दो हफ़्तों तक लगातार शानदार खेल,कड़े संघर्ष,अब तक अर्जित सारी काबिलियतों के बल पर दो बालाएं बीते शनिवार को एक आखिरी द्वंद्व के लिए विंबलडन अरीना के सेन्टर कोर्ट पर आमने सामने थीं,ताकि वे विंबलडन की नई मल्लिका कहला सके और उनके वे दो हाथ जिनसे अब तक रैकेट पकड़कर अपने खेल के जौहर दिखा रही थीं,चमचमाती वीनस रोजवॉटर डिश पकड़ सकें, उसे अपने होंठों से लगा सकें,उस पर अपना नाम लिखवा सकें।
ये दो बालाएं चेक गणराज्य की बारबोरा क्रेसीकोवा और इटली की जैस्मीन पाओलिनी थीं।
दोनों एक उम्र की,लेकिन अलग अलग कद काठी की। पांच फुट चार इंच की दूसरी सबसे छोटी फाइनलिस्ट पाओलिनी के मुकाबले उनसे आधे फुट लंबी क्रेसीकोवा। एक सातवीं सीडेड तो दूसरी 31वीं सीडेड। एक के हिस्से एक भी ग्रैंड स्लैम नहीं तो दूसरी के हिस्से एक सिंगल सहित 11 ग्रैंड स्लैम।दोनों करीब एक तरह की खेल सलाहियत वाली खिलाड़ी। दोनों के पास कड़ी मेहनत और संघर्ष करने का जज़्बा,तीव्र गति,शानदार कोर्ट कवरेज,शक्तिशाली ग्राउंड स्ट्रोक्स और ड्राप शॉट्स भी। हां, क्रेज़ीकोवा के पास बैकहैंड स्लाइस के साथ साथ फोरहैंड स्लाइस करने की अतिरिक्त योग्यता जो नए जमाने की टेनिस और खिलाड़ियों में शायद ही पाई जाती हो और जिसका मुज़ाहायरा इस मैच में भी उन्हें करना था।
क्रेसीकोवा एक एक सेट की बराबरी, लेकिन पांच के मुकाबले चार गेम की बढ़त के साथ चैंपियनशिप के लिए सर्व कर रहीं थीं। ये मैच के सबसे संघर्षपूर्ण गेम में से एक था जो ये बताने के लिए पर्याप्त था कि दोनों ही खिलाड़ियों के लिए जीत के क्या मायने हैं और जीत के लिए वे दोनों ही किस हद तक संघर्ष कर सकती हैं। दोनों ही खिलाड़ी थीं कि हार मानने के लिए तैयार ना थीं और अपनी सारी स्किल,सारी योग्यता इस गेम को जीतने के लिए झोंक रही थीं।
ये गेम ड्यूस में गया और कुल चार बार ड्यूस हुआ। दो बार पाओलिनी को सर्विस ब्रेक कर बराबरी करने और मैच को और आगे ले जाने मौका मिला,तो क्रेसीकोवा को तीन बार चैंपियन बनने का। दो चैंपियनशिप अंक पाओलिनी ने बचा लिए और अपने लिए सर्विस ब्रेक के मौके भी बनाए। लेकिन अपने तीसरे चैंपियनशिप पॉइंट पर क्रेसीकोवा ने 108 मील प्रतिघंटे की रफ़्तार से झन्नाटेदार सर्विस की जिसका पाओलिनी के पास कोई जवाब नहीं था।
क्रेसीकोवा ने मैच 6-2, 2-6, 6-4 से जीत लिया था। विंबलडन की एक नई मल्लिका का उदय हो चुका था। क्रेज़ीकोवा हरे घास के मैदान की नई चैंपियन बन चुकी थीं। ये लगातार आठवां साल था कि विम्बलडन को नई चैंपियन मिली।
क्रेसीकोवा ने जीतते ही ऊपर आसमान की और देखा और हाथ से एक 'किस' आसमान की और किया। ये निश्चित रूप से ईश्वर के लिए नहीं था। ये उनकी अपनी फ्रेंड,फिलॉसफर,गाइड,उनकी कोच रहीं जाना नोवोतना के लिए था। उनका आभार प्रकट करने के लिए। ये उस व्यक्ति के लिए उनका प्रेम और आदर था जिसने उनके जीवन की दिशा बदल थी। जिसने उनमें ये विश्वास भरा कि वे ये प्रतिगोगिता जीत सकती हैं जिसे खुद नोवोतना ने 1998 में जीता था।
जाना नोवोतना लगातार उनके जेहन में रहीं। सदा उनके साथ रहीं। सेमी फाइनल में 2022 की विजेता रिबाकिना के विरूद्ध तीन सीटों में संघर्षपूर्ण जीत के बाद भी उन्होंने नोवोतना को शिद्दत से याद किया। उनके लिए आंसू बहाए।
ये दोनों ही खिलाड़ी चेक गणराज्य के शहर ब्रनो से हैं। जिस तरह से दो नदियों स्वितवा और स्वरात्का का संगम ब्रनो शहर की निर्मिति करता है, वैसे ही ही इन दो खिलाड़ियों का मिलन टेनिस का एक ऐसा संसार निर्मित करता है जिसमें टेनिस है, प्रेरणा है,सफलताएं हैं, दोस्ती है और गुरु शिष्य का संबंध तो है ही।
