ये रविवार की गहराती शाम है। पेरिस में फिलिप कार्टियर अरीना में फ्रेंच ओपन प्रतियोगिता के पुरुष एकल के फाइनल मैच में 4 घंटे और 19 मिनट के संघर्ष के बाद दो खिलाड़ी दो अलग अलग फ्रेमों में एक खूबसूरत दृश्य बना रहे हैं।
फ्रेम एक, 21 साल का युवा गहरे लाल रंग की बजरी पर लेटा है। उसकी टीशर्ट हरी है और पीला शॉर्ट। लाल,पीला और हरा ये तीन रंग मिलकर एक अद्भुत दृश्य बना रहे हैं। इन रंगों में लिपटे इस युवा की आंखें आनंद से मुँदी हैं। वो पीठ के बल लेटा बचपन से मन में संजोए अपने एक सपने को जी रहा है। बचपन के ये सपने इतने ही रंगों से भरे और इतने ही खूबसूरत होते हैं जितना ये फ्रेम दिख रहा है। आपका मन खुशी से पुलक पुलक जाता है।
फ्रेम दो, 27 साल का वरिष्ठ युवा सुफेद टीशर्ट और शॉर्ट्स में है और सूनी आखों से आसमां ताक रहा है। वे आंखें गहरे विषाद भारी हो रही हैं। ये आँखें बीच बीच में पानी से छलछला जा रही हैं। एक सपने के टूटने का नैराश्य उसके चेहरे पर इतना गहरा है कि उसका गौरवर्ण चेहरा स्याह सा लगने लगा है। आपका भी मन उसके विषाद से चटक चटक जाता है।
ये दो फ्रेम एक साथ मिलकर जो दृश्य बनाते हैं, आप निश्चय नहीं कर पाते कि उससे आप दुःख में हैं, कि खुश हैं। अवसाद और आनंद की मिली जुली ऐसी स्थिति आपके मन में इससे पहले कब आई होगी,याद करने की कोशिश कीजिए।
ऐसा बहुत कम होता है जब आप दो खिलाड़ियों या दो टीमों में किसी को भी हारते नहीं देखना चाहते। इस फाइनल में जर्मनी के अलेक्जेंडर ज्वेरेव और स्पेन के कार्लोस अलकराज आमने सामने थे। आप दोनों को जीतते देखना चाहते हैं। पर ऐसा होता है क्या! पर विडंबना इसी को तो कहते हैं।
इन दोनों का ही बहुत कुछ इस फाइनल में दांव पर लगा था।
ज्वेरेव का ये दूसरा ग्रैंड स्लैम फाइनल था। इससे पहले वे 2020 में यूएस ओपन के फाइनल में पहुंचे थे और फाइनल में जीत से दो अंक ही दूर थे कि जीतते जीतते डोमिनिक थिएम से हार गए थे। यहां वे एक बार फिर अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीतने के लिए खेल रहे थे।
एक अंतरराष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी के लिए पहला ग्रैंड स्लैम खिताब सबसे बड़ी चाहना होती है। और 'पहला' शब्द तो अपने आप में होता ही है खासा रूमानी। बिल्कुल वैसे ही जैसे पहली बारिश से उठती माटी की सौंधी सुगंध या पहले प्यार की मदहोशी। वे 'पहली जीत' के ऐसे ही अहसास से रूबरू होने की चाहना लिए मैदान में थे।
उधर अलकराज का ये तीसरा ग्रैंड स्लैम फाइनल था। दो ग्रैंड स्लैम टाइटल उनके पास पहले से थे। लेकिन फ्रेंच ओपन की इस लाल मिट्टी पर वे पहली बार फाइनल खेल रहे थे। उन्होंने बचपन से एक सपना देखा था। वे अपना नाम अपने देश के उन खिलाड़ियों में शुमार कराना चाहते थे जिन्होंने इस लाल मिट्टी को फतेह किया था। वे अपने देश की उस परंपरा के वाहक बनना चाहते थे जिसे सात अलग अलग खिलाड़ियों ने जारी रखा था और निःसंदेह इस सूची में नडाल सबसे ऊपर हैं जिन्होंने यहां 14 खिताब जीते हैं। नडाल बालक अलकराज के आदर्श थे। जिनके मैच देखने के लिए ये बालक मार्सिया में हर साल मई जून माह में स्कूल से जल्द जल्द घर भागते हुए बड़ा हो रहा था।
