Friday, 23 December 2016

इस सर्द मौसम


इस सर्द मौसम 

मिरा यार 
इस सर्द मौसम 
मेहताब नहीं 
आफ़्ताब सा लगता है 
शरारतन खुद को छुपा लिया है 
दीवार ओ धुंध के पीछे 
और हम हैं कि 
इक झलक उसकी पाने को 
इकटक सरे आसमाँ देखा करते हैं 
कि ख़ुदा के आगे हाथ उठते हैं 
उसके इश्क़ की रोशनी के लिए। 
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कि सर्द मौसम तेरी याद इतनी बेदर्द क्यूँ हो जाती है।  








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