Friday 6 August 2021

टोक्यो ओलंपिक डायरी_13

 



05 अगस्त 2021

टोक्यो ओलंपिक डायरी

स्पर्द्धाओं का 13वां दिन


      बहुत बार ऐसा होता है कि एक छोटी सी इच्छा पूरी ना होने से और लंबे समय तक उसका इंतजार बने रहने से वो हमारी सबसे बड़ी चाहना बन जाती है। वो इतना बड़ा आकार ग्रहण कर लेती हैं कि उसके सामने बड़ी से बड़ी इच्छाएं बौनी हो जाती हैं। यहां तक कि दूसरी बड़ी उपलब्धियां भी उस  चाहना को खत्म या रिप्लेस नहीं कर पातीं।  हॉकी की हमारी एक गौरवशाली विरासत थी जिसे हम संभाल नहीं सके। उसे संभालने के प्रयास में मिली  एक जीत बाकी सारी जीतों को किस तरह आच्छादित कर लेती है, ये हॉकी में आज की जीत बताती है।

आज भारत ने टोक्यो में अपने अभियान की अब तक की सबसे शानदार शुरुआत की। आज पुरूष हॉकी का कांस्य पदक के लिए भारत का जर्मनी की टीम से मुकाबला था। एक बहुत ही रोमांचक और संघर्षपूर्ण मैच में भारत ने जर्मनी को 5-4 से हरा दिया और कांस्य पदक जीत लिया। जिस खेल में आपने 08 स्वर्ण पदक जीते हों उसमें अगर देखा जाए तो कांसे का पदक जीत लेना बड़ी बात नहीं होती। लेकिन किसी जीत का महत्व इस बात से निर्धारित नहीं होता कि तमगे का रंग क्या है बल्कि इस बात से होता है वे तमगे किस समय और परिस्थितियों में जीते गए हैं। ये 41 साल लंबे इंतजार का अंत था। ये पुराने गौरव के एक अंश को पुनः प्रतिष्ठापित कर देना था। ये ध्यानचंद की विरासत को स्थापित करने का प्रयास था और राष्ट्रीय खेल के खोए गौरव को पुनर्स्थापित करने का प्रयास था। आज का मैच खेल की ऊंचाइयों को छू रहा था। इसमें वो सबकुछ था जो आज की हॉकी में लोग देखना चाहते हैं। अशोक कुमार कहते हैं कि ये एक ऐसा मैच था कि अब से सारे कोच इस मैच की वीडियो रेफरेंस के लिए अपने पास रखेंगे।


         पहला गोल जर्मनी ने किया। खेल शुरू होते ही जर्मनी ने भारत पर 1-0 से बढ़त ले ली। दूसरे क्वॉर्टर के शुरुआत में ही भारत के सिमरनजीत ने गोल दागकर स्कोर बराबर कर लिया। इसके बाद जर्मनी ने भी दूसरा गोल दाग दिया और 2-1 से आगे हो गया। यही नहीं दूसरे क्वॉर्टर के खत्म होने से 6 मिनट पहले जर्मनी ने स्कोर 3-1 कर दिया। भारत इससे हतोत्साहित नहीं हुआ। और दूसरा क्वार्टर खत्म होते होते हार्दिक सिंह और हरमनप्रीत सिंह ने गोल कर भारत को 3-3 की बराबरी दिला दी। तीसरे क्वॉर्टर के तीसरे मिनट में रुपिंदर पाल सिंह ने पेनाल्टी स्ट्रोक पर गोल दागकर भारत को 4-3 से बढ़त दिला दी और फिर सिमरनजीत ने भारत की बढ़त को 5-3 कर दिया। उसके बाद जर्मनी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। यहां तक कि आखरी चार मिनट में तो गोलकीपर की जगह एक और खिलाड़ी को उतार कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की। अंततः भारत ने मुकाबला 5-4 से जीतकर इस ओलंपिक का चौथा पदक अपनी झोली में डाला। एक बार फिर श्रीजेश ने शानदार  रक्षण किया और जीत में अहम योगदान दिया। उम्मीद की जानी चाहिए ये जीत भारतीय हॉकी में नए युग की शुरुआत साबित हो।

             इस स्पर्धा के फाइनल में बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया के बीच भी रोमांचक मैच खेला गया। रेगुलर टाइम  में  1-1 मुकाबला बराबरी पर रहने के कारण पेनाल्टी शूट आउट में बेल्जियम ने ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से परास्त कर स्वर्ण पदक जीत जीता।

