खेलों की कोई भी तस्वीर केवल खेलों से कहां मुकम्मल होती है,जब तक कि इसमें खेलों से इतर किस्से कहानियों के रंग ना भरे जाएं। किस्से कहानियां जो इन खेलों के संघर्ष की कठोर धरातल को मुलामियत देती हैं। उसकी शुष्क भूमि को तरल कर देती है। उसके परिश्रम के स्वेद को सुकून की मंद बयार से आवृत्त कर देती हैं। खेल की भूमि को बहुरंगी बना देती है।
पेरिस ओलंपिक में मिस्र की फेंसर(तलवार बाज) हादा हाफिज तीसरी बार ओलंपिक खेलों में भाग ले रही थीं। वे चिकित्सा में स्नातक हैं और 2019 के अफ्रीकी खेलों में व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। महिला एकल सेबर स्पर्धा में उन्होंने पहले दौर का मैच 10वीं वरीयता प्राप्त खिलाड़ी यूएसए की एलिजाबेथ टार्टाकोवस्की के खिलाफ म15/17 से जीत लिया। लेकिन अगले दौर के मैच में दक्षिण कोरिया की जियोन हायोंग से 07/15 से हार गईं। इसके बाद इंस्टा पर उन्होंने लिखा-
'आपको पोडियम पर दो खिलाड़ी दिखलाई दे रहे थे,असल में वे तीन थे। मैं,मेरी प्रतिद्वंदी और मेरा दुनिया में आने वाला छोटा बच्चा। मेरे और मेरे बच्चे के सामने कई चुनौतियां थीं,चाहे शारीरिक हो या मानसिक।...मैं ये पोस्ट यह कहने के लिए लिख रही हूं कि राउंड ऑफ 16 में अपनी जगह पक्की करने पर मुझे गर्व महसूस हो रहा है।'
यानी वे इस प्रतियोगिता में अकेले भाग नहीं लिया बल्कि उनके साथ था उनका सात माह का गर्भस्थ शिशु।
ये खेल की दुनिया में कुछ अस्वाभाविक सी बात थी। पूरा खेल जगत उनके खुलासे चकित था। पर इन सबसे अलग वे एक साथ मातृत्व सुख और अपने खेल के पैशन को एंजॉय कर रहीं थीं। मातृत्व सुख के साथ अपने पैशन का आनंद उनके साहस का बायस है।
एक खिलाड़ी के खेल के प्रति प्यार और जुनून का खूबसूरत निदर्शन हैं। एक खिलाड़ी का ऐसा साहस वो ज़ुनून भरा जेस्चर कितने ही किताबी स्त्री विमर्शों पर भारी है।
ऐसे किस्से ही तो खेलों की दुनिया में कुछ गाढ़े रंग भर देते हैं उसे थोड़ा और खूबसूरत कर जाये हैं।
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