Sunday 4 December 2022

फुटबॉल_विश्व_कप डायरी_5


नॉक आउट की शुरुआत

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       तर फुटबॉल विश्व कप 2022 के दूसरे यानी नॉक आउट चरण का पहला दिन। पहला दिन और दो मैच। एक, नीदरलैंड बनाम अमेरिका। दो, अर्जेंटीना बनाम ऑस्ट्रेलिया। यानी चार देशों के फुटबॉल प्रशंसकों के सपने और उनकी उम्मीदें ही दांव पर नहीं थी बल्कि चार अलग अलग महाद्वीपों की फुटबॉल और उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर।

            हला मैच तीन बार की फाइनलिस्ट नीदरलैंड और 2002 के बाद पहली बार क्वार्टर फाइनल में प्रवेश के लिए प्रयासरत अमेरिका की टीमों के बीच था। इस मैच में एक और युवा शक्ति और जोश से लबरेज अमेरिका की टीम थी जो अपने ग्रुप में इंग्लैंड के बाद नंबर दो पर थी। उसने अपने ग्रुप में ईरान को 1-0 से हराया था और इंग्लैंड से 0-0 से और वेल्स से 1-1 से ड्रा खेला था। दूसरी और नीदरलैंड एक अनुभवी टीम थी जो पिछले  साल लुइस वान गाल के कोच बनने के बाद से 18 मैचों के अपराजित रिकॉर्ड के साथ मैदान में थी। 

          मैच में अनुभव जोश पर भारी पड़ा और अमेरिकी चपलता यूरोपीय शक्ति के सामने पस्त हो गई। नीदरलैंड ने अमेरिका को 3-1 से हरा दिया और विश्व कप के अंतिम आठ यानि क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली पहली टीम बन गई।

           हावत है मिले मौकों को लपक लेना चाहिए,उन्हें गंवाना हमेशा भारी पड़ता है और उसका खामियाजा उठाना पड़ता है। इस बात को आज अमेरिका की टीम और उसके खिलाड़ियों से बेहतर कौन समझ सकता है।

            मेरिका ने 4-3-3 के फॉर्मेशन के साथ मैच में तेज शुरुआत की। जबकि हॉलैंड की टीम 3-4-1-2 के फार्मेशन से खेल रही थी। पहले 09 मिनट का खेल  हॉलैंड के हाफ में हुआ और तीसरे ही मिनट में अमेरिका को एक बहुत ही आसान मौका मिला मैच में बढ़त बनाने का। उसके शानदार फॉर्म में चल रहे फारवर्ड पुलिसिस को बॉक्स के अंदर केवल डच गोलकीपर को मात देनी थी। लेकिन वो शॉट सीधे गोली के हाथ में मार बैठे। इसके बाद भी कई अच्छे मूव अमेरिकी टीम ने बनाए लेकिन फिनिश नहीं कर पाए। 10वें मिनट में पहली बार हॉलैंड को मौका मिला। एक काउंटर अटैक किया और 20 पासों के बाद राइट विंग से देन्ज़ेल दम्फ्रीज़ ने एक शानदार क्रॉस दिया और एक ही टच में दीपे के बॉक्स के बाहर से शानदार शॉट से गेंद जाल में समा गई। मोमेंटम पाला बदलकर हॉलैंड के पक्ष में आ चुका था। अमेरिका ने मिले मौके को गंवाकर मोमेंटम खो दिया था।

       ब हॉलैंड सुरक्षात्मक होकर काउंटर अटैक कर सकती थी और उसने ऐसा ही किया। उधर अमेरिका ने खेल की गति को धीमा किया और गेंद पर नियंत्रण रखा। लेकिन वे अच्छे मूव बनाने और  फिनिश करने में सफल नहीं हुए। गेंद पर उनके नियंत्रण को इस बात से समझा जा सकता है कि उनका बॉल पजेशन पहले हॉफ में हॉलैंड के 37 प्रतिशत के मुकाबले 643 प्रतिशत रहा। अमेरिका ने एक अच्छा मूव 42वें मिनट में फिर बनाया और बॉक्स के बाहर से वेह ने एक करारा शॉट लगाया जिसे हॉलैंड के गोलकीपर ने आसानी से रोक लिया। पहला हाफ बहुत साफ सुथरे ढंग से खेला गया और केवल एक मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया। इस एक मिनट में हॉलैंड की टीम ने एक बार फिर शानदार मूव बनाया। एक बार फिर राइट विंग से दम्फ्रीज़ ने क्रॉस दिया जिसे इस बार  देले बलिंद गोल में डालकर हॉलैंड की बढ़त 2-0 की कर दी।

