अपनी बात शुरू करते हैं छोटी सी कहानी से। बात २००६ की है। छोटे से अफ़्रीकी देश आइवरी कोस्ट ने जर्मनी में होने वाले फुटबॉल विश्व कप फाइनल्स के लिए क्वालीफाई किया। इस देश में २००२ से ही गृह चल रहा था। उत्तर और दक्षिण के लोग आपस में सत्ता के लिए लड़ रहे थे। फ़्रांसिसी सेना और सयुंक्त राष्ट्र संघ तमाम प्रयासों के बावज़ूद इस संघर्ष को समाप्त कराने में असफल रहे थे। ऐसे में क्वालीफाई करने वाली टीम के हीरो दीदिएर द्रोगबा ने अपने देशवासियों से एक मार्मिक अपील की-गृहयुद्ध रोकने की। सप्ताह के भीतर उनकी ये इच्छा पूरी हो गयी। लड़ते गुटों में युद्धविराम हो गया और कुछ दिनों बाद शांति समझौता भी। एक ऐसा कार्य जो एक बड़े देश सेना और विश्व संस्था नहीं कर सकी उसे उस देश की फुटबॉल टीम ने कर दिखाया। ये थी खेल की ताक़त और फुटबॉल की लोकप्रियता। और जब स्टीफेन हॉकिंग जैसे महान वैज्ञानिक इंग्लैंड के पिछले खेले गए मैचों का विश्लेषण कर उसकी जीत के सूत्र तैयार करते है तो आपके लिए इस खेल की लोकप्रियता का अंदाज़ लगाना कतई कठिन नहीं होना चाहिए।
विश्व के इसी सबसे लोकप्रिय खेल का सबसे बड़ा आयोजन है फीफा विश्व कप फाइनल्स। इसके ब्राज़ील में होने वाले बीसवें संस्करण में विश्व की चुनिंदा ३२ देशों की टीमें अपने खेल कौशल और इसमें महारत का परचम लहराने के प्रयास में अपना सब कुछ झोंक देने के लिए तैयार हैं। जी हाँ, ब्राज़ील में रोमांच और ज़ुनून का रंगमंच तैयार है जहाँ अगले एक महीने तक हर दिन २२ जोड़ी पैर १२० मीटर लम्बे और ८० मीटर चौड़े मैदान में एक अदद गेंद से हैरत अंगेज़ कारनामे दिखाने के लिए तैयार हैं। वहां जीत होगी तो हार भी होगी। जोश भी होगा,जूनून भी। आँखें ख़ुशी से भी नम होगी और ग़म से भी। मानवीय कौशल की पराकाष्ठा होगी तो तकनीक की श्रेष्ठता के भी दिग्दर्शन होंगे। एक दूसरे से गले मिलते खिलाड़ी होंगे और एक दूसरे पर झपटते प्रतिद्वंदी भी।खेल अधिकारी होंगे ,रैफरी होंगे ,लाइन्समैन होंगे ,कैमरे होंगे ,फ़्लैश लाइटें होंगी ,पत्रकार होंगे ,साम्बा की धुन पर थिरकते दर्शक होंगे और पूरी ताक़त से बाज़ार भी होगा। और इन सबके केंद्र में होगा फ़ुटबाल का खेल और उसकी श्रेष्ठता का प्रतीक फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी। तो आइए बात करते हैं फुटबॉल खेल की और बीसवें फीफा विश्व कप फाइनल्स की।
