Tuesday 10 July 2018

विश्व कप फुटबॉल 2018_6




विश्व कप फुटबॉल 2018_6 
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ये एक शानदार दृश्य बन पड़ता है कि एक राष्ट्राध्यक्ष अपने देश की जरसी पहने मैदान में अपने खिलाड़ियों की हौसला अफ़जाई करता है और ये दृश्य तब अद्भुत लगने लगता है जब वो विपक्षी टीम के राष्ट्राध्यक्ष की उपस्थिति में ना केवल आम दर्शकों की तरह चीख कर अपनी टीम को चीयर्स करता है,बल्कि खुशी से झूमकर नृत्य करने लगता है।जीत के बाद अपने खिलाड़ियों का ड्रेसिंग रूम साझा करता है और अपनी टीम के साथ सोलिडेरिटी दिखाने के लिए आम समर्थकों के साथ हवाई जहाज में इकोनॉमी क्लास में सफर करके अपने रचे दृश्य को मुकम्मल करता है।दरअसल खेल मुकम्मल ही तब होता है जब आम ओ खास सब अपनी टीम के साथ एकाकार हो जाते हैं।क्रोशिया की माननीया राष्ट्राध्यक्ष कोलिंडा ग्रैबर कितारोविक सोची के स्टेडियम में एक ऐसा ही खूबसूरत नैरेटिव रचती हैं क्योंकि वे जानती हैं कि जब राष्ट्र की प्रसव पीड़ा में सब साझीदार थे तो यहां भी सबका एकाकार होना बनता है।

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मैदान में भले ही भौतिक रूप से एक/दो/पांच/छह/सात या ग्यारह खिलाड़ी खेलते दिखाई देते हों लेकिन उनके साथ उनका मुख्य कोच होता है,सहायक कोच होते हैं,सपोर्टिंग स्टाफ होता है,स्टेडियम में उपस्थित समर्थक दर्शक होते हैं,देशवासी होते हैं और पूरे संसार मे फैले उनके समर्थक भी वहां पूरी शिद्दत से उपस्थित होते हैं।तब जाकर टीम बनती है।फिर खेल खिलाड़ी की प्रतिभा,उसकी स्किल,उसकी तकनीक,उसकी मेहनत व लगन और उस खेल के उपकरणों भर से नहीं खेल जाते बल्कि कोच की रणनीति,सपोर्टिंग स्टाफ के सहयोग,उपस्थित समर्थकों के जोश और जूनून,देशवासियों की दुआओं और पूरी दुनिया मे फैले उनके चाहने वालों की उम्मीद से खेला जाता है।शायद माननीया कोलिंडा ग्रैबर इस सच्चाई से वाकिफ थीं,तभी वो ऐसा अनोखा दृश्य रच पाती हैं।
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अब आप अपने मन की आंखों से एक स्वप्न रचिए कि माननीय राष्ट्रपति क्रिकेट वर्ल्ड के किसी मैच में नीली जरसी पहने भारत के खिलाड़ियों द्वारा लगाए जा रहे चौके छक्कों पर उन्हें झूमकर चीयर्स कर रहे हैं,माननीय प्रधानमंत्री हॉकी विश्व कप के किसी मैच में भारतीय खिलाड़ियों द्वारा किए गए गोलों पर मुष्टि भींचकर उतेजित हो रहे हैं,माननीय खेलमंत्री बॅडमिंटन एरीना से जीतकर निकल रहे खिलाड़ी को गले से लगाकर झूम उठें या फिर माननीय वित्त मंत्री पंजाब के किसी दंगल में दर्शकों के बीच से अचानक किसी पहलवान को चित कर देने पर जेब से निकाल कर ग्यारह हज़ार एक रुपये न्योछावर कर रहे हैं।
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आप मानो या ना मानो,खेल जितने मैदान में खेले जाते हैं उससे कहीं अधिक मैदान के बाहर से खेले जाते हैं।


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