Friday 9 August 2024

पेरिस ओलम्पिक 2024_18


 


कल के ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन को दिल और दिमाग से देखने पर दो अलग अलग तस्वीरें दिखाई देंगी। अगर दिमाग की आंखों से देखेंगे तो ये भारत के लिए बेहतरीन तस्वीर दिखाई देगी और दिल से देखेंगे तो लगेगा हां अच्छा तो था पर थोड़ी कमी रह गई। क्योंकि दिल हमेशा वास्तविकता से कुछ अधिक मांगता है। दिल मांगे मोर। दिल चीजों को कभी कभी बहुत साफ नहीं देख पाता क्योंकि अक्सर उसकी आँखों पर भावुकता की झिल्ली आ जाती है और तस्वीर साफ साफ नहीं दिखाई देती हैं।

कल भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा का फाइनल मुकाबला था जेवलिन थ्रो का। छह अगस्त को नीरज ने नंबर एक पर रहकर फाइनल के लिए जगह बनाई थी। वे मौजूदा विश्व और ओलंपिक चैंपियन भी थे। बहुत सारे लोग नीरज का गोल्ड पक्का मान रहे थे। लेकिन यहाँ पर एक लोचा है। फाइनल के 12 जेवलिन थ्रोअर में से पांच ऐसे थे जिनका बेस्ट नीरज से बेहतर था और उन सभी की बेस्ट माप 90 मीटर के पार जाती थी। जबकि नीरज कभी भी अपने कैरियर में 90 या उसके पार नहीं गए। इनमें से पाकिस्तान के नदीम भी एक हैं।

तो ऐसे में नीरज का गोल्ड पक्का माना लेना शायद ज़्यादती थी। हां इसकी उम्मीद रखना बेजां नहीं था क्योंकि पिछला ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप गोल्ड इन्हीं प्रतिभागियों के रहते नीरज ने जीता था।

कल की जेवलिन स्पर्धा आश्चर्यजनक रूप से बेहद संघषपूर्ण और रोचक थी। इस बात का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि टोक्यो ओलंपिक में नीरज ने 87.58 मीटर पर स्वर्ण जीता था और इस बार 89.45 मीटर पर वे रजत ही जीत पाए। नीरज की पहली थ्रो फ़ाउल रही।अरशद नदीम की भी पहली थ्रो फ़ाउल रही। नदीम नीरज से पहले फेंक रहे थे। नदीम ने अपनी दूसरी और पहली वैलिड थ्रो में 92.97 मीटर की। ये नया ओलंपिक रिकॉर्ड था। सच तो ये है कि अरशद ने अपनी इस थ्रो से ही इस स्पर्धा का गोल्ड को अपने नाम कर लिया था और दूसरों के लिए सोने के तमगे के सारे रास्ते बंद कर दिए थे। नीरज ने इसके बाद अपनी थ्रो की 89.45 की जो उनका सीजन बेस्ट था। इस थ्रो ने थोड़ी उम्मीद जगाई कि नीरज शायद नदीम को पार कर पाएं। लेकिन नदीम की 90 पार की थ्रो ने सभी प्रतिभागियों को दबाव में ला दिया था। ये उन सब की थ्रो में दिखाई भी दिया। नीरज की एक थ्रो छोड़कर बाकी सारी थ्रो फ़ाउल रहीं। ये आश्चर्यजनक था। इससे पता लगता है वे दबाव में थे। ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने 88.54 मीटर के सर्वश्रेष्ठ के साथ पोडियम पूरा किया और कांस्य पदक जीता। मुकाबला इतना उच्च स्तर का था कि अपनी टोक्यो की गोल्डन थ्रो पर यहां कांसे का पदक भी नहीं जीत सकता था।

नीरज चोपड़ा  अपने टोक्यो ओलंपिक के खिताब का बचाव करने से ज़रूर चूक गए,लेकिन  उनका 89.45 मीटर का ये थ्रो उनके करियर का दूसरा सर्वश्रेष्ठ थ्रो है। वे अब ओलंपिक में दो पदक जीतने वाले स्वतंत्र भारत के पहले ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बन गए हैं।

अरशद कल कमाल की फॉर्म में थे। उनका पहला प्रयास कोई तुक्का नहीं था। उन्होंने अपनी आखिरी थ्रो भी 91.79 मीटर फेंकी। कल का उनका प्रदर्शन अद्भुत था। ये इसलिए भी उल्लेखनीय है कि वे जिन प्रतिद्वंदियों से मुकाबला कर रहे थे वे सब बहुत आधुनिक सुविधाओं के साथ ट्रेंनिग कर रहे हैं। जबकि उनके पास टोक्यो ओलंपिक में तो प्रैक्टिस के लिए एक ढंग का भाला भी नहीं था। देश की सरकार उन्हें कोई विशेष सहायता नहीं देती। यहां तक कि कई बार तो अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जाने का खर्च भी गांव के लोग जुटाते हैं। फिलहाल वे ओलंपिक में इंडिविजुअल इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाले पाकिस्तान के पहले एथलीट बन गए। 