                   कल जहां कुश्ती में भारतीय पहलवानों ने खुश होने के मौके दिए वहां आज सुबह एक खराब शुरुआत की। पहले अंशु मलिक रेपीचेज में रूस की वेलेरिया कोबालोव से 1-5 से हार गईं और इस स्पर्धा में अंशु की निराशाजनक चुनौती खत्म हुई। कुश्ती में भारत को विनेश फोगाट से बड़ी उम्मीदें थीं। 53 किलोग्राम वर्ग में उन्हें  पहली वरीयता मिली थी। उन्होंने अपने अभियान की शुरुआत भी अच्छी की और पहले राउंड में स्वीडन की सोफिया मैटसन को आसानी से  7-1 अंकों से हराया था। लेकिन अपना क्वार्टर फाइनल मुकाबला रूस की वेनेसा कालाजिनस्काया से 3-9 से हार गईं। और इस तरह उनका इस ओलंपिक का अभियान खत्म हुआ। कुश्ती में आज का सबसे बड़ा आकर्षण ये था क्या रवि कुमार दहिया गोल्ड जीत पाएंगे या नहीं। पर आज वे भी असफल रहे। 57 किलोग्राम बर्फ की इस स्पर्धा के फाइनल में रूस के विश्व चैंपियन जेड. युगेव से कड़ा मुकाबला किया पर 4-7अंकों से हार गए  और रजत पदक जीता। कुश्ती में ओलंपिक में पदक जीतने वाले वे 5वें भारतीय पहलवान हैं। आज कुश्ती में अंतिम चुनौती 86 किलोग्राम में दीपक पुनिया की थी जो कांस्य पदक के लिए सान मोरिनो के माइल्स एमिली से खेल रहे थे । ये एक बहुत ही करीबी और कड़ा मुकाबला था। अंतिम एक मिनट पहले तक दीपक 2-1 अंकों से आगे थे। समाप्ति के 5 सेकंड पूर्व एमिली ने दो अंक जीतकर दीपक को 4-2 अंकों से परास्त कर दीपक को कांस्य पदक से वंचित कर दिया। एमिली को अंतिम दो अंक दिए जाने को भारत ने चैलेंज भी किया पर उसको स्वीकार नहीं किया गया। इस स्पर्द्धा का स्वर्ण पदक अमेरिका के डेविड टेलर के ईरान के हसन यज़दानीचरती को हराकर जीता।


            कासुमिगासेकी कंट्री क्लब में चल रही गोल्फ स्पर्धा में दूसरे राउंड में भी अदिति अशोक का शानदार प्रदर्शन जारी है और वे पदक की दौड़ में बनी हुई हैं। दूसरे राउंड के बाद 09 अंडर 133 स्कोर के साथ डेनमार्क की कोरेट्ज़ मड़सेन और एमिली क्रिस्टीन के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर बनी हुई हैं। पहले स्थान पर विश्व नंबर एक अमेरिका की नैली कोरडा हैं जिन्हें चार स्ट्रोक्स की बढ़त हासिल है।


टोक्यो ओलंपिक से ही कुछ और खबरें।

शुरुआत टोक्यो के ओलंपिक स्टेडियम में चल रही एथलेटिक्स स्पर्द्धाओं से। पुरुषों की ट्रिपल जम्प स्पर्धा पुर्तगाल के पी. पिकार्डो ने 17.98 मीटर लंबी छलांग लगाकर जीत ली है। चीन के वाई.एम.झू ने 17.57 मीटर की छलांग के साथ रजत और बुर्किना फासो के एच. जंगो ने 17.47 मीटर की छलांग लगाकर कांस्य पदक जीता। 

पुरुषों की शॉटपुट स्पर्धा का स्वर्ण पदक अमेरिका ने नए ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ जीत। उन्होंने 23.30 मीटर की थ्रो की। 22.65 मीटर थ्रो के साथ अमेरिका के ही जे. कोवेक्स ने रजत और 22.47 मीटर की थ्रो के साथ न्यूज़ीलैंड के टी. वाल्श कांस्य पदक जीता।

पुरुषों की 20 किलोमीटर पैदल चाल स्पर्धा  इटली के एम.स्टानो ने जीती। उन्होंने 01 घंटा 21 मिनट और 05 सेकंड का समय लिया। जापान के के.इकेदा दूसरे स्थान पर और जापान के ही टी. यामानिशि तीसरे स्थान पर रहे। इस स्पर्धा में भारत के तीन खिलाड़ी प्रतिभाग कर रहे थे। संदीप कुमार ने  01 घंटे 25 मिनट और 07 सेकंड में दूरी पूरी की और 23वें स्थान पर रहे। राहुल 47वें स्थान पर और के.टी.इरफान 51वें स्थान पर रहे।

पुरुषों की 110 मीटर बाधा दौड़  में जमैका के एच पार्चमेंट ने 13.04 सेकंड में स्वर्ण पदक जीता। अमेरिका के जी. होलोवे ने 13.09 सेकंड के समय के साथ दूसरे और जमैका के आर.लेवी 13.10 सेकंड के समय के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

