04 अगस्त
टोक्यो ओलंपिक
स्पर्द्धा का 12 दिन
आज का दिन भारत के लिए धूप छांव वाला दिन। एक पल धूप एक पल छांव। एक पल खुशी एक पल उदासी। एक पल उम्मीद एक पल नाउम्मीदी। एक मिले जुले एहसास का दिन। एक ऐसा दिन जिसमें जीत की मिठास थी और हार की खटास भी। हाथ में पदक आने की मुस्कुराहट भी थी और हाथ से पदक निकल जाने की उदासी भी। पदक की संभावना बनने की उम्मीद भी जगी और पदक हाथ से फिसलने की निराशा भी फैली।
आज दिन की शानदार शुरुआत हुई। जेवलिन थ्रो में भारत के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा भाग ले रहे थे। और उन्होंने भारतवासियों को खुश होने का मौका दिया और पदक की उम्मीद भी दी। फाइनल राउंड में क्वालीफाई करने के लिए प्रतिभागी को 83.50 मीटर थ्रो या पहले प्रतिभागियों में आना था। नीरज ने अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर थ्रो के साथ फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। वे क्वालीफाइंग राउंड में प्रथम स्थान पर रहे। अब पूरी उम्मीद है भारत को एथलेटिक्स का पहला ओलंपिक पदक मिल जाए। इसका फाइनल 07 अगस्त को होगा। इस स्पर्धा में भारत के दूसरे प्रतिभागी शिवपाल सिंह थे। वे 76.40 मीटर की थ्रो के साथ ग्रुप में 12वें स्थान पर रहे और प्रतियोगिता से बाहर हो गए।
आज कुश्ती में भारत के तीन पहलवानों रवि कुमार दाहिया,दीपक पुनिया और अंशु मालिक के भाग्य दांव पर थे। पहलवान कसौटी पर खरे उतरे और शानदार जीत हासिल कर आगे बढ़े। महिलाओं की 57 किलोग्राम कैटेगरी में आज अंशु मलिक का पहले राउंड में मुकाबला विश्व नंबर 03 बेलारूस की इरिना कुराचिकिना से था। वे इरिना से 2-8 अंकों हार गईं। क्योंकि इरिना फाइनल में पहुंच गई हैं,इसलिए अंशु के पास रेपिचेज के जरिए कांस्य पदक जीतने का अभी मौका है।
लेकिन बाकी दो पहलवान आगे बढ़े। 57 किलोग्राम के फ्रीस्टाइल स्पर्धा में रवि कुमार दहिया ने प्री क्वार्टर फाइनल में कोलंबिया के ऑस्कर एडुआर्डो को टेकनिकल श्रेष्ठता के आधार पर 13-2 अंकों से हराया। उसके बाद क्वार्टर फाइनल में बुल्गारिया के जॉर्जी वोलेंटिनोव वोंगेलोव को भी टेक्निकल श्रेष्ठता के आधार पर 14-04 अंकों से हराकर सेमीफाइनल में पहुच गए।
यहां कजाकिस्तान के नूरइस्लाम सानायेव से कड़ा मुकाबला हुआ। 2-1 की प्राम्भिक बढ़त लेने के बाद वे 2-9 अंकों से पिछड़ गए। लेकिन उन्होंने शानदार कमबैक कर स्कोर 7-9 किया और जब एक मिनट से भी कम समय था तो नूरइस्लाम को चित कर फाइनल में रजत पदक पक्का किया। वे ओलंपिक में पदक जीतने वाले के डी जाधव,सुशील कुमार,योगेश्वर दत्त और साक्षी मलिक के बाद 5वें भारतीय पहलवान होंगे। फाइनल में उनका मुकाबला रूस के ज़ेर उगुएव से होगा।
उसके बाद 86 किलोग्राम फ्रीस्टाइल पुरुष स्पर्धा में दीपक पुनिया भाग ले रहे थे। पहले रॉयन्ड में उन्होंने नाइजीरिया के इकेरेकेमे अगिओमोर को टेक्निकल श्रेष्ठता के आधार पर 12-1 अंकों से हराया। फिर क्वार्टर फाइनल में चीन के जुशेन लिन को कड़े मुकाबले में 6-3 उनको से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। यहां उनका मुकाबला डेविड मोरिस टेलर से था लेकिन दीपक उनका सामना नहीं कर पाए और टेक्निकल श्रेष्ठता के आधार पर 0-10 से हार गए। अब वे कांस्य पदक के लिए खेलेंगे। और ऊनसे भी पदक की उम्मीद रहेगी।