दोनों खिलाड़ियों के लिए ये फ्रेंच ओपन खिताब महज एक जीत भर नहीं थी या एक खिताब पा लेना भर नहीं था। ये एक सपने का पूरा होना भी था। एक चाहत को पा लेना था। जाहिर है दोनों इस अवसर को जाया नहीं होने देना चाहते थे। कड़ा संघर्ष होना लाज़मी था। और हुआ भी।
मैच का निर्णय 4 घंटे 19 मिनट के कड़े संघर्ष के बाद 5 सेटों में हुआ। 6-3, 2-6, 5-7, 6-1, 6-2 स्कोर के साथ बाज़ी अलकराज के हाथ लगी। उनका सपना पूरा हुआ। ज्वेरेव का टूट गया। ये फाइनल मैच भले ही खेल की चरम ऊंचाई पर ना पहुंचा हो,लेकिन किसी ग्रांड स्लैम का फाइनल जैसा होना चाहिए था,वैसा ही था।
ज्वेरेव यहां बेहतर तैयारी के साथ आए थे। वे इटेलियन ओपन जीतकर और मेड्रिड ओपन फाइनल खेल कर आये थे। यहां वे क्ले पर अपनी सबसे शानदार टेनिस खेल रहे थे। इसके विपरीत अलकराज की बांह में चोट के चलते किसी भी बिल्ट अप क्ले कोर्ट प्रतियोगिता में नहीं खेल पाए थे। वे केवल मेड्रिड ओपन में खेल पाए जहां क्वार्टर फाइनल में अलियासिमे से हार गए थे।
ये फाइनल मुकाबला अलग पीढ़ियों के दो बेहतरीन और लगभग समान प्रतिभा वाले खिलाड़ियों के बीच था। दोनों इस प्रतियोगिता में शानदार खेलकर फाइनल तक पहुंचे थे। अलकराज नंबर 01 सिनर को 5 सेटों के संघर्ष पूर्ण मुकाबले में हराकर यहां आए थे, तो ज्वेरेव क्ले के मास्टर कैस्पर रड को चार सेटों में हराकर फाइनल में पहुंचे थे।
दोनों के पास अपने-अपने प्लस और माइनस थे।अगर ज्वेरेव के तरकश में कई साल अधिक खेलने का अनुभव, बंदूक की गोली सी तीव्र गति की सर्विस और झन्नाटेदार तेज फोरहैंड व बैकहैंड शॉट थे तो अलकराज के पास दो ग्रैंड स्लैम खिताब से मिला आत्मविश्वास,युवा जोश,दमखम और चपलता थी। पिच पर तेजी से स्लाइड और स्किड करने और बहुत तेजी से एक तरह के शॉट से दूसरी तरह के शॉट मारने और शॉट्स के एक कोण से दूसरे कोण में बदलने की महारत थी।
ज्वेरेव के पास पहले खिताब जीतने की ललक से उपजी नर्वसनेस थी। पत्नी के साथ घरेलू हिंसा के मुकदमे का दबाव भी माइनस के तौर पर थे। उधर अलकराज के पास फोरहैंड मारने में बेजा गलती करने की आदत और फोरआर्म की चोट उभरने का खतरा बरकरार था।
ये एक बराबरी का मुकाबला था। जो 5 सेटों तक चला। अगर टेनिस में कोई भी मुकाबला 5 सेट तक खिंचे तो सहज ही समझा जा सकता है कि मुकाबला दो बराबरी के प्रतिद्वंदियों के मध्य ही है।
अलकराज लेट स्टार्टर हैं। वे धीरे धीरे रफ्तार पकड़ते हैं। लेकिन यहां उन्होंने जल्द रफ्तार पकड़ी और पहला सेट 6-3 से जीत लिया। लेकिन अगले सेट में ज्वेरेव ने अपनी तेज गति से अलकराज को हतप्रभ करते हुए सेट 6-2 से जीतकर बराबरी कर ली। अब मैच संघर्षपूर्ण हो चला। तीसरा सेट बराबरी का था। दोनों पांच पांच गेम्स की बराबरी पर थे कि अलकराज ने कुछ बेजा गलती की और सर्विस ब्रेक करवा बैठे और सेट भी 5-7। ज्वेरेव अब जीत के ज़्यादा करीब थे। लेकिन तभी अलकराज अपनी फॉर्म में आए। उन्होंने कुछ अच्छी टेनिस खेली। उनके दमखम ने अपनी भूमिका अदा की। ज्वेरेव थके से लगे। जबकि अलकराज अपनी पूरी दमखम के साथ खेले और अगले दो सेट 6-1 और 6-2 से जीतकर अपना तीसरा ग्रैंड स्लैम जीतकर अपने नाम किया।
