौके बनाये लेकिन फिनिश नहीं कर सकीं।

         उसके बाद शाम को पुरुषों ने भी अपने आखिरी पूल मैच में मेजबान जापान को एक रोमांचक मैच 5-3 से हराकर चार जीत और एक हार के साथ पूल में दूसरा स्थान प्राप्त किया। वो अब नॉक आउट दौर में पहुंच गई है। क्वार्टर फाइनल में अब भारत का मुकाबला ग्रेट ब्रिटेन से होगा।

        भारत के लिए बैडमिंटन में सिंधु ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी  रखा। सिंधु रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता हैं और वर्तमान विश्व चैंपियन भी। आज क्वार्टर फाइनल में उनका मुक़ाबला विश्व नंबर 5 जापान की अकीने यामागुची से था। ये एक कठिन मुकाबला माना जा रहा था। लेकिन सिंधु इस समय जबरदस्त फॉर्म में हैं और यहां भी उन्होंने पहला सेट 21-13 से आसानी से जीत लिया और उसके बाद दूसरे सेट में 15-10 से बढ़त ले ली। यहां सिंधु ने अपनी एकाग्रता खोई और यामागुची ने वापसी की। पहले स्कोर 15-15 बराबर किया और उसके बाद यामागुची के पास 20-18 पर दो गेम पॉइंट थे। यहां पर सिंधु ने लगातार चार अंक बनाकर 22-20 से ये गेम जीत लिया और मैच भी। अभी तक सिंधु एक भी सेट नहीं हारी हैं। अब सेमी फाइनल में उनका मुकाबला विश्व नंबर एक चाइनीज ताइपे की ताई जू यिंग से होगा। उन्होंने अपने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में थाईलैंड की इंतानोन रत्चानोक को 14-21,21-18,21-18 से हराया।

             आज से ओलंपिक खेलों की सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़ा आकर्षण एथेलेटिक्स स्पर्धाएं भी आरंभ हुईं। लेकिन इन स्पर्धाओं में भारत का प्रदर्शन फीका रहा। स्प्रिंटर दुती चंद 100 मीटर महिला स्पर्धा के सेमीफाइनल में जगह बनाने से चूक गईं। दुती चंद अपनी हीट्स  में 11.54 सेकंड के समय के साथ सातवें  स्थान पर रहीं। एम पी जाबीर पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ के पहले राउंड में सात खिलाड़ियों में आखिरी स्थान पर रहे। वह 50.77 सेकंड का ही समय निकाल सके और अपना सर्वश्रष्ठ प्रदर्शन भी नहीं दोहरा सके। उनका अपना सर्वश्रेष्ठ समय उन्हें सेमी फाइनल में आसानी से पहुंचा सकता था। एथलीट अविनाश साबले पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज के पहले राउंड में सातवें स्थान पर रहे। लेकिन उन्होंने अपने  सर्वश्रेष्ठ समय निकाला और नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। 4×400 मिक्स्ड रिले दौड़ में भारतीय टीम पहले राउंड की दूसरी हीट में  आठवें स्थान पर रही। उसने 3 मिनट 19.93 सेकंड का समय लिया जो इस सीजन का उनका सर्वश्रेष्ठ समय था पर अगले राउंड के लिए पर्याप्त नहीं था।

        गोल्फ में अच्छी शुरुआत के बाद आज अनिर्बान लाहिड़ी दूसरे राउंड के बाद संयुक्त रूप से 20वें स्थान पर आ गए।जबकि पहले राउंड के बाद वे  आठवें स्थान पर थे  जबकि दूसरे भारतीय गोल्फर उदयन माने 59वें स्थान पर हैं। घुड़सवारी में फवाद मिर्ज़ा ईवेंटिंग ड्रेसेज व्यक्तिगत स्पर्धा में दो सत्रों के बाद 7वें स्थान पर रहे।

टोक्यो ओलंपिक से कुछ और खबरें। 

  1. विश्व नंबर एक सर्बिया के नोवाक जोकोविच का गोल्डन ग्रैंड स्लैम का सपना अंततः सेमी फाइनल में टूट गया। सेमीफाइनल में उन्हें जर्मनी के ज्वेरेव ने 1-6,6-3,6-1 से हरा दिया। फाइनल में ज्वेरेव रूस के खाचारोव से खेलेंगे। जबकि युगल स्पर्धा का स्वर्ण क्रोअशिया के निकोला मेक्टिक और मेट पेविक ने अपने ही देशवासी मारिन सिलिच और इवोन डोडिच को 6-4,3-6,10-6से हराकर जीता।
  2. एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक इथियोपिया के सेलेमोन बरेगा 10 हज़ार मीटर पुरुष स्पर्धा में जीता। रजत उगांडा के जोशुआ चप्टेगे और कांस्य इथोपिया के ही जैकब किप्लिमो ने जीता।
  3. फेंसिंग का ईपी पुरुष टीम स्पर्धा का खिताब जापान ने जीत लिया है। रजत रूस ने औऱ कांस्य दक्षिण कोरिया ने जीता।
  4. टेबल टेनिस की पुरुष एकल स्पर्धा का स्वर्ण पदक चीन  के मा लांग ने अपने देशवासी फेन झेनदोंग को 4-2 से हराकर जीत लिया है। कांस्य पदक
  5. जर्मनी के दिमित्रीज ओवचारोव ने चाइनीज ताइपे के लिन युन जू को 4-3 से हराकर जीता।

और अब बात पदक तालिका की। कल की प्रतिस्पर्धाओं की समाप्ति पर पदक तालिका में चीन 19 स्वर्ण पदकों सहित 40 पदक जीत कर पहले स्थान पर,जापान 17 स्वर्ण  पदकों सहित कुल 28 पदक लेकर दूसरे पर और अमेरिका 14 स्वर्ण पदक सहित कुल 41 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर है। भारत एक रजत के साथ पदक तालिका में अब 51वें स्थान पर पहुंच गया है।

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और अंत में एक बार फिर भारतीय की पदक की उम्मीदों का भार ढोया लड़कियों ने। उन लड़कियों ने जिन्हें समाज में अपना सही दाय नहीं मिलता,बल्कि उन्हें इस योग्य ही नहीं समझा जाता।जिन्हें बार बार अपने को साबित करना पड़ता है। आज फिर लोवलीना और सिंधु ने ये ज़िम्मेदारी उठाई,खुद को साबित करने की।


एक सलाम दोनों को।

Friday 30 July 2021

टोक्यो ओलंपिक डायरी_6




29 जुलाई 2021

टोक्यो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा का छठा दिन। ऐसा दिन जिसमें अनेक जीत और एक हार। लेकिन एक हार सब जीत पर भारी।

जैसे ज़िन्दगी में अक्सर खेल होते रहते हैं, ठीक वैसे ही खेलों में भी एक ज़िन्दगी होती है। कभी हार कभी जीत। ग़म तो खुशी भी। आंसू तो मुस्कुराहट भी। ज़िन्दगी में हम बड़ी बड़ी जीत,खुशियों और आनंद को खोजते हैं और जब वे नहीं मिलती तो छोटी छोटी जीतों, छोटी छोटी उपलब्धियों,खुशियों के छोटे छोटे लम्हों में ही बड़ी खुशियां ढूंढ लेते हैं,उन्हीं में संतुष्ट हो लेते हैं। खेलों में भी पदक ना भी मिले तो क्या ग़म। उसके प्रयास में मिली कुछ जीतों से ही संतुष्ट हो लेते हैं। और अगर कोई जीत भी ना मिले तो जीत के लिए किए गए संघर्ष से ही संतुष्ट हो लेते हैं। हार में भी खुशियां ढूंढ लेना आदमी की फितरत है। और जब आज भारतीय एथलीटों ने दमदार जीत के साथ मजबूती से कदम बढ़ाए तो खुश होना तो बनता है।

आज का दिन भारत के लिए शानदार रहा। ज़िन्दगी में ऐसे दिन कम आते हैं जब आप दिन भर मुस्कुराते रहें और उदासी के लम्हे हो ही नहीं और अगर हो भी तो ना के बराबर। आज भले ही पदक हाथ ना लगा हो पर जीत की भारत के भाग्य पर इनायत रही। आज जीत बरसती रही। केवल मेरीकॉम की हार को छोड़ कर।

आज दिन की शुरुआत पुरुषों की हॉकी टीम ने अपने चौथे पूल मैच में वर्तमान ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना को 3-1 से हराकर की। हाफ टाइम तक कोई भी टीम गोल नहीं कर सकी। पहला गोल 43वें मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर पर वरुण  ने किया।लेकिन 48वें मिनट में अर्जेंटीना ने गोल कर 1-1 की बराबरी कर ली। 57वें मिनट में विवेक ने एक फील्ड गोल और उसके बाद हरमनप्रीत ने पेनाल्टी कार्नर पर तीसरा गोल कर भारत को 3-1 से विजय दिलाई। भारत अपने अंतिम पूल मैच में जापान से खेलेगा। 1984 के बाद ये पहला अवसर है कि भारत ने ग्रुप स्टेज में तीन मैच जीते हैं।

दूसरी जीत बैडमिंटन में पी वी सिंधु ने दर्ज कराई। उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में डेनमार्क की मिया ब्लिचफेल्ट को आसानी से 21-15,21-13 से हराया। सिंधु ने अभी तक अपने सभी मुकाबले बहुत ही आसानी से जीते हैं। वे इस जबरदस्त फॉर्म में हैं।उनका अगला मुक़ाबला जापान की अकीने यामागुची से है। बॅडमिंटन में भारत की यही एक चुनौती बाकी है।

तीरंदाजी में अतानु दास ने अपने शानदार प्रदर्शन से पदक की उम्मीदें जगा दी हैं। उन्होंने अपने अभियान की शुरुआत चीनी ताइपे के यू चेंग देंग को 6-4 से हराकर की। दूसरे चक्र में अतानु दास का मुकाबला दो बार के ओलंपिक चैंपियन दक्षिण कोरिया के ओह जिन हायेक से था। शुरुआत में पिछड़ने के बाद अतानु ने शानदार वापसी की और शूट ऑफ के बाद हायेक को 6-5 से हरा दिया।

