Tuesday, 23 July 2024

आकाशवाणी संकेत धुन का रचयिता:काफमैन






ज 23 जुलाई को जब हम भारत में रेडियो का स्थापना दिवस मना रहे हैं, तो हमारा एक व्यक्ति को बहुत शिद्दत से याद करना बनता है। ये व्यक्ति है वाल्टर काफमैन। इस व्यक्ति ने अपनी एक असाधारण कंपोजिशन से  रेडियो को एक अलग पहचान दी। ये कंपोजिशन थी ए 'आईआर सिग्नेचर ट्यून' जो राग शिवरंजनी में निबद्ध थी।

वाल्टर काफमैन चेक मूल के यहूदी थे और होलोकास्ट के चलते एक शरणार्थी के रूप में 1934 में भारत आए और अगले 14 वर्षों तक भारत में रहे। वे संगीत के विद्यार्थी थे और प्राग के जर्मन विश्वविद्यालय से संगीत में पीएचडी की थी। लेकिन जब उन्हें पता चला कि उनके सुपरवाइजर गुस्ताव बेकिंग स्थानीय युवा नाज़ी संगठन का लीडर हैं तो उन्होंने डिग्री लेने से इंकार कर दिया। 

भारत आने से पहले वे रेडियो प्राग में काम कर चुके थे। भारतीय संगीत में उनकी विशेष रुचि थी और उन्होंने सामवेद के संगीत तत्वों और गोंड व बैगा लोक गीतों,उत्तर भारतीय रागों और दक्षिण भारतीय रागों पर विशेष काम किया था। भारत में रहते हुए उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में यूरोपियन ब्रॉडकास्टिंग निदेशक के रूप में कार्य किया। भारत आने के थोड़े दिनों के भीतर ही उन्होंने बॉम्बे चैंबर म्यूजिक सोसायटी की स्थापना की और हिंदी फिल्मों में भी काम किया।

सी दौरान उन्होंने 'आकाशवाणी संकेत धुन' कंपोज करने के अविस्मरणीय कार्य को अंजाम दिया।

नकी पत्नी गेरटा प्रसिद्ध लेखक फ्रांज काफ्का की भांजी थीं और सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एलबर्ट आइंस्टीन उनकी संगीत प्रतिभा से बहुत ज्यादा मुत्तासिर थे और उनकी प्रसंशा में उन्हें एक पत्र भी लिखा था।

भारत की आजादी के समय वे वाया ब्रिटेन कनाडा गए और अंततः अमेरिका में बस गए जहां 1984 में वे इस फ़ानी दुनिया से रुखसत हुए।

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