स्टॉप वाच द्वारा 90 के ऊपर 04 मिनट और दर्शाए जाने के साथ ही रैफरी द्वारा खेल समाप्त होने की अंतिम लम्बी सीटी बजाई गई और अर्जेंटीना टीवी द्वारा उद्घोष किया गया 'अर्जेंटीना चैंपियन है,मेस्सी चैंपियन है'। इसी के साथ रियो डी जेनेरो के ऐतिहासिक 'माराकाना स्टेडिया' के मैदान में एक अद्भुत दृश्य नमूदार हो उठा।
'अधूरी ख्वाहिशों के देवता' की आँखें ख़ुशी से नम हो आयी थीं और ये नमी इतनी भारी थी कि वो घुटनों के बल मैदान पर बैठ गया। वो शायद उस मैदान को धन्यवाद करना चाहता था जिसने इससे पहले कई बार उसकी एक अदद ख्वाइश को पूरा होने से रोका था। अब उसे उसके साथियों ने घेर लिया। अपने हाथों में उठाया। और हवा में उछाल दिया। वे उसे अनुभव कराना चाहते थे कि अनंत काल से प्रतीक्षित एक अधूरी ख़्वाहिश के पूरा होने पर कोई व्यक्ति किस तरह फील करता है,जब उसके पाँव जमीं पर नहीं होते और वो हवा में उड़ता है। निश्चित ही उन आखों की शहद सी मीठी नमी में नीली और सफ़ेद धारियों वाली जर्सी में कोई बड़ा खिताब ना जीत पाने की अब तक संचित सारी वेदना और आलोचनाओं की कड़वाहट निथर गयी होगी।
ये कोपा अमेरिका कप 2020 का अंतिम मुकाबला था। ब्राज़ील और अर्जेंटीना की टीमों के बीच। ये दो टीमों के बीच भर मुकाबला नहीं था बल्कि ये दो चिर प्रतिद्वंदियों के बीच मुकाबला था। विश्व फुटबॉल की दो सिरमौर टीमों के बीच मुकाबला था जिन्होंने अब तक सात विश्व कप जीते थे। ये कई मायने में आज शाम यूरो कप के फाइनल से बड़ा मुकाबला था। ये दो महान खिलाड़ियों नेमार और मेस्सी के बीच भी मुकाबला था जो 2013 से 2017 एक साथ कैम्प नाउ के लिए तमाम मुकाबलों में एक साथ खेले और जीते।
ये मैच जीता अर्जेंटीना ने 1-0 से। मैच का एकमात्र गोल 22वें मिनट में एंजेल डी मारिया ने किया। उन्हें अपने साथी मिडफील्डर रोड्रिगो डी पॉल के लम्बे पास को मारिया ने थामा,ब्राज़ीली डिफेंडर रेनान लोदी को चकमा दिया और गोलकीपर एडरसन के ऊपर से गेंद उछाल दी। गेंद नेट में जा धसीं। गेंद का गोल नेट में धसना भर नहीं था बल्कि ब्राज़ीली खिलाड़ियों के दिल में किसी फांस का धंस जाना था जो लम्बे समय तक उन्हें चुभती रहेगी। ये मैच का एकमात्र गोल था। इस गोल के बाद अर्जेंटीना की टीम खासी रक्षात्मक हो गई। जबकि ब्राज़ील ने बहुत आक्रामक रुख अपनाया पर गोल ना कर सकी।
ये बहुत ही शिद्दत से खेला गया मैच था। ऐसा होना भी लाज़िमी था। ये क्लासिक प्रतिद्वंदिता जो थी। लेकिन कई बार हद से ज़्यादा इन्टेन्सिटी खेल की लय को बिगाड़ देती है। इस मैच में भी ऐसा ही हुआ। इस पूरे मैच में कुल 41 फ़ाउल हुए। जिसने खेल की गति और लय दोनों को बाधित किया। और इसी वजह से खेल उन ऊंचाइयों पर नहीं पहुँच सका जहां इसे पहुंचना चाहिए था। हालांकि इस मैच में 41 के मुक़ाबले ब्राज़ील का बॉल पजेशन 59 फीसदी रहा। अर्जेंटीना के 06 बार के मुकाबले ब्राज़ील ने 13 बार गोल पर निशाना साधा। ये दीगर बात है कि निशाने पर दोनों टीमें केवल दो बार ही निशाना साध सकी।
अंततः मैच अर्जेंटीना ने जीता। शायद ये उनका दिन था। या ये कि उनके पास जीतने का एक भावात्मक उद्देश्य था। फाइनल की पूर्व संध्या पर एंजेल डी मारिया कह रहे थे 'मेस्सी हमसे एक कदम आगे हैं बाकी हम सब एक नाव में सवार हैं। आप समझ सकते हैं हमारे लिए जीत के क्या मायने हैं।' वे इसे अपने लिए जीतना चाहते थे, अर्जेंटीना के लिए जीतना चाहते थे और सबसे बड़ी बात वे इसे मेस्सी के लिए जीतना चाहते थे और उन्होंने कर दिखाया। आप 2011 के क्रिकेट विश्व कप में भारत की जीत को याद कीजिए। वे इसे अपने लिए जीतना चाहते थे,वे इसे भारत के लिए जीतना चाहते थे और वे इसे अपने भगवान सचिन के लिए जीतना चाहते थे। और उन्होंने ऐसा किया। अब सचिन को कंधे पर उठाएं भारतीय टीम के वानखेड़े स्टेडियम के लगाए चक्कर के दृश्य से मेस्सी को हवा में उछाले जाने वाले दृश्य से कीजिए। महानतम लोगों में ऐसी ही समानताएं हुआ करती हैं।