अमेरिका की केटी नेगोटे महिलाओं की पोलवॉल्ट स्पर्धा 4.90 मीटर ऊंची छलांग लगाकर जीती। रूस की ए.सिदोरोवा ने 4.85 मीटर के साथ सिल्वर और ब्रिटेन होली ब्रॉडशॉ ने कांस्य पदक जीता।

कनाडा के डेमियन वार्नर ने पुरुषों की डिकेथलॉन स्पर्द्धा का  स्वर्ण,फ्रांस के केविन मेयर ने रजत और ऑस्ट्रेलिया के ऐश मोलोनी ने कांस्य पदक जीता।

पुरुषों की चार सौ मीटर स्पर्धा बहामास के स्टीवन गार्डिनर ने जीत ली है। कोलंबिया के एंथोनी जामब्रानो ने दूसरा और ग्रेनाडा के किरानी जेम्स ने तीसरा स्थान  प्राप्त किया। उधर महिलाओं की हेप्टाथलॉन स्पर्धा नफी थिएम नीदरलैंड की अनॉक वेटर ने रजत और एमे  ओस्टरवेगेल ने कांस्य पदक जीता।

आज बास्केटबॉल के पुरुषों के सेमीफाइनल मैच खेले गए। पहले मैच में अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया को 97-78 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। अब उनका मुकाबला फ्रांस से होगा जिसने दूसरे सेमीफाइनल में स्लोवेनिया को 90-89 अंकों से हराया।

2019 की विश्व कप विजेता और टोक्यो में महिला फुटबॉल स्पर्धा जीतने की सबसे प्रबल दावेदार अमेरिका की टीम ने सेमीफाइनल में कनाडा के हाथों अप्रत्याशित हार के बाद आज ऑस्ट्रेलिया को 4-3 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया। जबकि फाइनल मैच गर्मी के कारण अब बाद में होगा।

चीन की 14 वर्षीया कुआन होंग चान ने 10 मीटर प्लेटफार्म डाइविंग में शानदार प्रदर्शन किया और  3 डाइव में परफेक्ट 10 अंक प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीता। वो टोक्यो में चीन की सबसे कम उम्र की एथलीट हैं। इसका रजत पदक  भी चीन की यू ज़ी ने जीता।

चीन की टीम ने महिलाओं की टेबल टेनिस टीम स्पर्धा जापना को हराकर जीत लिया।कांस्य पदक हांगकांग ने जीता।

और अब बात पदक तालिका की। आज खेल प्रतिस्पर्धाओं की समाप्ति पर पदक तालिका में चीन 34 स्वर्ण पदकों सहित 74 पदक जीत कर पहले स्थान पर,अमेरिका 29 स्वर्ण  पदकों सहित कुल 91 पदक लेकर दूसरे पर और जापान 22 स्वर्ण पदक सहित कुल 46 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर है। भारत 02 रजत और 03 कांस्य सहित कुल 05 पदकों के साथ पदक तालिका में अब 65वें स्थान पर पहुंच गया है।

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और अंत में चलते चलते बात रेफरियों और निर्णायकों की। कई विशेषज्ञों का मानना है कि आज 57 किलोग्राम कैटेगरी के फाइनल में अगर सही निर्णय होता तो परिणाम कुछ और होता। आज की बाउट में एक बार रूस का पहलवान रेड जोन में गया पर वक पॉइंट रवि को नहीं दिया गया। ऐसे ही एक टैकल पर दो अंक रवि को नहीं दिए गए। अगर ये 3 अंक रवि को दिए गए तो परिणाम शायद अलग होता। ये इसी ओलंपिक का कोई अकेला ऐसा मुकाबला नहीं है जिसमें खराब निर्णय हुआ हो। मेरी कॉम की बाउट में भी एक राउंड हारने और दो राउंड जीतने के बाद भी निर्णय उनके खिलाफ गया। भारत के हॉकी मैचों में भी बहुत खराब अंपायरिंग हुई। ये कहना मुश्किल है कि भारत के खिलाफ खराब निर्णय खास मानसिकता के केकारण आते हैं या मानवीय सीमाओं के कारण होता है। अब टेक्नोलॉजी का समावेश हो गया है और ज़्यादातर खेलों में रेफेरल सिस्टम आ गया है। उसके बावजूद भी खराब अंपायरिंग हो रही है निश्चित ही चिंता की बात है। आपको याद होगा कि एक अंपायर ने सचिन के खिलाफ पूर्वाग्रह के कारण गलत निर्णय दिए हैं। सभी रैफरी और अंपायर आखिरकार मानव ही होते हैं और मानवीय क्षमता की अपनी सीमाएं हैं।अगर ये अपनी इन सीमाओं के कारण गलत और खराब निर्णय होते हैं तो इन्हें खेल का स्वाभाविक और अनिवार्य अंग मानकर इग्नोर किया जा सकता है लेकिन ऐसे निर्णय किसी पूर्वाग्रह के कारण होते हैं तो ये चिंतनीय होना चाहिए।

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