आखिर ये उत्सुकता तो होती ही है कि इतने लोकप्रिय खेल का जन्म कब कहाँ और कैसे हुआ कैसे हुआ इसका जन्म इंग्लैंड में हुआ माना जाता है। रास्ते में पड़ी किसी वस्तु को ठोकर मारना या ऐसी इच्छा होना स्वाभाविक मानवीय प्रवृति है शायद इसी प्रवृति ने फ़ुटबाल खेल को जन्म दिया। वैसे इसका इतिहास ग्रीको रोमन काल तक जाता है.उस समय गेंद से खेले जाने वाले कई खेल थे जिनमे पैरों का इस्तेमाल होता था। फूटबाल का सबसे आरंभिक स्वरुप चीन में खेले जाने वाले शुजु में देखा जा सकता है। वैसे तो विश्व के अलग अलग क्षेत्रों में फ़ुटबाल से मिलते जुलते खेल खेले जाते थे, पर आधुनिक फ़ुटबाल नियमों का मुख्य स्रोत पश्चिम यूरोप और विशेष रूप से इंग्लैंड ही है। मध्य काल तक आते आते यूरोप में ये खेल इतना लोकप्रिय हो गया कि कई शासकों ने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिए। इंग्लैंड के शासक एडवर्ड द्वितीय और तृतीय तथा हेनरी चतुर्थ ने इंग्लैंड में इस पर रोक लगाने के आदेश जारी किये। पर प्रतिबन्ध के बावजूद यूरोप में और विशेष इंग्लैंड के पब्लिक स्कूलों में फुटबॉल दिनोंदिन लोकप्रिय होता गया। लेकिन इस समय तक खेल के निश्चित नियम नहीं थे। प्रत्येक टीम अपने अपने नियम बनाकर खेलती थी। इस दिशा में पहला प्रयास थ्रिंग और डेविंटन द्वारा १८६२ में किया गया और खेल के पहली बार नियम बने। १८६३ में उन्हें संशोधित किया गया। इसी वर्ष फुटबॉल एसोसिएशन ऑफ़ इंग्लैंड का गठन हुआ और १८६४ में नए नियम बनाए गए।
जैसे जैसे फुटबॉल की लोकप्रियता बढ़ने लगी वैसे ही इसके अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के प्रयास होने लगे। पहला अन्तराष्ट्रीय मैच १८७२ में ग्लासगो में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच खेला गया। १९०० और १९०४ के ओलम्पिक खेलों में फुटबॉल को प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया। इसी बीच फुटबॉल की बढ़ती लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए २१ मई १९०४ को सात राष्ट्रों के प्रतिनिधि एकत्र हुए और अंतराष्ट्रीय नियामक संस्था फेडरेशन इंटरनेशनल डी फुटबॉल एसोसिएशन यानि फीफा का गठन किया। इसने ओलम्पिक से इतर अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता कराने का प्रयास किया पर असफल रहे। १९१४ में फीफा ने ओलम्पिक खेलों में फुटबॉल को मान्यता दे दी। १९२० के ओलम्पिक में स्वर्ण पदक बेल्जियम ने जीता पर अगले दो ओलम्पिक खेलों १९२४ और १९२८ में स्वर्ण पदक उरुग्वे ने जीता। इस बीच फीफा की बागडोर जुले रीमे के हाथ में आ गयी। फुटबॉल के इतिहास में रीमे को वही स्थान प्राप्त है जो पियरे डी कूबर्तिन को ओलम्पिक आंदोलन में हासिल है। उनके प्रयास से फीफा ने २० मई १९२८ को एमस्टर्डम में स्वयं अपनी विश्व प्रतियोगिता कराने का निर्णय लिया। मेजबानी सौंपी गयी १९२४ और १९२८ के फुटबॉल ओलम्पिक विजेता उरुग्वे को। १९३० वो साल था जब उरुग्वे अपनी आज़ादी के १०० साल पूरे होने का जश्न मना रहा था। तब से विश्व कप हर चार साल पर आयोजित होता है।