निसंदेह ये जीत अर्जेंटीना के लिए, उनकी टीम के खिलाड़ियों के लिए,उनके प्रसंशकों के लिए और खुद मेस्सी के लिए भावनात्मक क्रिया थी। ये 'अभी नहीं तो कभी नहीं' वाली प्रक्रिया थी। मेस्सी के पास सब कुछ था। उनके पास 10 ला लीगा खिताब थे,04 चैंपियंस ट्रॉफी थीं और 06 बैलन डी ओर खिताब थे। लेकिन ये सब कुछ लाल और नीली धारी वाली जर्सी ने दिया था। हल्क़े नीले और सफ़ेद रंग की धारी वाली जर्सी के हाथ खाली थे। दरअसल उस जर्सी के ये खाली हाथ फुटबाल के देवता के देवत्व पर प्रश्नचिन्ह थे। ये दरअसल 'मेरे पास सबकुछ है पर मेरे पास माँ नहीं है' वाली बात थी। तमाम लोग ये मानते हैं वे नीली सफ़ेद जर्सी में उस शिद्दत से नहीं खेलते जिस शिद्द्त से लाल नीली जर्सी में खेलते हैं। उन्हें एक बार कोलंबिया के विरुद्ध मेस्सी को खून से सने चेहरे के साथ खेलते देखना चाहिए। उन्हें समझ आएगा कि एक खिलाड़ी के लिए अपने देश की जर्सी पहनना क्या होता है। ये ज़रूर है कि फाइनल में मेस्सी उस लय में नहीं दिखे जिस रंग में वे पूरे टूर्नामेंट में थे। पर ये मेस्सी ही थे जिन्होंने अर्जेंटीना को फाइनल तक पहुंचाया। उन्होंने कुल चार गोल किए और पांच असिस्ट। उन्हें प्रतियोगिता का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर आंका गया। अर्जेंटीना टीम के मैनेजर लिओनल स्कलोनी कहते हैं 'अगर आप जानते हो कि वे (मेस्सी) कोपा अमेरिका कप में कैसा खेले तो आप उन्हें भी ज़्यादा चाहने लगोगे।' आप अंदाज़ा लगा सकते हो वे कैसा खेले होंगे।
क्या ही कमाल है कि ब्राज़ील की सुप्रसिद्ध खेल पत्रकार फैबिओला एंड्राडे ने अर्जेंटीना की जर्सी पहने अपना फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और लिखा वे ब्राज़ील के बजाए अर्जेंटीना का समर्थन करती हैं क्योंकि मेस्सी ये खिताब डिज़र्व करते हैं। ऐसा करने या मानने वाली वे अकेली ब्राज़ीली नहीं थीं। ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा थी। इसी से खीज कर नेमार ने लिखा 'मैं सबकी भावनाओं की क़द्र करता हूँ। वे भाड़ में जाएँ।' ये एक उदाहरण भर है कि विश्व फुटबॉल में मेस्सी का क्या दर्जा है।
मेस्सी ने देश के लिए चार विश्व कप फाइनल्स और छह कोपा कप खेले। ये दुर्भाग्य ही था कि वे इससे पहले वे एक भी नहीं जीत पाए। 2014 में अर्जेंटीना विश्व कप फाइनल्स के फाइनल में पहुंचा। लेकिन इसी मैदान पर जर्मनी ने मेस्सी का सपना तोड़ दिया। मेस्सी तीन बार कोपा कप के फाइनल में खेले 2007,2015 और 2016 में। तीनों बार चूक गए। 07 में ब्राज़ील ने और 15 व 16 में चिली ने अप्सरा की तरह मानो विश्वामित्र की पूर्ण देवत्व की अबाध साधना को भंग कर दिया। 2016 के न्यूजर्सी में चिली के विरुद्ध खेले गए फाइनल को याद कीजिए। मैच पेनाल्टी शूटआउट में पहुंचा। मेस्सी ने पहली पेनाल्टी ली। ये शॉट गोलपोस्ट के ऊपर से निकल गया। इस पेनाल्टी शॉट की थोड़ी सी अतिरिक्त ऊंचाई ने उन्हें निराशा की अतल गहराइयों में धकेल दिया। उन्होंने राष्ट्रीय टीम से अलग होने का फैसला किया। लेकिन वे जल्द ही वापस लौटे। ये अकेला अवसर नहीं था जब वे निराश होकर राष्ट्रीय टीम से हटे। पर वे हर बार वापस लौटे। अंततः उन्हें वो मिला जिसकी उन्हें सबसे ज़्यादा चाहना थी।
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ये एक ऐसी जीत थी जिसकी मेस्सी को ही नहीं अर्जेंटीना को भी बहुत अधिक चाहना थी। ये अर्जेंटीना की 1993 बाद पहली बड़ी जीत थी। और निःसंदेह संभव किया एंजेल डी मारिया ने -अपने लिए,अर्जेंटीना के लिए और मेस्सी के लिए। मारिया खुद भी हीरो माफिक हो गए। वे चैंपियंस लीग फाइनल और कोपा कप फाइनल दोनों में मैन ऑफ़ द मैच चुने जाने वाले पहले खिलाड़ी बने। तो बधाई एंजेल डी मारिया। अर्जेंटीना का पुराना गौरव लौटा। बधाई टीम अर्जेंटीना। और मेस्सी एक सम्पूर्ण खिलाड़ी बनने की और अग्रसर हुए। बधाई लिओनल आंद्रेस मेस्सी।
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