आज भारत की लोवलीना बोरगोइन का 69 किलोग्राम वर्ग में सेमीफाइनल मुकाबला वर्तमान विश्व चैंपियन टर्की की बुसेनाज़ सुरमनेली से था। लोवलीना संघर्ष किया परन्तु विश्व चैंपियन के सामने नहीं टिक सकीं और मुकाबला 0-5 से हार गईं। वे अपना कांस्य पदक सेमीफाइनल में प्रवेश करते ही सुरक्षित कर चुकी थीं। और आज का मुकाबला पदक का रंग बदलने के लिए था। फिलहाल उन्हें कांस्य पर संतोष करना पड़ा। वे ओलंपिक में मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली तीसरी खिलाड़ी हैं। इससे पहले 2008 बीजिंग में बिजेन्दर सिंह ने और 2012 लंदन में मेरीकॉम ने कांस्य पदक जीता था।
आज महिला हॉकी के पहले सेमीफाइनल में नीदरलैंड ने इंग्लैंड को 5-1 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। दूसरा सेमीफाइनल भारत और अर्जेंटीना के बीच था। भारत ने एक बार फिर शानदार शुरुआत की। आठवें मिनट में भारत ने पहला पेनाल्टी कॉर्नर हासिल किया और पिछले मैच की तरह गुरजीत ने इस बार भी गेंद को गोल में भेजने में कोई गलती नहीं की। भारत ने 1-0 की बढ़त ले ली। दूसरे क्वार्टर में अर्जेंटीना ने भारत पर दबाव बनाया और तीन पेनाल्टी कॉर्नर अर्जित किए और तीसरे पेनाल्टी कॉर्नर पर 18वें मिनट में मारिया बारिनोवा ने गोल कर स्कोर 1-1 कर दिया। हाफ टाइम तक स्कोर 1-1 था। तीसरे क्वार्टर में 36 वें मिनट ने एक बार फिर अर्जेंटीना ने पेनाल्टी कॉर्नर लिया और फिर से कप्तान मारिया ने पेनाल्टी को गोल में बदलकर अर्जेंटीना को 2-1 से आगे कर दिया। और अंत तक यही स्कोर बना रहा। अब भारत का कांस्य पदक के लिए ब्रिटेन से खेलेगी।
गोल्फ में अदिति अशोक ने अच्छी शुरुआत की। वे पहले राउंड के बाद 4 अंडर 67 के स्कोर के साथ दूसरे स्थान पर थीं। लेकिन दीक्षा डगर अच्छी शुरुआत नहीं कर सकीं। वे 5 ओवर 76 स्कोर के साथ 56वें स्थान पर हैं।
अब बात टोक्यो के ओलंपिक स्टेडियम में चल रही एथलेटिक्स की। पुरुषों की तरह महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ भी बहुत ही रोमांचक रही। इसे अमेरिका की 21 वर्षीया सिडनी मैकलौघलीन ने 51.46 सेकंड का समय निकालकर नए विश्व रिकॉर्ड के साथ जीता। उन्होंने जून में बनाए अपने 51.90 सेकंड रिकॉर्ड में सुधार किया। रजत रियो की विजेता और 2019 कि विश्व चैंपियन अमेरिका की दलीलाह मुहम्मद ने जीता जिन्होंने 51.58 सेकंड का अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाला। उन्होंने भी वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा। कांस्य पदक 52.02 सेकंड के समय के साथ नीदरलैंड फेमके बोल ने जीता। उन्होंने नया यूरोपियन रिकॉर्ड बनाया।
पोलैंड के डब्ल्यू नोविकी ने पुरुषों की हैमर थ्रो स्पर्धा जीती। नॉर्वे के ई.हेंरिकसन ने सिल्वर और पोलैंड के पावेल फजदेक ने ब्रॉन्ज मैडल जीता।
केन्या के इमेनुएल कोरीर ने पुरुषों की 800 मीटर दौड का स्वर्ण,केन्या के ही फर्गुसन रोटिच ने चांदी का और पोलैंड के पैट्रिक डोबेक ने कांसे का तमगा जीता।
महिलाओं की 3000 मीटर स्टेपलचेज स्पर्धा उगांडा की पेरुथ चेमुताई ने जीत ली। उन्होंने 09 मिनट और 01.45 सेकंड का समय लिया। अमेरिका की कोर्टनी फ्रेरिच ने रजत पदक और केन्या की हेविन कियेंग ने कांस्य पदक जीता। केन्या की विश्व रिकॉर्ड धारी बैट्रिस चेप्कोएच सातवें स्थान पर रहीं
कनाडा के आंद्रे डी ग्रासे ने पुरुषों की 200 मीटर दौड़ जीती। इसका रजत अमेरिका के केनी बेडनारेक ने और अमेरिका के ही नोह लीलेस ने कांस्य पदक जीता।
आज बास्केटबॉल में महिलाओं के क्वार्टर फाइनल मुकाबले सम्पन्न हुए। इनमें सर्बिया ने चीन को 77-70 अंकों से,अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया को 79-55 से,जापान ने बेल्जियम को 86-85 से और
