Sunday, 25 September 2022

थम गई चकदाह एक्सप्रेस

 


शहर लंदन भी क्या शहर है। कितना खुशकिस्मत। कितना प्रिविलेज्ड। फुटबॉल का वेम्बले इस शहर में है। टेनिस का विंबलडन इस शहर में है। क्रिकेट का लॉर्ड्स इस शहर में है।

शायद ये इस शहर का आकर्षण ही है कि लंबे समय से अनवरत दौड़ रहीं दो खेल एक्सप्रेस यहां आकर ठहर जाती हैं हमेशा हमेशा के लिए। 

ये साल 2022 है। तारीख़ 24 सितंबर की है। खेल इतिहास में दो सफे लिखे जा रहे हैं। दो खेलों के दो महान खिलाड़ी अपने अपने खेल मैदान को अलविदा कह रहे हैं।

24 साल से निरंतर दौड़ रही टेनिस की 'फ़ेडेक्स'शहर के 'द ओ टू' एरीना में आकर ठहर जाती है।

उधर कोलकाता के ईडन गार्डन से एक क्रिकेट एक्सप्रेस 'चकदा एक्सप्रेस' 20 साल लंबी अनवरत यात्रा कर क्रिकेट के मक्का 'लॉर्ड्स'पहुंचती है और यहां आकर विश्राम की मुद्रा में ठहर जाती है।


महिला क्रिकेट की दुनिया की सबसे सफल और सबसे तेज गेंदबाज झूलन निशित गोस्वामी अपने बेहद सफल और 20 साल लंबे  कॅरियर के समापन की घोषणा करती हैं।

ये बीस साल लंबा जीवन हैरतअंगेज कर देने वाला है। इस दौरान वे 12 टेस्ट मैच, 204 एकदिवसीय मैच और 68 टी20 मैच खेलती हैं। वे एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाली खिलाड़ी हैं। उन्होंने कुल 255 विकेट लिए हैं। दक्षिण अफ्रीका की शबनिम इस्माइल के 191 और ऑस्ट्रेलिया की फ्रिट्ज़पेट्रिक से मीलों आगे। इतना ही नहीं क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में कुल मिलाकर सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाली खिलाड़ी हैं। उनके नाम कुल 355 अंतरराष्ट्रीय विकेट हैं। उनके बाद कैथरीन ब्रन्ट (329),एलिस पेरी(313)शबनिम इस्माइल(309) और अनीसा मोहम्मद (305)  ही तीन सौ से अधिक विकेट लेने वाली गेंदबाज हैं।

झूलन एक बेहतरीन आल राउंडर खिलाड़ी हैं। मध्यम तेज गति की गेंदबाज और मध्यमक्रम की राइट हैंड बल्लेबाज़। गति उनकी बोलिंग का सबसे बड़ा हथियार है। वे निरंतर 120 किमी की गति से गेंद फेंकती रहीं है। तेज गति और अचूक लेंथ और लाइन उन्हें दुनिया की सबसे सफल गेंदबाज बनाती है।

झूलन साल 2002 में 19 साल की उम्र में चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैच से अपने अंतरराष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत करती हैं। तीन महीने बाद इंग्लैंड के विरुद्ध ही वे अपना पहला टी20 मैच खेलती हैं। टेस्ट क्रिकेट का आगाज़ करने के लिए उन्हें चार साल और इंतज़ार करना पड़ता है। लेकिन इसकी शुरुआत भी होती इंग्लैंड के विरुद्ध ही है।

क्या ही संयोग है वे अपने कॅरियर की समाप्ति भी इंग्लैंड के खिलाफ ही मैच से करती हैं। कितनों के भाग्य में कॅरियर की समाप्ति लॉर्ड्स के मैदान में करना लिखा होता है। ये झूलन के भाग्य में था। ये उन्हें मिला नहीं। उन्होंने इसे अर्जित किया है।

भारतीय महिला क्रिकेट टीम इंग्लैंड के दौरे पर है। वो पहले दो मैच जीतकर 2-0 की बढ़त ले चुकी है। ऐसा पिछले 24 सालों में पहली बार हो रहा है।

फिर 24 सितंबर का दिन आता है। भारत इंग्लैंड के विरुद्ध सीरीज का तीसरा मैच होने जा रहा है। भारतीय बालाएं सीरीज जीत चुकी हैं। पर उनकी आंखें नम हैं। उनके हृदय मलिन हैं। लॉर्ड्स की फिजा में नमी उग आई है। सारा वातावरण सीला सीला सा है। उनकी अपनी पूर्व कप्तान, दुनिया की सबसे सफल गेंदबाज आज अंतिम बार जो मैदान पर उनके साथ उतरेगी।

