Sunday, 4 December 2022

विश्व कप फुटबॉल डायरी_02

 

                                                        (गूगल से साभार)

अर्जेंटीना की हार
००००

     जीवन में अनहोनी खाने में नमक की तरह है। नहोनी  जीवन में ठहराव नहीं लाती,बल्कि उसे कुछ और गतिशील बनाती है। खेल जीवन का एक हिस्सा है और इस नाते अनहोनी भी।

     क़तर में चल रहे फुटबॉल विश्व कप में सऊदी अरब की टीम मेस्सी की अर्जेंटीना को 2-1 से हरा दिया है। 'ग्री फॉलकन्स' ने 'ला अलबिसेलेस्टे' का शिकार कर विश्व कप के सबसे बड़े उलटफेर कर दिया है।

     अर्जेंटीना के समर्थकों और मेस्सी के चाहने वालों के लिए ये किसी गहरे सदमे सा है। किसी वज्रपात सा आघात है। लेकिन इस परिणाम ने अब ग्रुप सी को पूरी तरह ओपन कर दिया है और इस ग्रुप के मुकाबलों को और रोचक बना दिया है,ये भी सच है।

     बीती रात क़तर की राजधानी दोहा से लगभग 40 किलोमीटर दूर लुसैल स्टेडियम में इस बार विश्व कप जीतने के प्रमुख दावेदारों में एक अर्जेंटीना सऊदी अरब की टीम के विरुद्ध अपना विश्व कप पहला मैच खेल रही थी। दसवें मिनट में मेस्सी पेनाल्टी से गोल कर अर्जेंटीना को 1-0 की बढ़त दिला देता है। 1930 में उरुग्वे के विरुद्ध फाइनल मैच के बाद 'ला अलबिसेलेस्टे' पहले हॉफ में बढ़त बनाने के बाद कोई मैच नहीं हारा था। इतना ही नहीं वो पिछले 36 मैच से अजेय था और इटली के 37 मैचों में अजेय रहने के रिकॉर्ड से एक मैच कम। लेकिन विश्व की 51 वीं रैंकिंग वाली सऊदी अरब इतिहास बनाने मैदान में उतरी थी।

     पहले गोल के बाद भी अर्जेंटीना ने लगातार दबाव बनाए रखा और तीन बार गेंद गोल पोस्ट में अंदर डाली पर तीनों बार ऑफ साइड करार दिए गए एक बार मेस्सी और दो बार लोरेटो मार्टिनेज। लेकिन दूसरे हॉफ में कहानी बदल गयी। 4-1-4-1 के फार्मेशन से रक्षात्मक खेल रही सऊदी अरब ने अर्जेंटीना पर दबाव बनाया और 48वें मिनट सालेह अल शेहरी ने बराबरी का गोल किया और फिर 53वें मिनट में सालेम अल दौसरी ने बढ़त दिलाकर विश्व कप फुटबॉल के सबसे बड़े उलटफेर को अंजाम दिया।

     सऊदी अरब के लिए ये 1994 के इतिहास की पुनरावृत्ति थी जब उसने बेल्जियम को 1-0 से हराया था और अर्जेंटीना के लिए 1990 के इतिहास का जब माराडोना की टीम को कैमरून ने 1-0 से हराया था।

     याद कीजिए 2018 के विश्व कप के अर्जेंटीना और फ्रान्स के प्री क्वार्टर फाइनल मैच की। एमबापे के खेल ने मेस्सी और अर्जेंटीना के विश्व कप को जीतने का सपना तोड़ दिया था। मैच की अंतिम सीटी बजते ही मैस्सी धीमे धीमे कदमों से मैदान से बाहर चल दिए थे। उन्होंने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा था। क्योंकि वे जानते थे कि कजान स्टेडियम में उनके विश्व कप का सफर खत्म हो चुका है।

      लेकिन लुसैल स्टेडियम में 103 मिनट बाद जब मैच की अंतिम सीटी बजी तो वे बीच मैदान में खड़े नीचे ज़मीन को निहार रहे थे। वे मैदान छोड़कर नहीं गए। क्योंकि वे जानते थे ये सफर का अंत नहीं है। कजान में नॉक आउट हो गए थे,यहां लीग मैच था। आगे बढ़ने और विश्व कप जीतने की उम्मीदें और अवसर अभी बरकरार हैं।

       मैच समाप्त होने के बाद मैस्सी मैदान को देख रहे थे तो शायद वे उन संभावनाओं को तलाश कर रहे होंगे कि क्या वे एक बार फिर 18 दिसंबर को वे वहां होंगे। फाइनल इसी मैदान पर 18 दिसंबर को जो होना है। वे उस हरी घास के नीचे के रेगिस्तानी रेत में पानी के कुछ कण देखने की कोशिश में रहे होंगे और उनमें विश्व कप जीतने की उम्मीदों का अक्स खोज रहे होंगे। 

                                                 (गूगल से साभार

     और उस रेगिस्तानी रेत में निश्चय ही उन्हें कुछ पानी की बूंदे दिखाई दी होंगी। और ये भी उन्हें अहसास हुआ होगा कि वे बूंदे विदाई के दुख से निकली बूंदे नहीं हैं,बल्कि मैस्सी के सपने के टूट जाने की आशंका से निकले स्वेद कण भर हैं।

      मैच के बाद एंजेल डि मारियो कह रहे थे 'विश्व कप शुरु होने से पहले ना हम सर्वश्रेष्ठ थे और ना है और ना हार के बाद हम निकृष्टम।' 

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म्मीद अभी कायम है - मैस्सी की भी,अर्जेंटीना की भी और उनके चाहने वालों की भी।



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