Friday, 9 June 2017

जब ये दिल उदास हो







जब भी ये दिल उदास होता है 

---------------------------------

सुनो 
मत होना उदास 
कि नहीं हूँ मैं 
तुम्हारे आस पास 


बस ज़रा खुद से बाहर आना 

देखना पत्तों पर ठहरी ओस की बूंदें 
और महसूसना मेरे मन का गीलेपन   
सुनना पक्षियों का कलरव  
और महसूसना मेरे दिल की धड़कन 
थोड़ी देर ठहरना ऐसे ही 
लिपटना हवा के झोंकों से  
और महसूसना मेरी साँसों की कम्पन 
थोड़ी सी मिट्टी हाथ में लेना 
घोलना अपनी आँख का पानी  
और महसूसना मेरी देह गंध 
थोड़ी देर बाहर ही रहना 
खुद को हवाले करना 
रिमझिम बरसते
धरती के लिए बादल राग के 
कि खुद ही महकने लगोगी मेरे प्रेम की कस्तूरी से 

और जान जाओगी 

मैं वहीं कहीं हूँ 
वहीं कहीं 
तुम्हारे पास ! 
------------------------------------
जब भी ये दिल उदास होता है 
जाने कौन आस पास होता है !













No comments:

Post a Comment

अकारज_22

उ से विरल होते गरम दिन रुचते। मैं सघन होती सर्द रातों में रमता। उसे चटकती धूप सुहाती। मुझे मद्धिम रोशनी। लेकिन इन तमाम असंगतियां के बीच एक स...