91 किलोग्राम से ज़्यादा भार की सुपर हैवीवेट कैटेगरी में भारत के सतीश कुमार ने अपने अभियान का शानदार आग़ाज़ किया। एशियाई चैंपियनशिप में दो बार के कांस्य पदक विजेता सतीश ने अपने पहले मुकाबले में जमैका के रिकार्डो ब्राउन को 4-1 से हराया। दोनों ही मुक्केबाजों का ये पहला ओलंपिक है। रिकॉर्डों 1996 के बाद जमैका के लिए ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाले पहले मुक्केबाज हैं। दूसरे चक्र में सतीश का मुकाबला वर्तमान एशियाई और विश्व चैंपियन उज्बेकिस्तान के बखोदिर जालोलोव से होगा।

अंततः एक अच्छी खबर शूटिंग से भी। 25 मीटर पिस्टल के प्रिसिजन राउंड के बाद 292 अंकों के साथ मनु भाकर 5वें स्थान पर हैं जबकि भारत की दूसरी प्रतिभागी राही सरनोबत 287 अंकों के साथ 18वें स्थान पर। इस स्पर्धा का रेपिड फायर राउंड कल होगा।

गोल्फ में अनिर्बान लाहिरी ने अच्छी शुरुआत की ।पहले राउंड के बाद 4 अंडर 67 के स्कोर के साथ संयुक्त रूप से आठवें नंबर पर हैं। भारत के लिए एक अच्छी खबर ये कि गोल्फ स्पर्धा में दीक्षा डागर को भी प्रवेश मिल गया है।अब गोल्फ में भारत की और से अदिति अशोक और दीक्षा डागर चुनौती पेश करेंगी।

और क्या ही दुर्योग है कि जैसे जैसे ढलते दिन के साथ सूर्य अपनी चमक खोता गया, वैसे ही भारत का भाग्य भी डूबने लगा है। सूरज का डूबना मानो भारत की एक लीजेंड के भाग्य का डूबना था। छह बार की विश्व चैंपियन और पदक की प्रमुख दावेदार एम सी मेरीकॉम आज शाम एक बहुत ही संघर्षपूर्ण और करीबी मुकाबले में कोलंबिया की इंग्रिट वेलेंसिया से 2-3 से हार गईं। पदक की एक और उम्मीद नाउम्मीदी में बदल गई। इस मुकाबले में उनकी शुरुआत खराब रही और पहला राउंड 1-4 से हार गईं। उसके बाद उन्होंने वापसी की और अगले दो राउंड उन्होंने 3-2 से जीते। पर पहले राउंड का अंतर इतना ज्यादा था कि वे उसे पाट नहीं सकीं और हार गईं। उनके पास सब कुछ था पर ओलंपिक मैडल नहीं था। उन्होंने अभी कहा भी था 'मेरे पास सबकुछ है बस ओलंपिक मैडल नहीं है और इसी लिए मैं सक्रिय हूँ और यहां हूँ।'ये एक लीजेंड की उदास विदाई थी। लेकिन वे अपनी हार में भी उतनी ही ग्रेसफुल थी और मुस्कुराकर रिंग को तथा ओलंपिक को विदा कहा। लेकिन निश्चित ही उनके मन में उदासियों का महासागर लहरा रहा होगा। वे भीतर ही भीतर रो रही होंगी। उनकी सबसे बड़ी इच्छा अधूरी रह गयी थी। कुछ लोगों के पास बहुत कुछ होता है। लेकिन उनकी कुछ ऐसी इच्छाएं होती हैं कि उसके बिना सब कुछ अधूरा लगता है। मेस्सी के पास क्या नहीं था सिवाय अपनी राष्ट्रीय टीम को खिताब दिलाने के। लेकिन उनकी इच्छा भी पूरी हुई। पर मेरी कॉम की इच्छा अधूरी रह गयी। 'अधूरी इच्छाओं की देवी' । वे पिछले 20 सालों रिंग में लड़ रही हैं। 38 साल की इस लड़ाका ने इस बीच इतना अनुभव तो बटोर लिया होगा और इतनी निस्पृहता तो उनमें आ ही गई होगी कि अपने भीटर की उदासियों को चेहरे के पीछे छिपा सके और अपने दुःख को आंखों तक ना आने दे। लीजेंड ऐसे ही होते हैं।

सेलिंग में महिला एकल डिंगी लेज़र रेडियल स्पर्धा में नेत्रा कुमानन सातवीं रेस में 22वें स्थान पर और आठवीं रेस में 20वें स्थान पर रहीं तो पुरुषों की एकल डिंगी लेज़र स्पर्धा में विष्णु सरवनन सातवीं रेस में  27वें  स्थान पर और आठवीं रेस में 23वें    स्थान पर रहे। उधर रोइंग में पुरुषों की लाइटवेट डबल स्कल स्पर्धा में अर्जुन लाल और अरविंद सिंह 11वें स्थान पर रहे। ये इस स्पर्धा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इनके अलावा सेलिंग की स्किफ 49अर स्पर्धा में वरुण ठक्कर और के सी गणपति का खराब प्रदर्शन जारी है। 5वीं रेस के बाद वे 19 प्रतिभागियों में 17वें स्थान पर हैं।

तैराकी में एकमात्र भारतीय  चुनौती सूरज प्रकाश के रूप में हैं। वे आज 100 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में प्रतिभाग कर रहे थे। 53.45सेकंड के साथ वे अपनी हीट में वे दूसरे स्थान पर रहे परन्तु ये सेमी फाइनल के लिए क्वालीफाई करने के लिए पर्याप्त नहीं रहा।

टोक्यो ओलंपिक से खबर है कि ऑस्ट्रेलिया के जैक स्टब्बलेटी कुक ने 200 मीटर ब्रैस्टस्ट्रोक स्पर्धा का स्वर्ण पदक नए ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ जीता। उन्होंने 2मिनट और 2.36 सेकंड का समय लिया।

जापान के डायक़ी हाशिमोतो ने पुरुषों की आल राउंड जिमनास्टिक स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीत लिया है। इस स्पर्धा का रजत चीन ने और कांस्य रूस ने जीता।

पोल वॉल्ट के दो बार के विश्व चैंपियन अमेरिका के सैम केंड्रिक कोरोना पॉजिटिव होने के कारण ओलंपिक से बाहर हो गए हैं।

क्वार्टर फाइनल में केई निशिकोरी को  6-2और 6-0 से हराकर नोवाक जोकोविच टेनिस पुरुष एकल स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं। गोल्डन ग्रैंड स्लैम से केवल दो जीत दूर।

और अब बात पदक तालिका की। पदक तालिका में चीन 15 स्वर्ण पदकों सहित 31 पदक जीत कर पहले स्थान पर,जापान 15 स्वर्ण  कुल 25 पदक लेकर दूसरे पर और अमेरिका 14 स्वर्ण पदक सहित कुल 38 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर है। भारत एक रजत के साथ पदक तालिका में अब 46वें स्थान पर पहुंच गया है।

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और चलते चलते बात सिमोन बाइल्स की और उनके बहाने खिलाड़ियों के स्वास्थ्य की और विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य की। सिमोन बाइल्स सर्वकालिक महानतम और सफलतम जिमनास्टों में से एक हैं। अगर बीते मंगलवार को जिम्नास्टिक की टीम स्पर्धा को बीच में ही छोड़ देने का निर्णय उन्होंने नहीं लिया होता तो वे आज की आलराउंड व्यक्तिगत स्पर्धा में भाग ले रही होतीं। दरअसल उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर प्रतियोगिता से  हटने का निर्णय लिया। एक हफ्ते के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ये निर्णय होगा कि वे बाकी बची स्पर्धाओं में भाग लेंगी या नहीं। वे 'ट्विस्टिज' से पीड़ित हैं। ये एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें एक जिम्नास्ट हवा में कलाबाजी करने के बाद जब लैंड करता है तो उसका दिमाग पूरी तरह काम नहीं करता और ब्लेंक हो जाता है। ऐसे में गंभीर चोट लगने की बहुत अधिक संभावना होती है। इस अवस्था से बहुत सारे जिम्नास्ट गुज़रते हैं। लेकिन उनके हटने के निर्णय का अमेरिका की टीम के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ा और वो लगातार तीसरी बार स्वर्ण पदक जीतने में असफल रही। इसलिए वे लोगों के निशाने पर आ गईं। यूं भी वे एफ्रो अमेरिकन मूल की हैं। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों और जिम्नास्टिक फ्रेटरनिटी उनके साथ है।  मूलतः खेल स्वास्थ्य और आनंद के लिए खेले जाते हैं और अगर इन खेलों से उसके स्वास्थ्य पर ही प्रभाव पड़ता है तो उसे उससे अलग होने का अधिकार होना ही चाहिए। सिमोन बाइल्स आप जल्द ठीक हो और फिर से जिम्नास्टिक एरीना में सक्रिय दिखें।

Tuesday 27 July 2021

टोक्यो ओलंपिक डायरी_4

 



27 जुलाई 2021

टोक्यो ओलंपिक 

प्रतिस्पर्धाओं का चौथा दिन।


ओलंपिक खेल क्या पूरा ओलंपिक आंदोलन अपनी प्रकृति में एमेच्योर है। इसमें कोई भी प्रॉफेशनल खिलाड़ी भाग नहीं ले सकता है। इन खेलों में पदक जीतना हर छोटे बड़े खिलाड़ी का सपना होता है, भले ही उसने अपने खेल में दुनिया का सबसे बड़ा खिताब या पदक जीता हो। लेकिन इसमें जीतना बहुत कठिन होता है। भले ही ये खेल एमेच्योर हो लेकिन बिना प्रॉफेशनल एप्रोच के यहां जीतना मुश्किल ही नहीं असंभव है। यहां उम्मीदों से नहीं जीता जाता बल्कि उसके लिए परफॉर्म करना होता है।

