हम हैं कि उम्र के पीछे दौड़े जाते हैं। उसके नीचे दबे जाते हैं। और अंततः उसके सामने आत्मसमर्पण किए जाते हैं।
आखिर वे कैसे बिरले होते हैं उम्र जिनके पीछे चलती है उनकी चेरी बनकर। वे जो उम्र को धता बताते हैं। वे जिनके लिए उम्र महज एक नंबर है।
हाल फिलहाल में हम इन्हें रोहन बोपन्ना और डी गुकेश के नाम से जानते हैं। रोहन बोपन्ना जो 43 वर्ष की उम्र में टेनिस जगत की सबसे बड़ी प्रतियोगिताएं जीतकर विश्व नंबर एक खिलाड़ी बन जाते हैं,तो डी गुकेश महज 17 साल की उम्र में दिग्गजों को मात देकर सबसे कम उम्र के फिडे कैंडिडेट्स प्रतियोगिता जीतने वाले और विश्व खिताब के लिए चुनौती देने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बन जाते हैं।
ये दो उम्र के विपरीत ध्रुबों पर बैठकर एक जैसा सम्मोहन रचते हैं और उम्र को अपनी प्रतिभा के मोहपाश में बांध कर उसको श्रीहीन कर देते हैं।
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प्रतिभा कहां उम्र की मोहताज होती है।
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