        दूसरे हाफ में संघर्ष और सघन हो गया। अमेरिका ने दबाव बनाना शुरू किया और तीसरे मिनट में अमेरिका फिर आसान मौका चूका। हॉलैंड का गोलकीपर आगे आ चुका था और खाली गोल था,लेकिन दीपे ने गोल लाइन से गोल बचाया। 

           अंततः 76 वें मिनट में अमेरिका को पहला गोल करने में सफलता मिली जब हाजी राइट ने गेंद गोल में डाल कर स्कोर 1-2 कर दिया। मैच एक बार फिर खुल गया। लेकिन 81 वें मिनट पर देले बलिंद के क्रॉस पर इस बार दम्फ्रीज़ ने गोल किया और मैच व अमेरिकी भाग्य को बंद कर दिया। मैच इस स्कोर पर खत्म हुआ।

         निसंदेह ये दम्फ्रीज़ का मैच था जिसने दो असिस्ट और एक गोल किया। ये अमेरिका के लिए मिले अवसरों को गंवाने और हार जाने का मैच था। इस पूरे टूर्नामेंट में बार बार ये सिद्ध हुआ कि अवसर चूक जाने का मतलब हार है। आप अवसर चूक जाना नॉक आउट में अफोर्ड नहीं कर सकते।अमेरिका ने अवसर चूके,खामियाजा भुगता और विश्व कप 2022 से उसका सफर समाप्त हुआ।

          ज का दूसरा मैच दो बार के विश्व चैंपियन अर्जेंटीना और दूसरी बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के लिए आतुर ऑस्ट्रेलिया के बीच था। अर्जेंटीना के पास मैस्सी था। फुटबॉल का जादूगर। वो आज अपना एक हजारवाँ मैच खेल रहा था। जिस के 999 मैचों में 788 गोल और 348 असिस्ट थे। उसके पास दुनिया जहान की 41 ट्राफियां थीं। आज उसका प्रतिद्वन्दी नौसिखिया सरीखा था। वे अंतिम दो मैचों में मेक्सिको और पोलैंड को 2-0 से हराकर अपने ग्रुप में पहले स्थान पर थे। दूसरी और ऑस्ट्रेलिया केवल एक बार इससे पहले विश्व कप के इस स्टेज पर खेला था और पहले ही नॉकआउट मैच में हार गया था। इस बार के विश्व कप में उसने अपनी शुरुआत फ्रांस के हाथों 1-4 से हार के साथ की थी। लेकिन अगले दो मैचों में  ट्यूनीशिया और डेनमार्क को 1-0 से हरा कर अगले चरण में प्रवेश किया था।

           ये विश्व रैंकिंग में नंबर तीन बनाम नंबर अड़तीस का मुकाबला था। अर्जेंटीना के साथ उनका इतिहास,उनका खेल कौशल और मैस्सी था। दोनों टीमों के बीच खेले गए सात मैचों में पांच अर्जेंटीना ने जीते थे और एक ड्रा हुआ था। ऑस्ट्रेलिया केवल एक मैच जीत पाई थी, वो भी अरसे पहले 1988 में। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के पास शारीरिक डील डौल, दमखम और ताकत थी जिसके बल पर वे किसी को भी धूल चटाने का माद्दा रखते हैं। उन्होंने क्रिकेट से लेकर हॉकी तक तमाम खेलों में अपना दबदबा कायम कायम कर सिद्ध भी किया है। लेकिन उनके पास सबसे बड़ी उम्मीद की किरण वो विश्वास था कि हर बड़ी टीम को हराया जा सकता है। लीग चरण के तमाम उदाहरण उसके सामने थे और पहले ही मैच में 51वीं रैंक वाली सऊदी अरब से उसकी आज की विपक्षी टीम  अर्जेंटीना की 1-2 से हार का उदाहरण भी। बारीक ही सही उम्मीद की एक किरण उनके जेहन को रोशन कर रही होगी कि अर्जेंटीना की टीम में सेंध लगाई जा सकती है।