चौथे दिन भी भारत के हाथ खाली रहे। भारतीय खिलाड़ियों के हाथ थोड़ी जीत लगी और ज़्यादा हार। तमाम खिलाड़ियों का ओलंपिक के सफर खत्म हुआ। उम्मीदें बनी काम और टूटी ज़्यादा।आज भारत के नाम केवल तीन जीत रहीं। पुरुष हॉकी ,मुक्केबाजी और बैडमिंटन में। इनमें भी दो जीत में पदक की संभावनाएं बनी। बैडमिंटन में जीतकर भी भारत बाहर हो गया।

दिन की शुरुआत भारत ने ठीक वैसी की जैसी हर भारतावासी की ख्वाहिश थी। हर अंधेरी रात के बाद सवेरा आता ही है। भारत के हिस्से भी आया। भारत की हॉकी टीम दो दिन पहले ऑस्ट्रेलिया से मिली करारी हार से ना केवल उबर चुकी थी बल्कि उसे कहीं बहुत पीछे छोड़। टीम नई ऊर्जा और उत्साह से मैदान में उतरी। उसने शानदार खेल दिखाया और स्पेन को 3-0 से हराया। पहला गोल सिमरनजीत किया और पेनाल्टी कॉर्नर पर दूसरा गोल रुपिंदर पाल ने किया। पहले ही क्वार्टर में भारत 2-0 की बढ़त ले चुका था। चौथे क्वार्टर में रुपिंदर ने एक और गोल किया। इस जीत के साथ ही भारत अपने पूल में अब दूसरे स्थान पर है और नॉक आउट में पहुंचना लगभग तय है।

शूटिंग में भारत के निशानेबाजों का खराब प्रदर्शन आज भी जारी है। आज निशानेबाजी में पहली स्पर्धा 10 मीटर मिक्स्ड एयर पिस्टल की थी। इसमें भारत की दो  जोड़ियां भाग ले रही थीं। यशस्विनी देशवाल व अभिषेक वर्मा और  सौरभ चौधरी व मनु भाकर भाग ले रहे थे। अभिषेक यशस्विनी की जोड़ी 17वें स्थान पर रहकर पहले ही दौर में बाहर हो गए।  उम्मीद थी कि मनु भाकर इससे पहले के मुकाबले में पिस्टल खराब होने के हादसे से उबर गई होंगी,शायद ऐसा हो नहीं पाया। उन्होंने पहले राउंड में प्रथम रहकर अगले राउंड में प्रवेश किया।लेकिन अगले राउंड में सातवें स्थान पर रहे और पदक की दौड़ से बाहर हो गए।  एक बार फिर निशानेबाज डिलीवर करने में असफल रहे। सौरभ ने तो बेहतरीन प्रदर्शन किया पर मनु भाकर का प्रदर्शन दूसरे राउंड के 16 प्रतिभागियों में सबसे खराब था। अगर मनु थोड़ा अच्छा करती तो परिणाम कुछ और होता। पर परिणाम अगर मगर नहीं देखता। इसके बाद सम्पन्न हुई  10 मीटर एयर राइफल मिक्स्ड टीम स्पर्धा  में भी  दो भारतीय जोड़ी भाग ले रही थीं पर दोनों ही फाइनल में प्रवेश करने में असफल रहीं। क्वालिफिकेशन राउंड में इलावेनिल और दिव्यांश पंवार की जोड़ी 626.5 अंकों के साथ 12वें स्थान पर और अंजुम मौदगिल व दीपक कुमार की जोड़ी 623.8 अंकों के साथ 18वें स्थान पर रहीं। इस स्पर्धा का स्वर्ण चीन ने रजत दक्षिण कोरिया ने और कांस्य यूक्रेन ने जीता।

दूसरी जीत मुक्केबाजी के रिंग से आई। पिछले तीन दिनों में तीन भारतीय पुरूष मुक्केबाज पहले ही राउंड में हारकर बाहर हुए। लेकिन लवलीना बोरगोइन ने वेल्टरवेट 69 किलोग्राम वर्ग में एक बहुत ही करीबी मुकाबले में जर्मनी की नाडिन अपेटज़ को 3-2 से हरा दिया। वे पदक से एक जीत दूर हैं। क्वार्टर फाइनल में उनका मुकाबला ताइपे की चिन चेन से होगा।

आज की तीसरी जीत बैडमिंटन में  आई। लेकिन चिराग शेट्टी और ऋत्विक रेड्डी की जोड़ी जीत के बावजूद क्वार्टर फाइनल की रेस से बाहर हो गए। उन्होंने इंग्लैंड के बेनलेन व सीन वेंडी की जोड़ी को 21-17, 21-19 से हराया। अपने ग्रुप में वे 2 जीत और एक हार के साथ तीसरे स्थान पर रहे। आगे बढ़ने के लिए भारतीय जोड़ी को इंग्लिश जोड़ी को हराना भी ज़रूरी था और ताइपे की जोड़ी का इंडोनेशिया की जोड़ी से हारना भी ज़रूरी था। पर ताइपे की जोड़ी ने इंडोनेशिया की जोड़ी को 2-1से हरा दिया।

सेलिंग में भी प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। पुरुषों की एकल डिंगी लेजर स्पर्धा में भारत के विष्णु सरवनन चौथी रेस में 23वें और पांचवी रेस में 22वें और छठी रेस में 12वें स्थान पर रहे। जबकि महिला वर्ग की एकल डिंगी लेज़र रेडियल स्पर्धा में नेत्रा कुमानन पांचवी रेस में 32वे और छठी रेस में 38वें स्थान पर रही। सेलिंग की युगल स्किफ 49अर स्पर्धा में वरुण ठक्कर और के सी गणपति की जोड़ी पहली रेस में 18वें स्थान पर रहे। खराब मौसम के कारण रेस 2 और 3 स्थगित कर दी गईं।

इसके साथ ही टेबल टेनिस में भी भारत की चुनौती समाप्त हो गई। तीसरे दौर में शरथ कमल वर्तमान चैंपियन चीन के मा लांग से 1-4 से हार गए। वे लोंग से केवल दूसरा गेम 11-8 से जीत पाए। लांग के पक्ष में स्कोर रहा   11-7,8-11,13-11, 11-4,11-4

और ये भी कि काबिलियत की कोई उम्र नहीं होती। 100 मीटर ब्रैस्टस्ट्रोक स्पर्धा में अमेरिका की 17 साल की लीडिया जैकोबी ने अपनी साथी और वर्तमान चैंपियन लिली किंग को हराकर स्वर्ण पदक जीता। एक इतिहास बरमूडा की 33 वर्षीया फ़्लोरा डफी ने लिखा। उन्होंने ट्राइथलोन में स्वर्ण पदक जीता। ये छोटे से देश जिसकी जनसंख्या 70 हज़ार है,का ओलंपिक का पहला स्वर्ण पदक है। टेनिस की महिला एकल स्पर्धा में स्वर्ण की प्रबल दावेदार जापान की विश्व नंबर दो खिलाड़ी नाओमी ओसाका तीसरे दौर में चेक गणराज्य की मार्केता वोन्ड्रॉसोवा से 1-6,4-6 से हार कर बाहर हो गईं। और ये खबर भी टोक्यो ओलंपिक एरीना से कि तैराकी में समलैंगिक टॉम डीन ने 200 मीटर फ्रीस्टाइल स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने ही साथी डंकन स्कोट को हराकर जीत लिया। उन्होंने 17 वर्ष की उम्र में अपने कैंसर पीड़ित पिता को खोया और उसके बाद समलैंगिक होने के कारण लगातार लोगों के निशाने पर रहे। भारोत्तोलन के 59 किलोग्राम भार वर्ग में ताइवान ने तीनों कैटेगरी में ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया। स्नैच में 103 किलो,क्लीन एंड जर्क में 133 किलो और कुल 236 किलोग्राम नए ओलंपिक रिकॉर्ड हैं। इसी स्पर्धा का रजत पदक जीतकर तुर्केमेनिस्तान की पोलिना गुरयेवा ने एक इतिहास बनाया। उन्होंने अपने देश के लिए पहला ओलंपिक पदक जीता।

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पदक तालिका में जापान 10 स्वर्ण पदकों सहित 18 पदक जीत कर पहले स्थान पर,अमेरिका 9 स्वर्ण सहित कुल 25 पदक लेकर दूसरे स्थान पर और चीन 9 स्वर्ण पदक सहित कुल 21 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर है। भारत एक रजत के साथ पदक तालिका में 39वें स्थान पर पहुंच गया है।


टोक्यो ओलंपिक डायरी_3




26 जुलाई 2021

टोक्यो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धाओं का तीसरा दिन। 

कहते हैं चमक चाहे जितनी भी तेज क्यों ना हो धीरे धीरे मद्धिम होती जाती है बशर्ते उस चमक को कायम रखने का प्रयास ना किया जाय या फिर उसमें कुछ और जोड़ ना दिया जाय। प्रतिस्पर्धाओं के पहले ही दिन मीराबाई चानू ने रजत पदक की जो चमक भारतीयों के दिलों में बिखेरी थी वो मद्धिम पड़ने लगी है,क्योंकि भारतीय खिलाड़ी उसे आगे बढ़ाने में नाकामयाब होते दीख रहे हैं। शाम होते होते भारत के झोले में सिर्फ एक जीत जमा हो पाई।

कल दिन की शुरुआत तो बहुत ही पॉजिटिव नोट से हुई। फेंसिंग यानी तलवारबाजी में आज की शुरुआत सीए भवानी देवी ने जीत से की। वे इतिहास की निर्मिति तो पहले ही कर चुकी थीं। फेंसिंग एक ऐसा खेल है जिसमें पहली बार किसी भारतीय खिलाड़ी ने क्वालीफाई किया था। ये भवानी देवी थीं। वे फेंसिंग की साब्रे स्पर्द्धा में प्रतिभाग कर रहीं थीं। पहले दौर के मैच में उन्होंने आसानी से ट्यूनीशिया की नादिया अजिज़ी को 15-3 अंकों से हराया। अगले दौर में उनका मुक़ाबला विश्व नंबर तीन फ्रांस की मेनन ब्रूनेट से था। इस मैच में भी उन्होंने अच्छा खेल दिखाया। पर 7-15 से हार गयीं। और उनका सफर यहीं खत्म हुआ।