फ्रांस ने स्पेन को 67-64अंकों से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया।
इनोशीमा याच हारबर में चल रही पुरुषों की 470 सेलिंग क्लास स्पर्धा में ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू बेल्च और विल रयान ने स्वर्ण पदक जीता। स्वीडन के एंटोन देल्बर्ग और फ्रेडरिक बेर्गस्ट्रोम ने रजत और स्पेनिश जोड़ी जोरड़ी और निकोलस रोड्रिगेज़ गार्सिया ने कांस्य पदक जीते।
10 किलोमीटर की तैराकी मैराथन स्पर्धा ब्राज़ील की एना मार्सेला कुन्हा ने एक घंटा 59 मिनट और 30.8सेकंड का समय निकालकर जीत ली।वर्तमान चैंपियन नीदरलैंड की शेरोन वां रोवेंडल ने रजत और ऑस्ट्रेलिया की करीना ली ने कांस्य पदक जीता।
वेटलिफ्टिंग की 109 किलोग्राम से अधिक भारवर्ग स्पर्धा में जॉर्जिया के लाशा तालाकुल 488 किलोग्राम वजन उठाकर अपना ही विश्व रिकॉर्ड तीन किलोग्राम से बेहतर किया। ईरान के अली दाउदी ने रजत और सीरिया के मान आसा ने कांस्य पदक जीता।
यूक्रेन के झान बेलेनुइक ने पुरुषों की ग्रीको रोमन मिडिलवेट स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता। हंगरी के विक्टर लोरिक्ज़ ने चांदी का और सर्बिया के जुराबी ने कांसे का तमगा हासिल किया।
और अब बात पदक तालिका की। आज खेल प्रतिस्पर्धाओं की समाप्ति पर पदक तालिका में चीन 32 स्वर्ण पदकों सहित 70 पदक जीत कर पहले स्थान पर,अमेरिका 25 स्वर्ण पदकों सहित कुल 79 पदक लेकर दूसरे पर और जापान 21 स्वर्ण पदक सहित कुल 40 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर है। भारत एक रजत और दो कांस्य सहित कुल तीन पदकों के साथ पदक तालिका में अब 65वें स्थान पर पहुंच गया है।
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और चलते चलते बात खेल भावना की। ये पुरुषों की ऊंची कूद प्रतियोगिता की बात है। क़तर के मुताज़ ईसा बरशिम,इटली के जी तांबेरी और बेलारूस के नेदासकू तीनों ने 2.37 मीटर ऊंची कूद लगाई। क्योंकि नेदासकू ने ये ऊंचाई दूसरे प्रयास में क्लियर की,जबकि बरशिम और तांबेरी पहले ही प्रयास में इसे पार करने सफल हो गए थे। तो तीसरे स्थान का फैसला हो गया था जो नेदासकू के हिस्से में आया। अब तांबेरी और बरशिम ने 2.39 मीटर ऊंचाई लांघने का प्रयास किया। इसमें दोनों असफल रहे। अब नियमानुसार स्वर्ण और रजत के लिए 'जम्प ऑफ' से होना था। लेकिन इस समय तक तांबेरी चोटिल हो चुके थे और जम्प ऑफ करने की स्थिति में नहीं थे। यानी उन्हें रजत पदक पर संतोष करना पड़ता। जब बरशिम को ये पता चला तो वे अधिकारियों के पास गए और उन्होंने कहा यदि जम्प ऑफ के लिए दोनों मना कर दें तो क्या दोनों को स्वर्ण पदक दिए जा सकते हैं। अधिकारियों ने हां कर दी। एथलेटिक्स के इतिहास में पहली बार हुआ कि एक ही स्पर्धा में दो स्वर्ण पदक दिए गए और कोई रजत नहीं। ऐसा होते ही तांबेरी दौड़ कर बरशिम की की गोद में चढ़ कर उनसे लिपट गए। ये एक अद्भुत दृश्य की निर्मिति हो रही थी। एक बार फिर साबित हुआ कि खेल सिर्फ हार जीत नहीं होते, प्रतिस्पर्धाएं नहीं होते। ये एक दूसरे के प्रति आदर और सम्मान भी होते है। ये ईमानदार भी होते है। ये आपसी भाई चारा और बंधुत्व की भावना भी होते हैं। और ये कड़ी प्रतिस्पर्द्धा नहीं स्वथ्य प्रतिस्पर्धा होते हैं। यही सच्ची खेल भावना है। यही ओलंपिक खेलों की भावना है।
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