एथलेटिक्स में एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता ज्योति याराजी ने महिलाओं की 100 मीटर हर्डल रेस रेपेचेज राउंड में 13.17 सेकेंड का समय लेकर हीट में चौथा स्थान हासिल किया। और सेमीफाइनल में जगह नहीं बना सकीं।

कल भारत के लिए दूसरा पदक हॉकी से आया। टीम का कांस्य पदक के लिए स्पेन से मुकाबला था। इस ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम ने शानदार खेल दिखाकर भारतीय प्रसंशकों की उम्मीदों को बहुत बढ़ा दिया था। इसलिए सेमीफाइनल में जर्मनी से हार एक दिल तोड़ने वाली हार थी। लेकिन आज भारत ने शानदार खेल दिखाया और कांस्य पदक मैच में स्पेन को 2-1 से हराया। टीम ने टोक्यो के अपने प्रदर्शन को दोहराते हुए इतिहास रच दिया।

ग्रीष्मकालीन खेलों में कांस्य भारत का चौथा और पुरुष हॉकी में उनका 13वां ओलंपिक पदक है। म्यूनिख 1972 के बाद पहली बार भारत ने एक के बाद एक लगातार दो ओलंपिक पदक जीते हैं।

भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने पूरी प्रतियोगिता में शानदार खेल दिखाया और कुल 10 गोल किए। भारत के लीजेंड्री गोलकीपर श्रीजेश का ये आखिरी मैच था। उन्होंने भी इसमें शानदार प्रदर्शन किया और भारतीय गोल के आगे दीवार की तरह अड़े रहे। भारतीय टीम द्वारा ये अपने महान गोलकीपर को पदक के साथ एक शानदार विदाई थी।

पुरुष हॉकी स्वर्ण पदक नीदरलैंड ने जर्मनी को टाई ब्रेक में 3-1 से हराकर जीता। निर्धारित समय तक दोनों टीमें एक एक गोल से बराबर थीं। उसके बाद फैसला टाई ब्रेक से हुआ जिसमें नीदरलैंड ने बाजी मार ली। उन्होंने 2000 के सिडनी ओलम्पिक के बाद पहला और कुल तीसरा ओलंपिक खिताब जीता। विश्व चैंपियन जर्मनी को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

कुश्ती में भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने  पुरुषों के 57 किग्रा फ्रीस्टाइल स्पर्धा में शानदार कुश्ती लड़ी और दो बाउट जीतकर सेमीफाइनल में पहुंचे। लेकिन सेमीफाइनल मुकाबले में जापान के री हिगुची के खिलाफ 0-10 से हार गए। 

इस बाउट में हिगुची शुरुआत से ही अमन पर पूरी तरह नियंत्रण बनाए हुए थे। रियो ओलंपिक के रजत पदक विजेता हिगुची ने अपने पहले अटैक में ही चार अंक बनाए और लगातार अंक बढ़ाते रहे। मुकाबला महज दो मिनट और 14 सेकंड में खत्म हो गया।

अब अमन कांस्य पदक मुकाबले में हिस्सा लेंगे। जबकि स्वर्ण पदक मुकाबले में हिगुची का सामना अमेरिका के स्पेंसर रिचर्ड ली से होगा।

इससे पहले एशियाई चैंपियनशिप विजेता अमन सहरावत ने क्वार्टरफाइनल मुकाबले में पहले अल्बानियाई विश्व चैंपियन जेलिमखान अबकारोव को 12-0 से हराया। जबकि राउंड ऑफ 16 मुकाबले में अमन ने उत्तरी मैसेडोनिया के व्लादिमीर एगोरोव को 10-0 से हराया था। अमन ने दूसरे राउंड में दो मिनट पहले ही तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर अपना मुकाबला जीतकर क्वार्टरफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली थी।

महिलाओं के 57 किग्रा फ्रीस्टाइल स्पर्धा के राउंड ऑफ 16 मुकाबले में भारत की अंशु मलिक अमेरिका की हेलेन लुईस मारौलिस से 2-7 से हार गईं। वे तीन साल पहले विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में भी मारौलिस से हार गईं थीं। 