टेबल टेनिस में वेटेरन खिलाड़ी और चार बार के ओलंपियन अंचत शरथ कमल ने आज खेले गए पुरुषों के दूसरे दौर के मैच में पुर्तगाल के  टियागो अपोलोनिया को 4-2 से हराकर तीसरे दौर में प्रवेश किया। अगले दौर में उनका मुकाबला वर्तमान चैंपियन मा लांग से होगा। टेबल टेनिस में भारत की बस यही चुनौती बची है। बाकी दोनों महिला खिलाड़ी अपने मैच हार गईं।  तीसरे दौर के मैच में मोनिका बत्रा का मुकाबला 10वीं वरीयता प्राप्त ऑस्ट्रिया की सोफिया पोल्कानोवा से था। लेकिन मोनिका सीधे सेटों में 0-4 से हार गईं। वे हार भले ही गई हों पर वे भी एक इतिहास बना गयीं। वे ओलंपिक में टेबल टेनिस में तीसरे दौर में पहुंचने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी थीं। आज दूसरे दौर के एक अन्य मैच में सुतीर्था बैनर्जी पुर्तगाल की फु यू से सीधे सेटों में 0-4 से हार गईं।

तीरंदाजी की पुरुष टीम स्पर्द्धा में भारत की तिकड़ी अतनु दास,प्रवीण जाधव और तरुणदीप राय ने प्री क्वार्टर फाइनल में कजाकिस्तान की टीम को 6-2 से हराया। लेकिन क्वार्टर फाइनल में शीर्ष वरीयता प्राप्त टीम दक्षिण कोरिया से सीधे सेटों में 6-0 से हार गए। दक्षिण कोरिया ने इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक ताइपे को हराकर जीता। ताइपे को रजत और जापान को कांस्य पदक मिले।

बैडमिंटन में आज चिराग शेट्टी और ऋत्विक रेड्डी का मुकाबला इंडोनेशिया की केविन संजया सुकमूलजी और मार्कस फर्नाल्दी गिदोन की विश्व नंबर एक जोड़ी से था। नंबर एक जोड़ी की तेजी और आक्रामक खेल का भारतीय जोड़ी के पास कोई जवाब नहीं था। हालांकि उन्होंने पहले मैच में जोरदार संघर्ष किया पर अंततः वे ये मुक़ाबला 13-21 और 12-21 से हार गए। वे अभी भी ग्रुप ए से आगे बढ़ सकते हैं अगर वे अपने अगले मैच में इंग्लिश जोड़ी को हरा देते हैं और ताइपे जोड़ी इंडोनेशिया से हार जाती है तो।

उधर टेनिस में सुमित नागल का दूसरे दौर में मुकाबला विश्व नंबर 2 डेनिल मेदवेदेव से था। वे इस मुकाबले बड़ी आसानी से  सीधे सेटों में 2-6 और 1-6 से हार गए। इसी के साथ टेनिस में भी भारतीय चुनौती समाप्त हो गयी।

निशानेबाजों ने आज भी निराश किया। स्कीट स्पर्द्धा में कल भारत के मेराज अहमद खान 75 शॉट्स के बाद 26वें और अंगद वीर सिंह बाजवा 11वें स्थान पर थे। आज पूरे हुए क्वालीफाइंग मुकाबले में वे फाइनल में प्रवेश करने में नाकामयाब रहे। अंगद 18वें और मेराज 25वें स्थान पर रहे। इस इवेंट का स्वर्ण पदक अमेरिका के विंसेंट हैनकॉक ने जीता जबकि इसी स्पर्धा का महिलाओं का खिताब भी अमेरिका की एम्बर इंग्लिश ने जीता।

मुक्केबाजी में भी आज भारत को निराशा हाथ लगी। पुरुषों के मुकाबले में आज मिडिलवेट वर्ग में पहले ही दौर में आशीष कुमार चीन के ई तोहीता से 0-5 से हार गए। पहले ही दौर मे हारने वाले वे तीसरे भारतीय मुक्केबाज थे।

सेलिंग में यूं तो बहुत ज़्यादा अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी और अच्छा प्रदर्शन रहा भी नहीं। पुरुषों की एकल दिंघि लेजर स्पर्धा में भारत के विष्णु सरवनन दूसरी रेस में 20वें और तीसरी रेस में 24वें स्थान पर रहे। जबकि महिला वर्ग की एकल दिंघि लेज़र रेडियल स्पर्धा में नेत्रा कुमानन तीसरी रेस में 15वे और चौथी रेस में 40वें स्थान पर रही।

टोक्यो ओलंपिक में भारत की और से क्वालीफाई करने वाले एकमात्र तैराक साजन प्रकाश थे। आज 200 मीटर बटर फ्लाई स्पर्धा में 24वें स्थान पर रहे और सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके।

दिन ढलते ढलते भारतीय उम्मीदें भी ढलने लगी थी।शाम होते होते मानो आज के दिन की उम्मीदों की भी सांझ हो गई हो। इस सांझ को नाउम्मीदी की रात में बदलने का जो काम कल पुरुषों की हॉकी टीम ने किया था वो आज महिलाओं की हॉकी टीम ने किया। आज के भारत का अभियान महिला हॉकी टीम की हार से समाप्त हुआ। वे अपने पूल मैच में जर्मनी से 0-2 से हार गई। हालांकि भारतीय महिलाओं ने कड़ा संघर्ष किया और शानदार खेल दिखाया। पर आज टीम का दिन नहीं था। एक शॉट बार से टकरा गया। एक पेनाल्टी स्ट्रोक  जाया हुआ। मानों गेंद ने गोल में जाने से ही इनकार ही कर दिया हो। यदि आज भाग्य ने टीम का साथ दिया होता तो शायद परिणाम कुछ और होता। लेकिन परिणाम परिणाम होता है वो किंतु परंतु नहीं देखता।

जितना ये सच है कि परिणाम किंतु परंतु नहीं देखता उतना ही ये भी सच है कि योग्यता उम्र नहीं देखती। उसके लिए उम्र एक गिनती भर होती है। स्केट बोर्डिंग ओलंपिक में पहली बार शामिल किया गया। इस स्पर्द्धा का महिला वर्ग का खिताब जीता जापान की 13 वर्ष और 330 दिन की मोमीजी निशिया ने। वे स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की जापानी खिलाड़ी बन हैं। यहां कमाल की बात ये है कि इस स्पर्धा का रजत पदक ब्राज़ील की रायसा लील ने जीता। वे मात्र 13 साल और 202 दिन की हैं। और ये भी कि आज पुरुषों की निशानेबाजी की स्कीट स्पर्द्धा में कांस्य पदक जीतने वाले कुवैत के अब्दुल्ला-अल-रशीदी बस 57 वर्ष के हैं।

ये भी खबर ओलंपिक से ही है कि सर्बिया के जोकोविच गोल्डन ग्रैंड स्लैम प्राप्त करने की ओर आगे बढ़ गए हैं। आज उन्होंने जर्मनी के जान लेनार्ड स्टफ को हराकर पूर्व क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। वे स्टेफी ग्राफ के बाद गोल्डन ग्रैंड स्लैम करने वाले दूसरे खिलाड़ी होंगे।

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तो आज भारत का भाग्य भी एक वेटेरन 4 बार के ओलंपियन 39 वर्षीय अंचत शरथ कमल के कंधे बैठा। कल भारतीय दल के भाग्य का ऊंट किस करवट बैठता है  उसके लिए कल का इतंजार।

Sunday 25 July 2021

टोक्यो ओलंपिक डायरी_2



 टोक्यो ओलंपिक के तीसरा दिन। जैसे जैसे समय आगे बढ़ रहा है,प्रतिद्वंद्विताएँ कड़ी होती जा रही हैं, संघर्ष सघन होते जा रहे हैं,इमोशंस के रंग गाढ़े होते जा रहे हैं और निसन्देह प्रतिद्वंद्विताओं से फूटे नवरस के सोतों की धार तीक्ष्ण होती जा रहीं है। आज भी कुछ जीते,कुछ हारे। कुछ उम्मीदें परवान चढ़ी,कुछ औंधे मुँह गिरी। भारतीयों के लिए कुछ मुस्कुराने के लम्हे आये तो कुछ उदासियों के भी।

बैडमिंटन में कल पुरुष एकल में साई प्रणीत की हार के बाद पुरुष युगल में चिराग शेट्टी और ऋत्विक रेड्डी की जोड़ी ने विश्व नंबर तीन जोड़ी को हराकर जो टेम्पो बनाया उसे आज पदक की संभावित विजेता  पीवी सिंधू ने बनाये रखा। सिंधु ने इजराइल की पोलिकार्पोवा को 21-07 और 21-10 से आसानी से 29 मिनट हराकर अगले चक्र में प्रवेश किया। उन्होंने अपने दमदार प्रदर्शन से बताया क्यों वे पदक की सबसे प्रबल दावेदार हैं।

टेबल टेनिस में मोनिका बत्रा ने अपने पहले दौर की धार बनाए रखी,लेकिन जी साथियन के हाथों से सफलता फिसल गई।  टेबल टेनिस में पुरुष और महिला एकल के मुकाबले एकदम विपरीत परिणामों के साथ समाप्त हुए। मोनिका बत्रा का  का मुकाबला  अपने से कहीं ऊपर वाली रेंक की खिलाड़ी यूक्रेन की पेसोत्सका से था। मोनिका ने धैर्य,संघर्ष और संयम का परिचय देते हुए 3 के मुकाबले 4 गमों में जीत दर्ज की। उन्होंने शानदार कमबैक किया और एक संघर्षपूर्ण मैच में जीता। शुरुआती दो गेम से पिछड़ने के बाद वे 2-2 की बराबरी पर आईं। पांचवां गेम हार कर एक बार फिर 2-3 से पिछड़ गईं। पर आखरी दो गेमों में उन्होंने शानदार खेल के बल पर प्रतिद्वंदी को 4-3 से मात दी। लेकिन इसके एकदम विपरीत विश्व के 38वीं रैंकिंग के खिलाड़ी जी साथियन आगे होते हुए भी अपने से कम रैंकिंग वाले हांगकांग के लाम सीयू हांग से हार गए।  एक समय वे 3-1 आगे थे लेकिन अंतिम तीन गेम हारकर मैच गवां बैठे।