१९९४ में प्रतियोगिता यू. एस.ए में हुई। यहाँ पहली बार ३२ टीमें शामिल की गयीं। इटली को ३-२ से हराकर ब्राज़ील ने अपना चौथा ख़िताब जीता। य़े पहला मौक़ा था जब फ़ाइनल का निर्णय पेनाल्टी शूटआउट से हुआ। १९९८ में प्रतियोगिता फ़्रांस में हुई और १९७८ के बाद फिर मेजबान देश ने कप जीता। फ़्रांस ने ब्राज़ील को ३-० से हराकर सातवें चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया।२००२ में विश्व कप सयुंक्त रूप से दक्षिण कोरिया और जापान हुआ। पहला मौका था जब ये प्रतियोगिता एशिया में हो रही थी। यहाँ ब्राज़ील ने जर्मनी को २-० से हराकर रिकॉर्ड पांचवी बार ख़िताब जीता। २००६ में ये विश्व कप जर्मनी में आयोजित हुआ और इटली ने फ़्रांस को ५-३ से हराया। २०१० में पहली बार ये कप अफ्रीका में संपन्न हुआ। देश था दक्षिणी अफ्रीका। यहां फुटबॉल को नया चैंपियन मिला। स्पेन ने नीदरलैंड को १-० से हराया। नीदरलैंड तीसरी बार फ़ाइनल में पहुँच कर असफल रहा। यह भी पहली बार हुआ की मेजबान देश पहले ही दौर में बाहर हो गया। इस तरह से १९ विश्व कप फाइनल्स को आठ अलग अलग देश जीत चुके हैं - ब्राज़ील पांच, बार इटली चार बार, जर्मनी तीन बार,अर्जेंटीना और उरुग्वे दो दो बार ,इंग्लैंड फ़्रांस तथा स्पेन एक एक बार।
मेजबानी की आधिकारिक घोषणा के बाद ब्राज़ील ने बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू कर दी थीं। नए स्टेडियम बनाये गए ,पुरानों का जीर्णोध्दार हुआ। शुभंकर और लोगो का नामकरण किया गया आधिकारिक गीत जारी किया गया।
* ब्राज़ील में होने वाले विश्व कप के मैच कुल बारह स्थानो पर होंगे जिनमें प्रमुख हैं -सल्वाडोर, साओ पाओलो ,ब्रासीलिया और रिओ डी जेनेरो। १२ में से ६ स्थानों पर स्टेडियमों का जीर्णोद्धार किया गया है। इनमें से एक स्टेडियम कुरितिबा १०० साल पुराना है। शेष ६ स्टेडियम नए बनाए हैं। इस पूरे निर्माण पर लगभग साढ़े तीन बिलियन यू. एस. डॉलर खर्च होने का अनुमान है। उदघाटन समारोह साओ पाओलो के ६५ हज़ार दर्शकों की क्षमता वाले नवनिर्मित कोरिएन्थस स्टेडियम में होगा जबकि फ़ाइनल मैच रिओ डी जेनेरो के मरकाना स्टेडियम में होगा जिसमे १९५० में भी ब्राज़ील फ़ाइनल खेल था और अप्रत्याशित रूप से हार गया था
* विश्व कप के लिए आधिकारिक प्रतीक चिन्ह यानि लोगो को २०१० में विस्वा कप के दौरान जोहान्सबर्ग में जारी किया गया था इसको नाम दिया गया है इंस्पिरेशन यानि प्रेरणा इसमें तीन विजयी हाथ कप ट्रॉफी को पकड़े हैं। इसे हरे और पीले बनाया गया है जिसका मतलब है ब्राज़ील समस्त विश्व का अपने यहाँ गर्मजोशी से स्वागत करता है।
* फीफा ने जनवरी २०१३ में एक आधिकारिक पोस्टर भी जारी किया जिसे ब्राज़ील की क्रियेटिव एजेंसी क्रामा द्वारा तैयार किया गया है।
*इस विश्व कप का आधिकारिक स्लोगनहै 'आल इन वन रिदम'.