अंशु के पास रिपेचेज में कांस्य पदक जीतने का एक मौका था। लेकिन मारौलिस सेमीफाइनल में जापान की त्सुगुमी सकुराई से हार गईं। इसलिए अंशु को रेपेचेज से भी बाहर हो गई हैं।

गोल्फ में भारत की अदिति अशोक और दीक्षा डागर दूसरे दौर में पहुंच गईं। अदिति ने दूसरे राउंड में 1-अंडर 71 का स्कोर दर्ज किया। ये पहले राउंड के इवन पार स्कोर से अच्छा है। भारत की और से भाग ले रहीं दूसरी गोल्फर दीक्षा डागर का स्कोर इवन पार रहा और वे अपने पहले दिन के सातवें स्थान से सात स्थान नीचे खिसक गईं। अब दोनों भारतीय खिलाड़ी 143 के कुल स्कोर के साथ 14वें स्थान पर है। दो बार की महिला यूरोपियन टूर की विजेता स्विट्जरलैंड की मॉर्गन मेट्रोक्स 8-अंडर 136 के स्कोर के साथ शीर्ष पर हैं। चीन की यिन रुओनिंग दूसरे और दो बार की ओलंपिक पदक विजेता न्यूजीलैंड की को लिडिया तीसरे स्थान पर हैं।


पदक तालिका में कल 13वें दिन की समाप्ति पर भी अमेरिका शीर्ष पर बना हुआ है। उसने कुल 103 पदक जीते हैं जिसमें 30 स्वर्ण, 38 रजत और 32 कांस्य पदक शामिल हैं। दूसरे स्थान पर चीन बना हुआ है। उसने 29 स्वर्ण 25 रजत और 19 कांस्य पदक सहित कुल 73 पदक जीते हैं। ऑस्ट्रेलिया तीसरे स्थान पर है। उसने 18 स्वर्ण 14 रजत और 13 कांस्य पदक सहित कुल 45 पदक जीते हैं। जबकि मेज़बान फ्रांस अब चौथे स्थान पर है। उसने 14 स्वर्ण 19 रजत और 21 कांस्य सहित कुल 54 पदक जीते हैं। भारत एक रजत और चार कांस्य पदकों के साथ 64वें स्थान पर है।

और चलते चलते ये कि

एक,खेलों में उम्र वास्तव में महज एक नंबर ही तो है। चीन की सबसे कम उम्र की स्केटबोर्डर झेंग हाओहाओ मात्र 11 साल 11महीने की हैं। उनका जन्म लंदन ओलंपिक वाले साल 2012 में हुआ था। वे ना केवल पेरिस ओलम्पिक की सबसे कम उम्र की प्रतिभागी हैं,बल्कि वे चीन की सबसे कम उम्र की ओलंपियन भी है। हंगरी में बुडापेस्ट ओलंपिक क्वालीफायर सीरीज़ में अविश्वसनीय 540 स्पिन लगाने के बाद वे लोकप्रिय हुई थीं। उन्होंने सात साल की छोटी उम्र में ही अपने स्केटबोर्डिंग करने की शुरुआत कर दी थी।

दूसरी ओर अमेरिका की लौरा क्राउट ओलंपिक खेलों में 72 वर्षों में रजत पदक जीतने वाली सबसे उम्रदराज अमेरिकी पदक विजेता बन गई हैं। वे 58 वर्ष की है और उन्होंने अपने साथी कार्ल कुक और मैकलेन वार्ड के साथ मिलकर घुड़सवारी की जंपिंग टीम स्पर्धा में ब्रिटेन की टीम से पीछे रहकर रजत पदक जीता। ​​उन्होंने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में अपनी टीम के साथ अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। उसके बाद 2020 के टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीता था

दो,पैराग्वे की 20 वर्षीय युवा तैराक लुआना अलोंसो को देश की टीम के भीतर“अनुचित” वातावरण बनाने के कारण पेरिस 2024 ओलंपिक से हटा दिया गया है। पैराग्वे ओलंपिक समिति ने बताया कि उन्होंने अपने साथियों को असहज महसूस कराया। उन्होंने महिलाओं की 100 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में भाग लिया था।लेकिन अपनी हीट में जॉर्जिया की एना निझाराद्जे से 0.24 सेकंड पीछे छठे स्थान पर आई थीं और सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी थीं। सेमीफाइनल के लिए अर्हता प्राप्त करने में असफल रहने के कुछ समय बाद ही उन्होंने संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी हालांकि अलोंसो ने सोशल मीडिया पर बाद में  बताया कि उन्हें कभी भी निलंबित नहीं किया गया था। उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं।




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