खुशनुमा  सुबह में हल्की उदासी का रंग भरा टेनिस में सानिया मिर्ज़ा और अंकिता रैना की जोड़ी की हार ने। वे पहले ही दौर में यूक्रेन की एल किचेनोक और एन कीचेनोक की जुड़वां बहनों की जोड़ी से 6-0,6-7(0-6),और 8-10 से हार गई। दरअसल एक अच्छी शुरुआत का निराशाजनक अंत हुआ। उन्होंने पहला सेट 6-0 से जीता और उसके बाद दूसरे सेट में 5-3 पर सानिया मैच के लिए सर्व कर रही थीं कि जोड़ी खेल की लय को बरकरार नहीं रख पाई और मैच हार गई।

निशानेबाजी में भारत को पदकों की सबसे ज़्यादा उम्मीद थी और अभी भी है। इसके वाजिब वजहें भी हैं। इस बार अब तक के सबसे ज़्यादा निशानेबाजों ने क्वालीफाई किया है और ज़्यादातर शूटर टॉप रैंकिंग वाले हैं। लेकिन अभी तक सबसे ज़्यादा निराश शूटरों ने ही किया।

आज 10 मीटर महिला एयर पिस्टल स्पर्धा में युवा मनु भाकर 12वें और वाई एस देसवाल 13वें स्थान पर रहीं और क्वालीफाइंग दौर से ही बाहर हो गईं। कई बार आपके प्रयासों में कमी नही होती पर दिन आपका नहीं होता,किस्मत आपका साथ नहीं देती,आप अनहोनी से हार जाते हैं। आज मनु भाकर ऐसे ही हारीं। उन्होंने शानदार शुरूआत की। 100 में से 98 अंक जुटाए। लेकिन उनकी पिस्टल खराब हो गयी। उसको मैनेज करने में अब पर्याप्त समय खराब हो चुका था। लेकिन इस युवा शूटर की तारीफ करनी चाहिए इतना समय खराब होने के बाद वो स्पर्धा में लौटी अपने शाट्स पूरे किए और 11वें स्थान पर रहीं। दी हुई परिस्थितियों में ये निसन्देह आश्वस्तकारी प्रदर्शन था। 

 पुरुषों की  10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में दीपक कुमार 26वें और दिव्यांश पंवार 32वें स्थान पर रहे।  स्कीट स्पर्धा में भारतीय शूटर मेराज अहमद खान 71 शॉट्स के साथ 25वें स्थान पर हैं और फाइनल की दौड़ से इस इवेंट में बाहर हैं। अंगद सिंह बाजवा 73 अंकों के साथ 11वें स्थान पर है और सोमवार को जब पुनः रेंज पर लौटेंगे तो फाइनल उनकी जद में होगा।

मुक्केबाजी में कल विकास कृष्ण पहले दौर में हारे तो आज 63 किग्रा लाइटवेट कैटेगरी में मनीष कौशिक एक बहुत ही करीबी मुकाबले में ब्रिटेन के ल्यूक मैकॉरमक से हार गए। लेकिन महिलाओं ने भारतीय झंडा बुलंद रखा। सी मेरी कॉम ने अपने अभियान का आगाज़ डोमिनिका रिपब्लिक की एम हर्नांडेज को 4-1 से हराकर किया। 38 साल की उम्र में मेरीकॉम ने जिस तरह प्रदर्शन अपने से 15 साल छोटी प्रतिद्वंदी के साथ आज किया वो आश्वस्त करने वाला है कि उनके मुक्कों से भारत के लिए एक पदक निकलने वाला है। 

आज का सबसे अप्रत्याशित परिणाम अर्जुन लाल और अरविंद सिंह ने लाइटवेट डबल स्कल स्पर्धा में दिया। ज्यादातर भारतीय उनसे और उनके इवेंट से भी परिचित नहीं होंगे। लेकिन आज उन्होंने रेपीचेज में तीसरा स्थान प्राप्त कर सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

लेकिन जैसे जैसे दिवस अवसान पर था मानो भारत की कीर्ति का भी क्षय हो रहा था। इसे अंजाम दिया पुरुषों की हॉकी टीम ने। पुरुष हॉकी में भारत का पूल का दूसरा मैच शक्तिशाली टीम ऑस्ट्रेलिया से था। ये मैच भारत  1-7 से हारा। लड़कर हारना एक अलग बात होती है। लेकिन जो स्कोरलाइन आज के मैच की थी वो निराश करने वाली है। जब जब ये उम्मीद होती है कि भारत हॉकी की अपनी खोई प्रतिष्ठा को पाएगा, तभी उम्मीद टूट जाती है। आज की हार से भारतीय हॉकी की कीर्ति भी निस्तेज सूरज की तरह प्रशांत महासागर में डूब गई। हालांकि हॉकी में अभी भी आगे बढ़ने की उम्मीद बाकी है क्वार्टर फाइनल में जाने की।

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कुल मिलाकर आज की उम्मीद तीन लड़कियों-मोनिका,सिंधु और मेरी कॉम के मजबूत कांधों के रास्ते परवान चढ़ी। उम्मीद की जानी चाहिए कि कल सुबह सूर्य देवता की सुनहरी चमक भारतीयों के गले मे भी सुशोभित होगी।

टोक्यो ओलंपिक डायरी_1



 दुनिया का खेल का सबसे बड़ा रंगमंच सज चुका है। उससे पर्दा उठ चुका है। आज से उगते सूरज की धरती पर 32वें ओलंपिक खेलों की शुरुआत हो चुकी है। जहां 33 खेलों की 339 स्पर्धाओं में 200 से ज़्यादा देशों के 11300 से भी ज़्यादा खिलाड़ी अपने हुनर, अपनी काबिलियत और अपने खेल कौशल का प्रदर्शन करने को कमर कस चुके हैं।

दरअसल ये मानवीय क्षमताओं के चर्मोत्कर्ष के प्रदर्शन का मंच है। जहां हर प्रतिस्पर्धी खुद को 'और अधिक मजबूत,और अधिक ऊंचा,और अधिक तेज'साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। इस प्रयास में आपको एक दूसरे की आंखों में आंखें डाले और आंखे तरेरते प्रतिद्वंदी मिलेंगे तो गले मिलते दोस्त भी मिलेंगे। एक दूसरे को कमतर साबित करने वाले दुश्मन मिलेंगे तो हौसला देते सहयोगी भी मिलेंगे। 

यहां खिलाड़ियों की अतिमानवीय क्षमताओं का प्रदर्शन होगा और उनके अद्भुत खेल कौशल का भी। यहां जीत होगी और  हार भी। खुशी से दमकते चेहरे भी होंगे और ग़म से भीगी आंखें भी। खुशी से बहते शहद से मीठे आँसू होंगे तो ग़म से नमक से खारे हुए आंसू भी। चेहरों से झरती खुशियाँ होंगी और और चेहरों से टपकती उदासी और मायूसी भी। कुछ सपने हकीकत में बदल जाएंगे और उनके माथे सज जाएंगे तो कुछ सपने टूट कर किरच किरच बिखर जाएंगे जिससे हुए घावों से उदासी रिसती रहेगी। खुशी और ग़म,हंसी और उदासी,प्रेम और क्रोध, सहजता और उद्विग्न ता सब एक साथ होंगे। भावनाओं का हर रंग वहां  बरसेगा और हर रस वहां बहेगा। इन सब के बीच अगर वहां कुछ नहीं होगा तो इस रंग में रंगने वाले और और नवरस का पान करने वाले दर्शक नहीं होंगे। वे इसे सिर्फ टीवी के माध्यम से महसूस रहे होंगे।


और आज पहले दिन ही भारतीय दर्शकों ने ये सब  महसूसा। भारतीय खिलाड़ी जीते भी और हारे भी। उम्मीदें भी जगी और मायूसी भी हाथ लगी। किसी का चेहरा पदकों की चमक से दमका तो कुछ के चेहरे बेनूर भी हुए।

निसन्देह पहला दिन मीराबाई चानू के नाम रहा। मानो उगते सूरज के देश में उगते सूरज ने उगते ही अपनी चमक का एक अंश चानू के गले मे पदक के रूप में सुरक्षित कर दिया हो। 49 किलोग्राम वर्ग में चानू ने स्नैच व क्लीन एंड जर्क में कुल 202 किलोग्राम वजन उठाकर वेटलिफ्टिंग में रजत पदक जीतकर 2000 के सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी द्वारा जीते गए कांस्य पदक के रंग को रुपहले रंग में परिवर्तित कर दिया।


चानू की जीत दरअसल अभावों,निराशाओं और विफलताओं की सांझ को दृढ़ संकल्पों,उम्मीदों और उपलब्धियों के उगते सूरज में बदलने की कहानी है। ये 2016 का रियो ओलंपिक था। चानू वहां भी भाग ले रही थीं। लेकिन वे क्लीन एंड जर्क के तीन प्रयासों में विफल रहीं और पदक की उम्मीदें निराशाओं के अटलांटिक महासागर में डूब गई थीं। लेकिन सिर्फ उस ओलंपिक में पदक की उम्मीद भर डूबी थीं,चानू की आगे बढ़ने की उम्मीद,उनका संकल्प,उनके इरादे इस विफलता से और मजबूत हुए थे।

रियो और टोक्यो के बीच के 5 सालों में चानू ने बताया कि आपके इरादे मजबूत हो तो आप आसमां छू सकते हो। वे रियो की विफलता को पीछे छोड़ चुकी थीं और अपनी वेट कैटेगरी में विश्व चैंपियन बन चुकी थीं। निसन्देह वे जब टोक्यो ओलंपिक में जा रही थीं तो वे भारतीयों की सबसे बड़ी उम्मीदों में एक थीं।