* शकीरा का गाया वाका वाका गाना आपके ज़ेहन में आज भी बसा होगा जो २०१० का आधिकारिक गीत था १९६२ से ही प्रत्येक वर्ल्ड कप के लिए एक ऑफिशियल सांग जारी किया जाता है। इस विश्व कप का आधिकारिक गीत है --ओले ओला यानि वी आर वन.… जेनिफर लोपेज़ पिटबुल क्लाडिया लिट्टे द्वारा गाया ये गीत इसी वर्ष २४ जनवरी को फीफा और सोनी म्यूजिक जारी किया।
*इसके बाद मार्च में फीफा ने एविसी,कार्लोस सन्ताना,वायक्लिफ़ जीन और अलेक्जेंडर पाइरेस के लिखे गीत डार अम जीतोयानि वी विल फाइंड अ वे.… वर्ल्ड कप का एंथम घोषित किया है।
*इस वर्ल्ड कप का शुभंकर फुलेको है।
ये ब्राज़ील में पाया जाने वाला जानवर है जिसकी पीठ पर कवच होता है अर्माडिलो नाम के इस जानवर का ये नामकरण ओन लाइन वोटिंग के ज़रिये किया गया।
*ऑनलाइन वोटिंग के द्वारा ही एडीडास द्वारा बनाई गयी आधिकारिक बॉल का नामकरण किया गया इस बॉल का नाम होगा ब्राजुका।
* २०१० के वर्ल्ड कप के दौरान एक अफ़्रीकी वाद्य यन्त्र वुवुज़ेला काफी लोकप्रिय हुआ था। बाकायदा एक ऑफिसियल वाद्य यन्त्र घोषित किया गया है। नाम है काक्सीरोला। इस ब्राज़ील के संगीतकार कार्लिनहोस् ब्राउन द्वारा बनाया गया है। हलाकि सुरक्षा कारणों से लोग इस स्टेडियम के अंदर नहीं ले जा पाएंगे।
वर्ल्ड कप फाइनल्स के लिए प्रत्येक क्षेत्र का कोटा निर्धारित है। प्रत्येक क्षेत्र से टीमें क्वालीफाई करके आती हैं। इस बार एशिया और उत्तरी अमेरिका से चार चार,अफ्रीका से पांच,दक्षिण अमेरिका से छह और यूरोप से तेरह टीमें हैं जबकि ओशियाना ग्रुप से कोई टीम नहीं है। इन टीमों को चार चार के आठ ग्रुप में बांटा गया है। प्रत्येक ग्रुप में एक टीम पहली आठ रैंकिंग वाली टीम है, दूसरी दक्षिण अमेरिका या अफ्रीका की टीम है,तीसरी यूरोप की टीम और चौथी एशिया या अमेरिका की टीम है। ग्रुप में टीमें राउंड रोबिन आधार पर खेलेंगी और ग्रुप की दो टॉप टीम नॉक आउट दौर में आगे बढ़ेंगी।
ग्रुप ए-ब्राज़ील,क्रोशिया,मैक्सिको,कैमरून
ग्रुप बी-स्पेन,नीदरलैंड,चिली,ऑस्ट्रेलिया
ग्रुप सी-कोलंबिया, ग्रीस,आइवरी कोस्ट,जापान
,
ग्रुप डी-उरुग्वे,कोस्टारिका,इंग्लैंड, इटली
,
ग्रुप ई-स्विट्ज़रलैंड, इक्वाडोर, फ़्रांस,होंडुरस
ग्रुप ऍफ़- अर्जेंटीना,बोस्निया हर्ज़ेगोविना,ईरान,नाइजीरिया
,
ग्रुप जी- जर्मनी,पुर्तगाल,घाना,यु. एस. ए
.
ग्रुप एच-बेल्जियम,साउथ कोरिया,अल्जीरिया,रूस
निश्चित रूप से ग्रुप जी और डी कठिन ग्रुप हैं।सबसे प्रबल दावेदार तो मेज़बान ब्राजील है। इस के आलावा जर्मनी पर लोगो की विशेष निगाहें रहेंगी। पिछले चैंपियन स्पेन अर्जेंटीना इटली नीदरलैंड भी बड़ा उलटफेर करने में सक्षम हैं।
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