जिन जगहों पर खिलाड़ी खेल रहे होते हैं,वहां बेहतर प्रदर्शन करने के लिए खिलाड़ियों को अपनी काबिलियत के साथ साथ उन जगहों को आत्मसात भी करना होता है। जोकोविच इस बार पूरी प्रतियोगिता के दौरान लाल टी शर्ट और लाल जूते पहने रहे। मानो वे रोलां गैरों की लाल मिट्टी से एक संवाद स्थापित करने का प्रयास कर रहे हों कि मैं तुम्हारे रंग में रंग चुका हूँ। अब तुम्हें मुझे अपनाना होगा और मेरे रंग में रंग जाना होगा। और इस बार ऐसा वे कर सके।
रविवार की शाम जब ग्रीस के स्टेफानोस सितसिपास को दो सेट पिछड़ने के बावजूद 6-7(6-8),2-6,6-3,6-2 और 6-4 से हराकर अपना कुल मिलाकर 19 वां और दूसरा फ्रेंच ओपन ग्रैंड स्लैम खिताब जीत रहे थे तो जोकोविच, फिलिप कार्टियर एरीना और उसकी लाल मिट्टी सब एकाकार हो चुके थे। बस एक ही दृश्य दिखाई पड़ता था जिसमें जोकोविच की अविस्मरणीय जीत के चटक रंगों की चकाचौंध चारों और बिखरी थी और ऐसा दृश्य जिसमें 'तीन समान' (फेडरर,राफा,जोकोविच) में जोकोविच प्रथम जान पड़ता।
कोई भी चीज अपनी संख्या बल पर नहीं बल्कि गुणात्मकता के कारण महत्वपूर्ण होती है।जोकोविच की ये जीत भी इसी की ताईद करती है। ये फ्रेंच ओपन में जोकोविच की केवल दूसरी जीत है,लेकिन इसने राफा की 13 जीतों का रंग मानो फीका कर दिया हो। दरअसल इस दूसरी जीत ने उसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। ओपन इरा यानी 1968 के बाद का वो सबसे पूर्ण खिलाड़ी जो बन चुका था। वो चारों ग्रैंड स्लैम कम से कम दो बार जीतने वाला पहला खिलाड़ी जो बन चुका था। इससे पहले सिर्फ दो खिलाड़ी रॉड लेवर और रॉय इमर्सन ऐसा कर चुके थे लेकिन ओपन एरा से पूर्व। यानि सभी सतहों पर समान रूप से अधिकार रखने वाला खिलाड़ी। निसन्देह ये एक खिलाड़ी के रूप में उसकी श्रेष्ठता का प्रमाण है। दूसरे,अब वो फेडरर और राफा के सर्वाधिक 20 खिताबों से सिर्फ एक खिताब दूर है। उसके फॉर्म को देखते हुए तो लगता है कि इसी साल वो दौड़ में सबसे आगे होगा। और ये भी कि फाइनल में 22 साल की उम्र वाला आंकड़ा भले ही सितसिपास के पक्ष में हो पर क्वालिटी जोकोविच के पास ही थी।
दरअसल इस साल के फ्रेंच ओपन का ये संस्करण टेनिस इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल विभाजक इवेंट होते होते रह गया। बिग थ्री के इस दबदबे वाले युग का ये पहला अवसर था जब तीनों एक ही हाफ में रखे गए थे। इनमें से केवल एक ही फाइनल में पहुंच सकता था। दूसरे हाफ में 'नेक्स्ट जेन' के सबसे बड़े खिलाड़ी मसलन सितसिपास,ज़वेरेव,मेदवेदेव थे। इस तरह ये पहली बार प्रतियोगिता के शुरू होने से पहले ही पुरनियों के जीतने की संभावना आधी हो गयी थी। ये एक महत्वपूर्ण तथ्य है। अगर यहां पर 'नेक्स्ट जेन' का खिलाड़ी विजयी होता तो निश्चय ही ये महत्वपूर्ण काल विभाजक प्रतियोगिता होती जहां से 'नेक्स्ट जेन' का दबदबा शुरू होता और बिग थ्री का ढलान। पर ऐसा हो ना सका। जोकोविच ने बताया कि अभी 'बहुत जोर बाजुएं पुरानों में है'।
फ्रेंच ओपन से ठीक पहले रोम ओपन के फाइनल में राफा से हारने के बाद एक पूछे गए प्रश्न के जवाब में जोकोविच ने हल्के फुल्के अंदाज़ में कहा था कि 'नेक्स्ट जेन अभी हमें ओवरटेक करने की स्थिति में है ही कहां। बल्कि हमने (यानी बिग थ्री) खुद ही 'नेक्स्ट जेन' को रीइंवेंट किया है।' फ्रेंच ओपन को जीतकर वे अपने कथन को अक्षरशः सिद्ध कर रहे थे। युवाओं को बिग थ्री के जूतों में पैर डालने में अभी और समय लगने वाला है।