समाज में लड़कियों को बचपन से ज़िम्मेदारियों से लाद दिया दिया जाता है। घर की,परिवार की,समाज की तमाम ज़िम्मेदारियों से। और ज़िम्मेदारियां उम्मीदों में बदल जाती हैं पता ही नहीं चलता। अगर कुछ पता होता है तो सिर्फ ये कि उम्मीदों पर भी जिम्मेदारियों की तरह ही खरा उतरना है। घर का चूल्हा जलाने के लिए जंगल से जलावन लाने की ज़िम्मेदारी कब देश की पदक की उम्मीद में बदल गई, ये भले ही पता ना चला हो पर उस उम्मीद पर वे खरी उतरीं।

जिस देश की राजधानी में उत्तर पूर्व के लोगों के साथ देश के लोग बदसलूकी कर रहे हों उस जगह की एक लड़की उन्हीं लोगों के माथे पर एक पदक टांग रही होती है और उन लोगों के साथ देश का माथा गर्व से ऊंचा कर रही होती है। 

चानू को एक सलाम  तो बनता है।

हॉकी में पुरुषों में न्यूज़ीलैंड को 3-2 से हराया। लेकिन महिलाओं ने आधे समय तक शानदार खेल दिखाते हुए नीदरलैंड को 1-1 से बराबरी पर रोके रखा। हालांकि वे 1-5 से हार गईं। बॉक्सिंग में खराब शुरुआत हुई। विकास कृष्ण जापान के ओका जावा से हार गए। तो बैडमिंटन में चिराग शेट्टी और ऋत्विक की जोड़ी ने शानदार आगाज़ किया। उन्होंने विश्व नंबर तीन ताइपे जोड़ी को हराकर अगले राउंड में प्रवेश किया। लेकिन एकल में साई प्रणीत इजरायल के खिलाड़ी से हार गए। तीरंदाजी में प्रवीण जाधव और दीपिका कुमारी की जोड़ी अच्छी शुरुआत करने के बाद क्वार्टर फाइनल में कोरिया की जोड़ी से हार गए। 

10 मीटर एयर रायफल स्पर्धा में अभिषेक वर्मा फाइनल के पहुंचने में असफल रहे।लेकिन न्यू सेंसेशन सौरभ चौधरी क्वालिफिकेशन राउंड में प्रथम स्थान के साथ फाइनल में प्रवेश किया। हालांकि अपना प्रदर्शन वे फाइनल में बरकरार नहीं रख पाए और सातवें नंबर पर रहे। पर उनका प्रदर्शन उम्मीद जागता है कि उनका भविष्य उज्जवल है और भारत की पदकों की उम्मीद भी। 10 मीटर राइफल की महिलाओं की स्पर्द्धा में इलावेलिन और पूर्वी चंदेला फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं। टेबल टेनिस में मोनिका बत्रा ब्रिटेन की टिन टिन हो को हराकर अगले चक्र में पहुंची।लेकिन शरथ अंचत और मोनिका की जोड़ी मिक्स डबल में ताइपे की जोड़ी आए हार गए। टेनिस में सुमित नागल ने डेनिस इस्तोमिन को तीन सेटों में हराया।

कुल मिलाकर दूसरे दिन भारत का प्रदर्शन मिला जुला रहा। लेकिन 2016 के रियो को याद कीजिए जहां पहले दस बारह दिन भारत पदकों के लिए तरस गया था। यहां पहले ही दिन चानू के रजत पदक की बदौलत पदक तालिका में नाम दर्ज करा लिया।

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उम्मीद की जानी चाहिए। आज के प्रदर्शन को भारत के खिलाड़ी बनाए रखेंगे।

Friday 23 July 2021

बक्स इन सिक्स





इतिहास अपने को दोहराता है'। ये वाक्य हम बार बार दोहराते जाते हैं। और खेलों की बात करते हुए तो ऐसा निश्चित तौर पर होना ही होता है। 2018 में रूस में विश्व कप फुटबॉल फाइनल्स खेला जा रहा था। फ्रांस की टीम में 19 साल का एक अफ्रीका मूल का खिलाड़ी था एम बापे। लीग मैच में पेरू के विरुद्ध उसने फाइनल्स का अपना पहला गोल किया तो विश्व कप में फ्रांस की तरफ से गोल करने वाला सबसे युवा खिलाड़ी था। उसके बाद क्वार्टर फाइनल मेस्सी की अर्जेंटीना के विरुद्ध दो गोल किए और उसे 4-3 से हराकर विश्व कप से बाहर कर दिया। उसे 'मैन ऑफ द मैच' घोषित किया गया। फिर फाइनल में  25 मीटर से एक शानदार गोल किया। इस प्रकार अपने शानदार प्रदर्शन से उसने फ्रांस को विजेता ही नहीं बनाया बल्कि वो विश्व कप का सर्वश्रेष्ठ युवा फुटबॉलर भी चुना गया। 

2021 में यूरोप से सैकड़ों मील दूर अमेरिका में एनबीए में मिलवॉकी बक्स की टीम में अफ्रीकी मूल का युवा ग्रीक खिलाड़ी गिनिस अंतेतोकोम्पो था। वो मैच दर मैच शानदार खेल रहा था और अपनी टीम को एनबीए फाइनल्स में पहुंचा रहा था।

फाइनल में मिलवॉकी बक्स का मुकाबला फीनिक्स सन्स से था। बेस्ट ऑफ सेवन सीरिज में सन्स पहले दो मैच जीत चुकी थी। और लग रहा था कि 53 सालों के इतिहास में अपना पहला एनबीए खिताब बस जीतने ही जा रही है। लेकिन नियति और अंतेतोकोम्पो को ये मंज़ूर नहीं था। उसने अगले तीन मैचों में शानदार खेल का मुज़ाहिरा किया और अब बक्स 3-2 आगे थी।

और तब पिछले बुधवार की रात को सीरीज के छठवें मैच में मिलवॉकी बक्स'फिसर्व फोरम'एरीना में फीनिक्स सन्स को होस्ट कर रही थी। यहां पर मानो अंतेतोकोम्पो ने  तय कर लिया था कि सातवें मैच में वापस फीनिक्स नहीं जाना है और फाइनल्स यहीं खत्म कर देना है। और यही हुआ भी। मैच की ज़ब अंतिम व्हिसिल बजी तो स्कोर  बक्स के पक्ष में 105-98 था। बक्स की टीम फाइनल्स 4-2 से जीतकर 50 सालों के लंबे अंतराल के बाद दूसरी बार चैंपियन बन गयी थी और अंतेतोकोम्पो फाइनल्स के एमवीपी।

इस मैच में अंतेतोकोम्पो ने 50 अंक बनाए। 14 रीबाउंड्स लिए और 05 शॉट्स ब्लॉक किए। ये एनबीए फाइनल्स के इतिहास के सबसे शानदार प्रदर्शनों में से एक था। फाइनल्स में उसका औसत प्रति गेम 35.2अंक,13.2रीबाउंड्स और 5.0असिस्ट का था। वो एनबीए इतिहास में केवल तीसरा खिलाड़ी है और सबसे युवा भी जिसे  एमवीपी, फाइनल्स एमवीपी और बेस्ट डिफेंडर ऑफ द ईयर' तीनों खिताब प्राप्त हुए हैं। वो एक आल राउंड खिलाड़ी है। जो एक तरफ शानदार शूटिंग करता है और रिकॉर्ड अंक अर्जित करता है तो दूसरी तरफ शानदार डिफेंस भी करता है और विपक्षी टीम के सामने किसी चट्टान की तरह अड़ा रहता है।

 लेकिन मिलवॉकी बक्स की इस जीत में एक और खिलाड़ी ने योगदान किया। वो था ख्रिस मिडलटन। वे दोनों एक साथ बक्स में 2013 में शामिल हुए थे। पहले अंतेतोकोम्पो ड्राफ्ट हुए और उसके लगभग 34 दिन बाद टीम में अदला बदली के माध्यम से पिस्टन से बक्स में आए।

 इस साल का ईस्टर्न कांफेरेंस का फाइनल बक्स और अटलांटा हॉक्स के बीच था। सीरीज 2-2 से बराबरी के बाद पांचवे गेम में अंतेतोकोम्पो को चोट लगी तो ये मिडलटन ही था जिसने ट्रू हॉलिडे के साथ मिलकर गेम 5 और 6 में बक्स को जीत दिलाई और एनबीए के फाइनल में पहुंचाया। बात यहीं खत्म नहीं होती। उसके बाद एनबीए फाइनल में  2-0 से पिछड़ने के बाद तीसरे गेम में अंतेतोकोम्पो ने 41 अंक बना कर अपनी टीम बक्स को जीत दिलाई तो चौथे महत्वपूर्ण गेम में मिडलटन ने 40 अंक बनाकर जीत दिलाई। ये फाइनल्स में केवल तीसरी जोड़ी थी जिसने 40+अंक बनाए। जीत के बाद उनके साथी ट्रू हॉलिडे ने कहा 'मिडलटन हमारा दिल है और अंतेतोकोम्पो आत्मा। इनकी वजह से ही हम आज यहां हैं।'


दरअसल ये जोड़ी अपनी टीम के लिए 1971 में करीम अब्दुल जब्बार और ऑस्कर रोबर्टसन द्वारा किए गए कारनामे को दोहरा रही थी। 1971 में करीम-रोबर्टसन की जोड़ी ने अपनी टीम को एनबीए में शामिल होने के तीन साल के भीतर ही चैंपियन बना दिया था। इसके बाद दोबारा चैंपियन बनने के लिए मिलवॉकी को आधी सदी तक इंतज़ार करना पड़ा।