एक का सपना सच होकर उसके गले का हार बन गया। दूसरे का टूटकर बिखर गया। आंसू दोनों की आंखों से बहे। एक के खुशी बनकर टपके दूसरे दुख बनकर बहे।
कोई एक ग्रैंड स्लैम जीत पाना किसी भी टेनिस खिलाड़ी के लिए निसंदेह एक बड़ी उपलब्धि होती है। लेकिन पुरुष टेनिस में रोजर फेडरर,राफेल नडाल और नोवाक जोकोविक ने श्रेष्ठता के मानक इतने ऊंचे कर दिए हैं कि एक क्या,दो चार ग्रैंड स्लैम जीतना भी अब बड़ी उपलब्धि नहीं लगता।
अगर किसी और खिलाड़ी को उनकी कतार में खड़े होना है तो उसे अपने खेल और उपलब्धियों से एक बड़ी लकीर खींचनी पड़ेगी। अलकराज जब ये जीत हासिल कर रहे होते हैं तो निसंदेह बड़ी नहीं तो उनके बराबरी की लकीर तो खींच ही रहे होते हैं और टेनिस लीजेंड की श्रेणी में खड़े हो रहे होते हैं। वे टेनिस की तीन सतहों पर तीन ग्रैंड स्लैम जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनते हैं। और क्या ही कमाल है कि ऐसा वे अपने आदर्श राफेल को ही पीछे छोड़ते हुए करते हैं। राफेल जब ऐसा कर रहे थे तो वे 22 साल के थे और अलकराज से एक वर्ष ज़्यादा उम्र के।
अभी तक तीनों सतह पर ग्रैंड स्लैम जीतने वाले कुल जमा 6 ही खिलाड़ी हैं-जिमी कॉनर्स, आंद्रे अगासी, मैट्स विलेंडर,रोजर फेडरर, राफेल नडाल और नोवाक जोकोविक। अब सातवें भी है-अलकराज। ज़ाहिरा तौर पर वे ऐसा सबसे कम उम्र में कर रहे थे। तभी अपने प्रेजेंटेशन वक्तव्य में ज्वेरेव उनके लिए कहते हैं 'ये(अलकराज का) पहले से ही विस्मयकारी कैरियर है। तुम पहले से ही हॉल ऑफ फेम में शुमार हो। तुम इतनी अधिक उपलब्धियां हासिल कर चुके हो और अभी केवल 21 साल के हो।'
ये फाइनल टेनिस इतिहास के सबसे संघर्षपूर्ण, शानदार और उच्चकोटि के टेनिस के एक कालखंड के समापन की और संकेत भी करता है। 2004 के बाद 20 सालों में ये पहला अवसर था जब फाइनल में राफा,नोवाक और फेडरर में से कोई भी नहीं था। फेडरर रिटायर हो चुके हैं। राफा पहले दौर में हार गए। उनका कैरियर लगभग समाप्त प्रायः है। नोवाक में अभी दम और काबिलियत है। वे अभी भी ग्रैंड स्लैम जीतने की क्षमता रखते हैं। लेकिन क्षमता होने के बावजूद नई युवा पीढ़ी की इस खेप से अब वे पार पा पाएंगे, इसमें संदेह लाज़िमी है।
फाइनल में अलकराज की जीत एक और विडंबना को उजागर करती है। अलकराज,सिनर,रड जैसे नए और नोवाक, राफा और फेडरर के बीच भी मेदवेदेव, सिटसिपास, ज्वेरेव,थिएम जैसे खिलाड़ियों की एक पीढ़ी है जो इन दो पीढ़ियों के बीच सैंडविच बन गई और लगभग बिना उपलब्धियों के बीत गई या बीत रही है।
------------
जो भी हो ये फाइनल एक टेनिस में एक नए युग का आरंभिक बिंदु साबित हो सकता है। जहां से अब नई पीढ़ी की प्रतिभा का जलवा और कुछ नई प्रतिद्वंद्विताओं का संघर्ष देखने को मिलेगा,ये तय है। अलकराज अभी 21 के हैं। वे राफा के जूते में पैर रख चुके हैं और सफलता के शिखर की और अग्रसर हैं।
अलकराज को ये तीसरी जीत मुबारक।
No comments:
Post a Comment