Saturday, 31 December 2016

नया साल


नया साल 
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एक टुकड़ा सूरज अधूरी सुबह के लिए
एक हिस्सा रोशनी अधूरे दिन के लिए
एक कोना चाँद अधूरी रात के लिए
कुछ मुस्कुराहटें अधूरे क़ह्क़हों के लिए 
थोड़े से रंग अधूरी चाहतों के लिए 
थोड़ी सी उम्मीद अधूरे सपनों के लिए

पूरा मिले ना मिले 

बस इस थोड़े से बसर हो 
ज़िन्दगी मुकम्मल हो ना हो
मुकम्मल सी हो 
कि ज़िन्दगी अपनी हो ना हो
अपनी सी हो। 
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नए साल के इस मुबारक मौके पर कुछ हो ना हो कुछ आस हो, 
अपनों का साथ हो। 

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