बारबोरा क्रेसीकोवा और जैस्मिन पाओलिनी दोनों पहली बार विम्बलडन के फाइनल में खेल रहीं थी। दोनों एक ही मिशन पर थी। पहली बार वीनस रोजवॉटर डिश पर अपना नाम लिखवाना। संघर्ष जोरदार होना ही था। और हुआ भी। दोनों ने अपने तरकश के सारे तीरों का इस्तेमाल इस मैच में किया। मैच में शानदार रैलीज हुईं। शानदार खेल का मुजाहायरा हुआ।
पूरे मैच के तीन फेज थे। शुरुआत क्रेज़ीकोवा ने की। पाओलिनी की पहली ही सर्विस ब्रेक की। क्रेसीकोवा की सटीक फर्स्ट सर्व,बैक हैंड व फोरहैंड स्लाइस और जोरदार ग्राउंड स्ट्रोक्स का पाओलिनी के पास कोई जवाब नहीं था। क्रेसीकोवा ने पहला सेट 6-2 से Sand लिया।
दूसरा सेट पहले के उलट था। इस सेट में ना केवल बेहतरीन सर्विस पाओलिनी ने की बल्कि तेज तर्रार शॉट्स और प्लेसिंग से क्रेसीकोवा को हतप्रभ कर दिया। हतप्रभ होने की बारी ही क्रेसीकोवा की थी। ये सेट पाओलिनी ने 6-2 से जीता।
निर्णायक सेट बराबरी का था। दोनों के लिए ये जीने मरने का प्रश्न था। दोनों ने अपनी सर्विस को ब्रेक नहीं होने दिया। स्कोर 3-3 की बराबरी पर था। तभी पाओलिनी एक गलती कर बैठी। सेट के सातवें गेम में वे ब्रेक पॉइंट पर डबल फाल्ट कर बैठी। इस डबल फाल्ट से उन्होंने ये गेम ही नहीं हारा, बल्कि सेट और चैंपियनशिप भी हार गईं।
क्रेसीकोवा ने ना केवल अपनी अगली दो सर्विस सुरक्षित रखी बल्कि अपने लिए चैंपियनशिप भी सुरक्षित कर ली।
अब विम्बलडन को नई चैंपियन मिल चुकी थी। पिछले सात सालों की तरह।
इगा स्वियातेक,रिबाकिना,सबलेंका जैसी खिलाड़ियों के होते हुए शायद ही किसी ने सोचा हो कि क्रेसीकोवा जीत सकती हैं। मैच उपरांत अपने उद्बोधन में वे सच ही कह रहीं थीं 'निश्चित रूप से ये दिन मेरे टेनिस कैरियर का सबसे अच्छा दिन था और मेरे जीवन का भी। मेरा विचार है कि किसी को विश्वास नहीं था मैं फाइनल में पहुंच सकती हूँ और किसी को ये विश्वास नहीं है कि मैंने विम्बलडन जीत लिया है। मैं अभी तक विश्वास नहीं कर पा रही हूँ।'
ये एक ईमानदार आत्माभिव्यक्ति थी।
जो भी हो वे अब विंबलडन चैंपियन हैं। वे महिला एकल के दो ग्रैंड स्लैम फाइनल में पहुंची और दोनों में जीत हासिल की। इससे पहले वे 2021 का फ्रेंच ओपन भी जीत चुकी हैं। साथ ही वे डबल्स में भी 10 ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुकी हैं। सात महिला युगल और तीन मिश्रित युगल। वे मुख्यतः डबल्स की खिलाड़ी मानी जाती रही हैं। लेकिन ये दो एकल ग्रैंड स्लैम जीतने के बाद वे सिंगल खिलाड़ी के रूप में भी समादृत हो सकेंगी।
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तो फिर पाओलिनी का क्या? वे निश्चित ही हार के बाद दुखी थीं। वे दो महिनों के भीतर अपना दूसरा ग्रैंड स्लैम फाइनल हार रही थीं। लेकिन वे हार में भी उतनी ही शालीन थीं और ग्रेसफुल भी। वे प्रेजेंटेशन स्पीच में कह रहीं थी'आज मैं थोड़ा उदास हूँ। मैं मुस्कुराहट बनाए रखने की कोशिश में हूँ क्योंकि मुझे याद रखना चाहिए कि आज का दिन भी अच्छा दिन है। मैं विम्बलडन के फाइनल में खेली हूं।'
खेल ऐसे ही होते हैं। जीवन की तरह। कभी जीत कभी हार। खुशी भी तो ग़म भी। कहकहे भी और उदासी भी। खेल यही तो सिखाते हैं।
फिलहाल तो विम्बलडन की नई मल्लिका क्रेसीकोवा को बधाई।
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