इस बार की फाइनल की दोनों टीमों के बीच बहुत कुछ साझा था। दोनों ही टीमें 1968 में एनबीए में एक्सपेंशन टीम के तौर पर शामिल हुए थीं। दोनों ही तीसरा फाइनल खेल रही थीं।  इससे पहले फीनिक्स 1976 और 1993 फाइनल में पहुंची थी। जबकि बक्स 1971 और 1974 में। अंतर बस इतना था कि बक्स एक बार 1971 में चैंपियन बन चुकी थी और फीनिक्स सन्स को इसका अभी भी इंतज़ार था और अभी भी है। हालांकि फीनिक्स इस बार बेहतर टीम थी और बेहतर प्रदर्शन के साथ एनबीए के फाइनल में पहुंची थी,पर किस्मत और अंतेतोकोम्पो बक्स के साथ थे।

'इट्स कमिंग होम'गीत आपको याद होगा। ये गीत इंग्लिश फुटबॉल का एंथम बन गया है। हर बड़ी प्रतियोगिता में इंग्लिश टीम की जीत की आशा में इस गीत को उसके समर्थक गाते हैं। ठीक इसी तरह से 'बक्स इन सिक्स' बक्स समर्थकों के लिए सबसे पसंदीदा फ्रेज बन गया,जो इस बार पूरे फाइनल्स के दौरान एरीना के भीतर और एरीना के बाहर गूंजता रहा। और जब छठे गेम में बक्स फीनिक्स को हरा कर दूसरी बार चैंपियन बन रहे थे तो इस फ्रेज से पूरा मिलवॉकी शहर गुंजायमान हो रहा था।

इंग्लिश फुटबॉल प्रेमियों के लिए 'इट्स कमिंग होम'का सपना भला ही पूरा ना हो पाया हो पर बक्स समर्थकों के लिए 'बक्स इन 6'चरितार्थ हो रहा था।

एनबीए में नए सितारे अंतेतोकोम्पो के उदय का जश्न तो बनता ही है। तो जश्न मनाइये और एनबीए के नए चैंपियन मिलवॉकी बक्स को बधाई दीजिए। और हां ये कहना मत भूलिएगा --
                   'बक्स इन सिक्स'
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ब्रैंडन जेंनिंग्स दरअसल मिलवॉकी का अहम खिलाड़ी था जिसने 2013 में  एक बेहतर टीम मियामी हीट्स के विरुद्ध प्ले ऑफ सीरीज में 6वें गेम में बक्स टीम की जीत की भविष्यवाणी की थी। हालांकि ये भविष्यवाणी उस समय फलीभूत नहीं हुई लेकिन तभी से ये बक्स समर्थकों के लिए एक बड़ी चाहना बन गयी और उनके बीच लोकप्रिय फ्रेज बन गया 'बक्स इन सिक्स'।

Sunday 11 July 2021

अधूरी ख्वाहिशों वाली जीत

 


स्टॉप वाच द्वारा 90 के ऊपर 04 मिनट और दर्शाए जाने के साथ ही रैफरी द्वारा खेल समाप्त होने की अंतिम लम्बी सीटी बजाई गई और अर्जेंटीना टीवी द्वारा उद्घोष किया गया 'अर्जेंटीना चैंपियन है,मेस्सी चैंपियन है'। इसी के साथ रियो डी जेनेरो के ऐतिहासिक 'माराकाना स्टेडिया' के मैदान में एक अद्भुत दृश्य नमूदार हो उठा। 

 'अधूरी ख्वाहिशों के देवता' की आँखें ख़ुशी से नम हो आयी थीं और ये नमी इतनी भारी थी कि वो घुटनों के बल मैदान पर बैठ गया। वो शायद उस मैदान को धन्यवाद करना चाहता था जिसने इससे पहले कई बार उसकी एक अदद ख्वाइश को पूरा होने से रोका था। अब उसे उसके साथियों ने घेर लिया। अपने हाथों में उठाया। और हवा में उछाल दिया। वे उसे अनुभव कराना चाहते थे कि अनंत काल से प्रतीक्षित एक अधूरी ख़्वाहिश के पूरा होने पर कोई व्यक्ति किस तरह फील करता है,जब उसके पाँव जमीं पर नहीं होते और वो हवा में उड़ता है। निश्चित ही उन आखों की शहद सी मीठी नमी में नीली और सफ़ेद धारियों वाली जर्सी में कोई बड़ा खिताब ना जीत पाने की अब तक संचित सारी वेदना और आलोचनाओं की कड़वाहट निथर गयी होगी।  

ये कोपा अमेरिका कप 2020 का अंतिम मुकाबला था। ब्राज़ील और अर्जेंटीना की टीमों के बीच।  ये दो टीमों के बीच भर मुकाबला नहीं था बल्कि ये दो चिर प्रतिद्वंदियों के बीच मुकाबला था। विश्व फुटबॉल की दो सिरमौर टीमों के बीच मुकाबला था जिन्होंने अब तक सात विश्व कप जीते थे। ये कई मायने में आज शाम यूरो कप के फाइनल से बड़ा मुकाबला था। ये दो महान खिलाड़ियों नेमार और मेस्सी के बीच भी मुकाबला था जो 2013 से 2017 एक साथ कैम्प नाउ के लिए तमाम मुकाबलों में एक साथ खेले और जीते।

ये मैच जीता अर्जेंटीना ने 1-0 से। मैच का एकमात्र गोल 22वें मिनट में एंजेल डी मारिया ने किया। उन्हें अपने साथी मिडफील्डर रोड्रिगो डी पॉल के लम्बे पास को मारिया ने थामा,ब्राज़ीली डिफेंडर रेनान लोदी को चकमा दिया और गोलकीपर एडरसन के ऊपर से गेंद उछाल दी। गेंद नेट में जा धसीं।   गेंद का गोल नेट में धसना भर नहीं था बल्कि ब्राज़ीली खिलाड़ियों के दिल में किसी फांस का धंस जाना था जो लम्बे समय तक उन्हें चुभती रहेगी। ये मैच का एकमात्र गोल था। इस गोल के बाद अर्जेंटीना की टीम खासी रक्षात्मक हो गई।  जबकि ब्राज़ील ने बहुत आक्रामक रुख अपनाया पर गोल ना कर सकी। 

ये बहुत ही शिद्दत से खेला गया मैच था। ऐसा होना भी लाज़िमी था। ये क्लासिक प्रतिद्वंदिता जो थी। लेकिन कई बार हद से ज़्यादा इन्टेन्सिटी खेल की लय को बिगाड़ देती है। इस मैच में भी ऐसा ही हुआ। इस पूरे मैच में कुल 41 फ़ाउल हुए। जिसने खेल की गति और लय दोनों को बाधित किया। और इसी वजह से खेल उन ऊंचाइयों पर नहीं पहुँच सका जहां इसे पहुंचना चाहिए था। हालांकि इस मैच में  41 के मुक़ाबले ब्राज़ील का बॉल पजेशन 59 फीसदी रहा।  अर्जेंटीना के 06 बार के मुकाबले ब्राज़ील ने 13 बार गोल पर निशाना साधा। ये दीगर बात है कि निशाने पर दोनों टीमें केवल दो बार ही निशाना साध सकी। 

अंततः मैच अर्जेंटीना ने जीता। शायद ये उनका दिन था। या ये कि उनके पास जीतने का एक भावात्मक उद्देश्य था। फाइनल की पूर्व संध्या पर एंजेल डी मारिया कह रहे थे 'मेस्सी हमसे एक कदम आगे हैं बाकी हम सब एक नाव में सवार हैं। आप समझ सकते हैं हमारे लिए जीत के क्या मायने हैं।' वे इसे अपने लिए जीतना चाहते थे, अर्जेंटीना के लिए जीतना चाहते थे  और सबसे बड़ी बात वे इसे मेस्सी के लिए जीतना चाहते थे और उन्होंने कर दिखाया। आप 2011 के क्रिकेट विश्व कप में भारत की जीत को याद कीजिए। वे इसे अपने लिए जीतना चाहते थे,वे इसे भारत के लिए जीतना चाहते थे और वे इसे अपने भगवान सचिन के लिए जीतना चाहते थे। और उन्होंने ऐसा किया।  अब सचिन को कंधे पर उठाएं भारतीय टीम के वानखेड़े स्टेडियम के लगाए चक्कर के दृश्य से मेस्सी को हवा में उछाले जाने वाले दृश्य से कीजिए।  महानतम लोगों में ऐसी ही समानताएं हुआ करती हैं। 

निसंदेह ये जीत अर्जेंटीना के लिए, उनकी टीम के खिलाड़ियों के लिए,उनके प्रसंशकों के लिए और खुद मेस्सी के लिए भावनात्मक क्रिया थी। ये 'अभी नहीं तो कभी नहीं' वाली प्रक्रिया थी। मेस्सी के पास सब कुछ था।  उनके पास 10 ला लीगा खिताब थे,04 चैंपियंस ट्रॉफी थीं और 06 बैलन डी ओर खिताब थे।  लेकिन ये सब कुछ लाल और नीली धारी वाली जर्सी ने दिया था। हल्क़े नीले और सफ़ेद रंग की धारी वाली जर्सी के हाथ खाली थे। दरअसल उस जर्सी के ये खाली हाथ फुटबाल के देवता के देवत्व पर प्रश्नचिन्ह थे। ये दरअसल 'मेरे पास सबकुछ है पर मेरे पास माँ नहीं है' वाली बात थी। तमाम लोग ये मानते हैं वे नीली सफ़ेद जर्सी में उस शिद्दत से नहीं खेलते जिस शिद्द्त से लाल नीली जर्सी में खेलते हैं। उन्हें एक बार कोलंबिया के विरुद्ध मेस्सी को खून से सने चेहरे के साथ खेलते देखना चाहिए।  उन्हें समझ आएगा कि एक खिलाड़ी के लिए अपने देश की जर्सी पहनना क्या होता है। ये ज़रूर है कि फाइनल में मेस्सी उस लय में नहीं दिखे जिस रंग में वे पूरे टूर्नामेंट में थे। पर ये मेस्सी ही थे जिन्होंने अर्जेंटीना को फाइनल तक पहुंचाया।  उन्होंने कुल चार गोल किए और पांच असिस्ट। उन्हें प्रतियोगिता का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर आंका गया। अर्जेंटीना टीम के मैनेजर लिओनल स्कलोनी कहते हैं 'अगर आप जानते हो कि वे (मेस्सी) कोपा अमेरिका कप में कैसा खेले तो आप उन्हें भी ज़्यादा चाहने लगोगे।' आप अंदाज़ा लगा सकते हो वे कैसा खेले होंगे। 

