Sunday 18 June 2017

हार जीत

                           
                                             

          

                                       जीत हार 
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                               जब भी आपकी टीम हारती है आप ना केवल निराश होते हैं बल्कि दुखी भी होते हैं। फिर वो आपके क्लब की टीम हो,प्रदेश की टीम हो या देश की टीम हो। साइना या सिंधु हारती हैं तो निराशा होती है,सानिया या पेस हारते हैं तो निराशा होती है,नडाल या सेरेना हारती है तो निराशा होती है,बर्सिलोना या गोल्डन स्टेट हारती है तो निराशा होती है,ब्राज़ील या अर्जेंटीना हारती है तो निराशा होती है। आज जब भारतीय टीम हारी और जिस तरह से हारी उससे घोर निराशा होनी बनती है। लेकिन खेल है और खेल में एक पक्ष कभी भी अजेय नहीं हो सकता। भारत की टीम भी नहीं। आप जीत का जश्न मनाते हैं तो हार का मातम भी मनाइए कोई बुराई नहीं। 
                                  लीग मैच में पकिस्तान की टीम जिस तरह से हारी थी तो यही लिखा था कि ये किसी शेर द्वारा मेमने का शिकार करने जैसा था। ठीक चौदह दिन बाद एक बार वही दृश्य था बस किरदार बदल गए थे। पाकिस्तान की जीत निसंदेह काबिले तारीफ़ है।पिछले कुछ सालों में जाने कितने खिलाड़ी और कप्तान आये और गए। इस बार पाकिस्तान की टीम को सबसे कमज़ोर समझा जा रहा था। उसमे केवल दो ही पुराने और अनुभवी खिलाड़ी थे शोएब मालिक और हफ़ीज़। बाकि सब नए या कम अनुभवी। ये उनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी थी थी जो चैंपियंस ट्रॉफी के ख़त्म होते होते सबसे बड़ी ताक़त बन गयी। .नए खिलाडियों ने एकजुटता दिखाई। मतभेदों के लिए पुराने खिलाड़ी थे नहीं।भारत से हार के बाद टीम ने अपने को संगठित किया,शानदार खेल दिखाया और विजेता बने। 
                                      खेल भावना कहती है अपने विपक्षी की सफलता को खुले दिल से सराहे। तो पाकिस्तान को ये शानदार जीत बहुत बहुत मुबारक हो।और हाँ हिन्दुस्तान को भी 7-1 से शानदार जीत पर बहुत बहुत बधाई। 






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