           र्जेंटीना ने 4-3-3 के फार्मेशन से और ऑस्ट्रेलिया ने 4-4-2 के फार्मेशन से खेल की शुरुआत की। आरंभ में ही लग गया था कि ये मैच पहले मैच की तुलना में अधिक इन्टेन्सिटी से खेला जाएगा और ऐसा ही हुआ भी। ऑस्ट्रेलिया ने मैस्सी को शुरू में बांधकर रखा। जब उसके पास बॉल आती दो तीन खिलाड़ी उसपर टूट पड़ते। लेकिन शेर को कितनी देर बांध कर रखा जा सकता है। मैस्सी अपनी पोजीशन से हटकर पूरे मैदान में खेले और शीघ्र ही लय में आ गए और 35वें मिनट में बॉक्स के अंदर मिले पास को तीन खिलाड़ियों के बीच से निकालकर गेंद जाल में उलझा दी। ये मैस्सी के एक हजारवें मैच का 789 वां गोल था। उसके बाद भी मेसी ने अनेक शानदार मूव बनाये पर हॉफ टाइम तक स्कोर लाइन 1-0 अर्जेंटीना के पक्ष में रही। दूसरे हॉफ में अर्जेंटीना ने 57 वें मिनट में जूलियन अल्वारेज के गोल से 2-0 की बढ़त बना ली। लेकिन औस्ट्रेलिया ने हार नहीं मानी। उसने अंतिम समय तक संघर्ष किया और अर्जेंटीना को आखिरी सीटी बजाने तक निश्चिंत नहीं होने दिया। दोनों टीमों ने अच्छे मूव बनाये पर गोल करने के मौके बनाए। 77वें मिनट में ऑस्ट्रेलिया का गोल आया जब स्थानापन्न खिलाड़ी क्रेग गुडविन ने बॉक्स के बाहर से एक तेज़ तर्रार शॉट गोल की और लगाया और गेंद अर्जेंटीना के डिफेंडर फर्नान्डीज के सिर से लग कर अपने ही गोल के जाल में जा उलझी। अंततः अर्जेंटीना ने 2-1 से जीत दर्ज की और क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया।

        ज के मैच दुनिया के दो गोलार्द्धों के अपने अपने मैच थे। पहला उत्तर बनाम उत्तर तो दूसरा दक्षिण बनाम दक्षिण। अपनी अपनी प्रकृति के हिसाब से ही मैच खेले गए। इस दोनों मैचों को देंखे तो लगेगा कि पहला मैच अपेक्षाकृत अधिक शांत,अनुशासित और कम इन्टेन्सिटी वाला था जबकि दूसरा अधिक फिजिकल,अधिक इन्टेन्सिटी, कड़े संघर्ष वाला और उग्र था। अर्जेंटीना के पास ऑस्ट्रेलिया के शारीरिक बल का बराबरी का और समुचित प्रत्युत्तर था।

         दि पहला मैच पूरी तरह से देन्ज़ेल दम्फ्रीज़ का था  तो दूसरा मैच मैस्सी का। उन्होंने विश्व कप का कुल मिलाकर नवां और नॉक आउट दौर का पहला गोल किया। कड़ी मार्किंग और रफ टफ टेकलिंग के बावजूद शानदार मूव बनाए। अफसोस इस बात का मैस्सी को दो आसान अवसर मिस करते देखा।

         दो क्षेत्रीय संघर्षों ने एक बड़े फलक अन्तरक्षेत्रीय संघर्ष की ज़मीन तैयार कर दी है। अब ये जो अगला संघर्ष होना है वो यूरोप बनाम दक्षिण अमेरिका का संघर्ष होगा। वो उत्तर बनाम दक्षिण का संघर्ष होगा। वो अर्जेंटीना बनाम नीदरलैंड का क्वार्टर फाइनल मैच होगा।

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पिक्चर अभी बाकी है दोस्तों।



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