उसे सांझ उदासी से भरती, मुझे सांझ उम्मीद से लबालब करती। उसे लगता ये दिन का अंत है। मुझे लगता ये रात का आरंभ है,रात की सुबह है। उसे लगता दिन का उल्लास और स्पंदन खत्म होने को है। मुझे लगता रात का एकांत और संगीत शुरू होने को है। दोनों खयालों से भरे थे। कितने जुदा जुदा पर कितने एक थे हम।
Sunday, 12 April 2020
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कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते हैं।
ये खेल सत्र मानो कुछ खिलाड़ियों की दीर्घावधि से लंबित पड़ी अधूरी इच्छाओं के पूर्ण होने का सत्र है। कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते ...
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हर शहर का एक भूगोल होता है और उस भूगोल का स्थापत्य ये दोनों ही किसी शहर के वजूद के लिए ज़रूरी शर्तें हैं। इस वजूद की कई-कई पहचानें होती है...
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