पेरिस दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है और ये भी कि ये शहर दुनिया की 'फैशन राजधानी' है। और फैशन की एक विशेषता होती है चंचलता। वो हमेशा गतिमान होता है। ठहरता नहीं है। वो किसी एक वस्तु या स्थान पर निर्भर नहीं होता,उसका सहारा नहीं लेता। वो ना केवल अपना रूप बदलता है बल्कि अपने आलंब और अवलंब भी बदलता है। तो क्या उसी से प्रेरित होकर रोलां गैरों ने भी इसे अपनी विशेषता बनाया होगा। वो बड़े से बड़े खिलाड़ी को भी एक या दो बार से अधिक बार चैंपियन नहीं बनाती। उसे हर बार एक नया चैंपियन चाहिए होता है। बड़े बड़े खिलाड़ी यहां खेत रहते हैं। 20 ग्रैंड स्लैम जीतने वाला फेडरर एक बार और 19 खिताब जीतने वाले जोकोविच केवल दो खिताब जीत पाते हैं। पीट सम्प्रास,जिमी कॉनर्स,जॉन मैकनरो,बोरिस बेकर और स्टीफेन एडबर्ग जैसे दिग्गज खिलाड़ी तो इसे एक बार भी नहीं जीत पाए। हां 13 बार जीतने वाला राफा इसका अपवाद है।
तो क्या कारण है कि राफा इसे 13 बार जीत लेता है और बड़े बड़े खिलाड़ी एक दो बार ही जीत पाते हैं और कई बड़े नाम जीत भी नहीं पाते। दरअसल फैशन की सबसे बड़ी विशेषता उसकी कलात्मकता और उसकी कोमलता है। पॉवर भी उसका एक तत्व है पर उतना महत्वपूर्ण नहीं। शायद उसी से रोलां गैरों की मिट्टी प्रेरणा लेकर अपना चरित्र निर्माण करती है। उसे पॉवर गेम पसंद नही आता। वो कोमल एहसास से खिलखिला उठती है,ऐसा करने वाले पर न्योछावर हो हो जाती है,उसके पैरों तले बिछ जाती है और उसमें अतिरिक्त गति भर देती है। राफा ने इसे पहचाना। उसने लाल मिट्टी को मान दिया। उसकी इच्छा का सम्मान किया। उसने अपने खेल को ताकत के बजाय कलात्मकता और कोमलता दी। बदले में लाल मिट्टी ने जीत की सौगात।
इस बार नोवाक ने भी यही किया। नोवाक जीत सका और राफा को हरा सका तो सिर्फ इसलिए कि उसने खेल में पावर का इस्तेमाल नहीं किया। राफा के खिलाफ उसकी जीत में उसका राफा के बाएं हाथ पर आक्रमण के साथ साथ बेस लाइन से और उसके पीछे से खेलना भी था। आप जितना आगे आकर खेलते हैं ज़्यादा पावर प्रयोग करते हैं। लेकिन पीछे से खेलने पर प्लेसिंग, ट्रिक्स और टॉप स्पिन पर निर्भर होना पड़ता है। इस बार जोकोविच ने ऐसा ही किया। लाल मिट्टी से तादात्म्य स्थापित किया और बदले में जीत से बेहतर प्रतिदान लाल मिट्टी से और क्या मिल सकता था जो इस बार लाल मिट्टी के दत्तक पुत्र राफा को भी नसीब ना हो सका।
रोलां गैरों के इस चंचल,गतिमान और कोमल स्वरूप को पहचानना हो तो इसे महिला टेनिस से अधिक अच्छी तरह से समझा जा सकता है। बीते शनिवार को जब चेक गणराज्य की 25 वर्षीय बारबोरा क्रेजीकोवा रूस की वेटेरन 29 साल की पावलिचेंकोवा को 6-1,2-6,6-4 से हरा रहीं थी तो 2017 के बाद से तीसरी अनसीडेड खिलाड़ी थीं जिन्होंने यहां खिताब जीता। यानी महिला वर्ग में भी बड़ा नाम नहीं चलता। इस बार क्वार्टर फाइनल में आठ में से छह खिलाड़ी ऐसी थीं जो पहली बार ग्रैंड स्लैम के क्वार्टर फाइनल में खेल रहीं थी। इन 6 में से ही चार सेमीफाइनल में पहुंची। पिछले 6 बार से जो भी यहां महिला खिलाड़ी चैंपियन बनी वो कोई भी ग्रैंड स्लैम खिताब पहली बार जीत रही थी।
दरअसल फ्रेंच ओपन का होस्ट रोलां गैरों बाकी ग्रैंड स्लैम होस्ट की तरह कृत्रिम सतह वाला न होकर प्राकृतिक सतह वाला है। शायद इसीलिए उसकी पसंद अर्जित और कृत्रिम पावर के बजाय स्वाभाविक कोमलता है। ये पावर के रेगिस्तान में कोमलता का नखलिस्तान है जो आपके जुनून और उन्माद की जगह सहज उत्साह और उमंग का संचार करता है।
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नोवाक को 19वां और क्रेजीकोवा को पहला ग्रैंड स्लैम खिताब बहुत मुबारक हो।
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