Thursday 21 January 2021

इस जीत के कुछ मायने हैं।

 


         इतिहास हमेशा से ही इस बात की ताईद करता रहा है कि अजेय माने जाने वाले मजबूत से मजबूत  किले और दुर्ग भी कभी ना कभी ध्वस्त हो ही जाते हैं,ढह जाते हैं और जीत लिए जाते हैं। और ये भी कि लड़ाइयां हमेशा श्रेष्ठ योद्धाओं और शस्त्रों के बल पर ही नहीं जीती जातीं बल्कि जोश,ज़ज्बे और भावनाओं के उद्वेलन से भी जीती जाती हैं। आज जब ब्रिस्बेन के गाबा में ऑस्ट्रेलिया के अजेय दुर्ग को भारतीय क्रिकेट टीम अपने श्रेष्ठ योद्धाओं के बगैर  भी तीन विकेट से ढहा रही तो इतिहास के इस सबक को ही पुनः याद करा रही थी। निसन्देह,ये भारतीय टेस्ट क्रिकेट की सबसे शानदार जीतों में से एक है जो हमेशा याद रखी जाएगी।

      1947-48 के पहले भारतीय क्रिकेट के पहले दौरे से लेकर इस मैच के पहले तक ब्रिस्बेन में खेले गए 6 मैचों में से भारत एक भी मैच नहीं जीत सका था। याद कीजिए भारतीय टीम का 1967-68 के दौरे का तीसरा टेस्ट मैच। वो आज के दिन 19 जनवरी को आरंम्भ हुआ था। उस टेस्ट मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का निर्णय लिया। चौथी पारी में उसे 394 रनों का लक्ष्य मिला और एम एल जयसिम्हा की 101  रनों की शानदार पारी के बावजूद 39 रन पीछे रह गई। उसने चौथी पारी में 355 रन बनाए। ये गाबा में खेला गया भारत का दूसरा मैच था। इससे पहले 1947-48 के पहले दौरे में गाबा में खेला गया मैच भारत पारी से हार चुका था। लेकिन 1967-68 के दौरे में गाबा में तीसरे टेस्ट मैच में 19 जनवरी को शुरू हुए उस संघर्ष को आज ठीक 52 साल बाद जीत में बदल कर अंजाम तक पहुँचाया। इतना ही नहीं पिछले 32 सालों में कोई भी देश की टीम ऑस्ट्रेलिया को गाबा के मैदान में हरा नहीं हरा सकी थी। आखिरी बार 1988 में वेस्टइंडीज की टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराया था। 

               4 टेस्ट मैचों की इस श्रृंखला का आगाज़ भारत के लिए इससे खराब नहीं हो सकता था। भारत ने पहली पारी के में 53 रनों की बढ़त के बावजूद दूसरी पारी में मात्रा 36 रनों पर ढेर हो गई और मैच आठ विकेट से हार गई। इस मैच के बाद कप्तान विराट कोहली वापस स्वदेश लौट चुके थे। ऐसे में टीम की कमान अजिंक्या ने संभाली। भारत ने पलटवार किया। 195 रनों पर ऑस्ट्रेलिया को आउट करके 112 रनों की शानदार कप्तानी पारी की बदौलत 131 रनों की बढ़त ली और फिर दूसरी पारी में 200 रनों पर आउट कर 70 रनों का लक्ष्य 2 विकेट खोकर आसानी से हासिल कर सीरीज 1-1 से बराबर कर उसे रोचक बना दिया। तीसरे टेस्ट में भारतीय खिलाड़ियों ने जीवट का परिचय दिया और मैच ड्रा करा लिया। इस मैच में पहली पारी में 94 रनों से पिछड़ने के बाद चौथी पारी में 407 रनों का लक्ष्य था जीतने के लिए भी और 4 सेशन सर्वाइव करके ड्रॉ करने के लिए भी और वो भी उस स्थिति में जब भारतीय खिलाड़ी घायल हों।लेकिन घायल पंत 97 और बिहारी हनुमा 23 और अश्विन 39 ने जीवट और धैर्य का परिचय देते हुए पारी को ना केवल संभाला बल्कि मैच ड्रा करा दिया। खेल समाप्ति पर भारत की चौथी पारी का स्कोर 334 रन 5 विकेट पर था। इस पारी में उसने 131 ओवर खेले।

            अब सीरीज का परिणाम चौथे टेस्ट के परिणाम पर निर्भर था। जब भारतीय टीम गाबा आई तो श्रीहीन हो चुकी थी। उसका सेनानायक तो पहले ही घर वापस जा चुका था। ये दीगर बात है कि उसके नायाब ने उस कमी को महसूस नहीं होने दिया और दाल का कुशल संचालन और नेतृत्व किया। लेकिन गाबा तक आते आते तमाम योद्धा घायल हो चुके थे और संघर्ष से बाहर थे। आप कल्पना कर सकते हैं कि विराट कोहली,बुमराह,उमेश यादव,रविन्द्र जडेजा,हनुमा बिहारी और आर अश्विन के बिना भारतीय टीम कैसी थी।ये कल्पना से परे था कि भारतीय तेज आक्रमण में सिराज,सैनी,शार्दूल और नटराजन चारों को मिलाकर कुल 8 टेस्ट मैचों के अनुभव था। लेकिन जब आपके दिल में जीत का जज्बा हो तो आप दुनिया बदलने की ताकत रखते हैं। भारतीय खिलाड़ियों ने एकदम यही किया। पहली पारी में लड़खड़ाने के बाद भी शार्दूल और सुंदर की शानदार बल्लेबाजी और दूसरी पारी में ऋषभ पंत,चेतेश्वर पुजारा और वाशिंगटन सुंदर की शानदार बल्लेबाजी और निसन्देह सिराज की शानदार गेंदबाजी की बदौलत एक इतिहास रच दिया।

           जब आप में हौसला होता है तो विपक्ष का हर हथियार बेकार हो जाता है। गाबा की पिच की अतिरिक्त तेजी और अतिरिक्त उछाल ऑस्ट्रेलियाई टीम के ऐसे हथियार हैं जिससे विपक्षी टीम को सामंजस्य बिठा पाना बहुत कठिन होता है। पर भारतीय खिलाड़ियों ने ये कर दिखाया।

             ये बात तय है कि सही और असली क्रिकेट पांच दिनी टेस्ट क्रिकेट ही है। हाँ क्रिकेट के छोटे फॉरमेट ने खेल की शास्त्रीयता को चाहे जितना नुकसान पहुंचाया हो पर एक बात जरूर है कि उसने टेस्ट क्रिकेट को परिणामोन्मुखी बनाया है जिसके कारण अब ज़्यादातर मैचों में परिणाम आ रहे हैं और उनमें रुचि बनी हुई है।

जो भी हो ये भारतीय टीम की शानदार जीत है जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में ही नहीं बल्कि क्रिकेट प्रेमियों के स्मृतियों में भी हमेशा के लिए दर्ज हो गई है। भारतीय टीम को बधाई तो बनती है। जीत मुबारक।

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