क्या ही कमाल है कि ब्राज़ील की सुप्रसिद्ध खेल पत्रकार फैबिओला एंड्राडे ने अर्जेंटीना की जर्सी पहने अपना फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और लिखा वे ब्राज़ील के बजाए अर्जेंटीना का समर्थन करती हैं क्योंकि मेस्सी ये खिताब डिज़र्व करते हैं।  ऐसा करने या मानने वाली वे अकेली ब्राज़ीली नहीं थीं।  ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा थी। इसी से खीज कर नेमार ने लिखा 'मैं सबकी भावनाओं की क़द्र करता हूँ। वे भाड़ में जाएँ।' ये एक उदाहरण भर है कि विश्व फुटबॉल में मेस्सी का क्या दर्जा है।  

मेस्सी ने देश के लिए चार विश्व कप फाइनल्स और छह कोपा कप खेले।  ये दुर्भाग्य ही था कि वे इससे पहले वे एक भी नहीं जीत पाए। 2014 में अर्जेंटीना विश्व कप फाइनल्स के फाइनल में पहुंचा। लेकिन इसी मैदान पर जर्मनी ने मेस्सी का सपना तोड़ दिया। मेस्सी तीन बार कोपा कप के फाइनल में खेले 2007,2015 और 2016 में। तीनों बार चूक गए। 07 में ब्राज़ील ने और 15 व 16 में चिली ने अप्सरा की तरह मानो विश्वामित्र की पूर्ण देवत्व की अबाध साधना को भंग कर दिया।  2016 के न्यूजर्सी में चिली के विरुद्ध खेले गए फाइनल को याद कीजिए। मैच पेनाल्टी शूटआउट में पहुंचा।  मेस्सी ने पहली पेनाल्टी ली।  ये शॉट गोलपोस्ट के ऊपर से निकल गया।  इस पेनाल्टी शॉट की थोड़ी सी अतिरिक्त ऊंचाई ने उन्हें निराशा की अतल गहराइयों में धकेल दिया। उन्होंने राष्ट्रीय टीम से अलग होने का  फैसला किया। लेकिन वे जल्द ही वापस लौटे। ये अकेला अवसर नहीं था जब वे निराश होकर राष्ट्रीय टीम से हटे। पर वे हर बार वापस लौटे। अंततः उन्हें वो मिला जिसकी उन्हें सबसे ज़्यादा चाहना थी।  

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ये एक ऐसी जीत थी जिसकी मेस्सी को ही नहीं अर्जेंटीना को भी बहुत अधिक चाहना थी। ये अर्जेंटीना की 1993 बाद पहली बड़ी जीत थी। और निःसंदेह संभव किया एंजेल डी मारिया ने -अपने लिए,अर्जेंटीना के लिए और मेस्सी के लिए। मारिया खुद भी हीरो माफिक हो गए। वे चैंपियंस लीग फाइनल और कोपा कप फाइनल दोनों में मैन ऑफ़ द मैच चुने जाने वाले पहले खिलाड़ी बने।  तो बधाई एंजेल डी मारिया। अर्जेंटीना का पुराना गौरव लौटा। बधाई टीम अर्जेंटीना।  और मेस्सी एक सम्पूर्ण खिलाड़ी बनने की और अग्रसर हुए। बधाई लिओनल आंद्रेस मेस्सी। 


 

Friday 9 July 2021

निशाने पर तीर




जब भी पेरिस की बात होती है तो राफेल नडाल,फ्रेंच ओपन और रोलां गैरों की लाल मिट्टी की बात होती है। सेंट जर्मेन फुटबॉल क्लब और उसके अद्भुत खिलाड़ी नेमार की बात होती है। उन गलियों की बात होती जिन गलियों में एमबापे अपराधियों के बीच फुटबॉल के गुर सीखता है और फ्रांस को विश्व चैंपियन बना देता है। 1900 और 1924 के ओलंपिक की बात होती है।

    और साथ ही बात होती है 2024 में होने वाले ओलंपिक की। लेकिन अब से जब भी पेरिस की बात होगी तो दीपिका कुमारी और विश्व तीरंदाजी प्रतियोगिताओं में उनके शानदार प्रदर्शन की भी बात होगी।

    21 से 27 जून तक फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित विश्व कप तीरंदाजी स्टेज 3 प्रतियोगिता में उन्होंने स्वर्ण पदकों की हैट्रिक पूरी की। सबसे पहले रिकर्व कैटेगरी में अंकिता भाकत और कोमालिका बारी के साथ महिला टीम का स्वर्ण पदक जीता। उसके बाद अपने पति और कोच अतानु दास के साथ मिश्रित टीम का स्वर्ण और अंत में व्यक्तिगत स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता। हालांकि यहां उल्लेखनीय है कि विश्व नम्बर एक दक्षिण कोरिया, चीन और ताइपे जैसी टीमें इन विश्व कप सीरीज में भाग नहीं ले रही हैं। लेकिन इससे दीपिका की उपलब्धियों का महत्व कम नहीं हो जाता। 

दरअसल वे ऐसा पहली बार नहीं कर रहीं थीं। ये विश्व कप में व्यक्तिगत स्पर्धा का उनका चौथा स्वर्ण पदक था। इससे पूर्व 2012 में अंताल्या में,2018 में साल्ट लेक सिटी में और इसी साल ग्वाटेमाला में भी सोने का तमगा जीत चुकी हैं।

विश्व कप में उनके हिस्से अब तक कुल मिलाकर 10 स्वर्ण,13 रजत और 05 कांसे के तमगे आ चुके हैं। इतना ही नहीं वे अब तक राष्टमंडल खेलों में दो स्वर्ण, एशियाई खेलों में एक कांस्य,एशियाई चैंपियनशिप में एक स्वर्ण, दो रजत और तीन कांसे और विश्व चैंपियनशिप में दो रजत पदक सहित लगभग 40 अंतरराष्ट्रीय तमगे हासिल कर चुकी हैं। 

लेकिन पेरिस में स्वर्ण पदकों की जीत की तिकड़ी सबसे न्यारी है। दरअसल जो शहर खूबसूरती  में चार चाँद लगाने के लिए नित फैशन के नए नए बाह्य उपादान प्रस्तुत करता हो,उस शहर में दीपिका बताती हैं कि वास्तविक सौंदर्य बाहर से नहीं आपके भीतर से उद्भूत होता है।

उनके भीतर के आत्मविश्वास से उनके चेहरे पर फैली ताम्बई आभा बोलती है कि कठिन परिश्रम,दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन से ज़िन्दगी की जद्दोजहद के श्याम रंग को जीत के स्वर्णिम रंग में तब्दील किया जा सकता है। कि फर्श से अर्श तक का सफर तय किया जा सकता है। कि एक गांव से रांची तक के 15 किलोमीटर का गुमनामी का  सफर तय करते करते प्रसिद्धि के आकाश का सफर तय किया जा सकता है।

यूं तो संसार भर की स्त्रियां अपने बंधनों को काट फेंक कर अपने सपनों को उड़ान देने की इच्छा से भरी होती हैं। ये बंधन जितने ज्यादा होते हैं इच्छाएं उतनी ही प्रबल और तीव्रतर होती जाती है। शायद इसीलिए दीपिका के मन में अपने सपनों को उड़ान देने की इच्छा ज़्यादा बलवती हुई हो। अपने सपनों को उड़ान देने के लिए उन्होंने तीरों को चुना। दरअसल जब वे अपने धनुष से तीरों को टारगेट पर छोड़ रही होती हैं तो वे केवल अंक हासिल नहीं कर रही होती हैं बल्कि अपने सपनों को मंज़िल पर पहुंचा रही होती हैं। और जब वे अपने तीरों से टारगेट को भेद रही होती हैं तो सिर्फ जीत हासिल नहीं कर रही होती हैं,बल्कि पितृ सत्ता के बंधनों को भी भेद रही होती हैं,समाज की दकियानूसी रूढ़ियों की दीवारों को भेद रही होती हैं और अभावों,परेशानियों और कठिनाइयों से उपजी चुनौतियों को भी भेद रही होती हैं। वे उस चक्रव्यूह को भेद रही होती हैं जिसके आगे अनंत ऊंचाइयों का खुला आकाश है।

दरअसल पेरिस में वे अपने को दोहरा भी रही होती हैं। वे अंताल्या को दोहरा रही होती हैं। याद कीजिए 2012 में लंदन ओलंपिक  से ठीक पहले वे अंताल्या में व्यक्तिगत स्पर्धा में  स्वर्ण पदक जीतती हैं। सबको उनसे ओलंपिक में पदक की उम्मीद होती हैं। पर उम्मीदों के बोझ और बड़ी प्रतिस्पर्धा का दबाव उनके तीरों को निशाने से भटका देता है। वे एक बार फिर पेरिस में ना केवल अंताल्या को दोहरा रही हैं बल्कि उसे और आगे बढ़ा रही हैं। 2012 की तरह ही वे एक बार फिर नंबर एक पर काबिज हो जाती हैं। एक बार फिर उनसे टोक्यो में तमगों की उम्मीद है।

इतना दोहराना तो अच्छा है कि उम्मीदें जगा दी हैं। बस इससे आगे ना दोहराए। लंदन ओलंपिक की पुनरावृत्ति ना हो,बल्कि एक नया मकाम हासिल हो। 

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फिलहाल इस स्वर्णिम तिहरी जीत की दीपिका को बधाई और टोक्यो में नया इतिहास रचने के लिए शुभकामनाएं।



दीपा करमाकर,एक लाजवाब जिमनास्ट

  अ पनी बात इलाहाबाद की एक स्टोरी से शुरू करता हूँ। वहां एक शख़्स हुआ करते थे डॉ यू के मिश्र। वे आबकारी विभाग में उच्चाधिकारी थे। लेकिन जिस व...