झूलन गोस्वामी इस मैच के बाद क्रिकेट को विदा कह देंगी।

अब अद्भुत दृश्य आकार लेते जाते हैं।

मैच से पहले टॉस हो रहा है। भारतीय कप्तान टॉस के लिए अकेले नहीं जाती। उनके साथ झूलन जा रहीं हैं। इंग्लैंड की कप्तान एमी जोंस सिक्का उछालती हैं और झूलन 'हेड' कहती हैं। टॉस एमी जीतकर क्षेत्र रक्षण चुनती हैं। अब झूलन और एमी हाथ मिलाती हैं। झूलन के बराबर खड़ी हरमनप्रीत की आंखें डबडबा आई हैं।


अब भारतीय टीम बैटिंग कर रही है। भारत के सात विकेट आउट हो चुके हैं। पूजा वस्त्रकार आउट होकर वापस पैवेलियन लौट रही हैं और झूलन मैदान में प्रवेश कर रही हैं। सीमारेखा के अंदर इंग्लैंड की सभी खिलाड़ी दो समानांतर पंक्तियों में खड़ी हैं। वे झूलन को गार्ड ऑफ ऑनर दे रही हैं।

अब भारतीय टीम फील्डिंग के लिए मैदान में जा रही है। भारतीय खिलाड़ी कतारबद्ध खड़ी हैं और झूलन को 'गार्ड ऑफ ऑनर'दे रही हैं। वे झूलन को ऐसे ही पिच तक ले जाती हैं। 

ये इंग्लैंड की पारी का 36वां ओवर है। गेंद झूलन के हाथ में हैं। वे अपनी इस पारी का दसवां और अपने खेल कैरियर की आखिरी 6 गेंद फेंकने वाली हैं। 5 गेंद फेंक चुकी हैं। अब उन्होंने अपनी आखिरी गेंद फेंकी। ये एक डॉट बॉल थी। उनके जीवन की 10005वीं गेंद थी। अब तक किसी और गेंदबाज ने इतनी गेंद नहीं डाली हैं। पर झूलन औरों से जुदा हैं। वे ये कारनामा कर सकती हैं। उन्होंने कर दिखाया है।

आखिरी गेंद फेंकते ही हरमनप्रीत दौड़कर झूलन को बाहों में भर लेती हैं। उनकी आंखों से पानी बरस रहा है। इतने में सारे खिलाड़ी उनसे लिपट गए हैं। आंखें सबकी बरस रहीं हैं।

मैच समाप्त हो गया है। भारत ने ये मैच 16 रनों से जीतकर सीरीज क्लीन स्वीप कर ली है। खिलाड़ियों ने झूलन को कंधों पर उठा लिया है और कंधों पर झूलन को मैदान से बाहर जाए जाते हैं। ऐसी बिदाई झूलन के अलावा बस क्रिकेट के भगवान सचिन को ही नसीब हुई है।

दरअसल लॉर्ड्स के मैदान के ये अद्भुत दृश्य, अपने साथी को ऐसी विदाई, ऐसा सम्मान पाने के दृश्य ऐसे ही नहीं बनते। इसके पीछे घोर संघर्ष,कड़ी मेहनत, अदम्य इच्छाशक्ति और दृढ़ मनोबल की ज़रूरत पड़ती है। झूलन को ये सम्मान यूं ही नही मिल गया। ये उन्होंने अपने लिए अर्जित किया है।

ये सम्मान उनके द्वारा देखे गए सपने और उन सपनों को पूरा करने की उनकी लगन,उनकी कड़ी मेहनत,उनके असाधारण परिश्रम और अदम्य साहस का प्रतिफल है। ये क्रिकेट के लिए उनका जूनून था। टीन ऐज में रोजाना चकदाह से कोलकाता के विवेकानंद स्टेडियम तक का 80 किलोमीटर का फ़ासला झूलन जैसी जीवट की बालिका के बस की बात हो सकती है।

ये झूलन का जूनून, उनकी मेहनत और लगन ही थी कि चकदाह से कोलकाता का सफर चेन्नई से लॉर्ड्स लंदन तक के सफर में तब्दील हो जाता है। कि फुटबॉल की दीवानी एक लड़की विश्व की सबसे सफल गेंदबाज बन जाती है। कि वो अद्भुत सम्मान और अपूर्व प्रेम की हकदार बन जाती है।

झूलन का ये सम्मान दरअसल एक खिलाड़ी भर का सम्मान नहीं है। ये भारतीय महिला क्रिकेट का सम्मान है। झूलन का संघर्ष केवल एक खिलाड़ी का संघर्ष नहीं है,ये भारतीय महिला क्रिकेट का संघर्ष और विजयगाथा है।

भारतीय महिला क्रिकेट का सम्मान पाने और समान दर्जा पाने का संघर्ष पिछली शताब्दी में सत्तर के दशक में शांता रंगास्वामी जैसी ख़िलाडियों के साथ शुरू होता है। 2006 में महिला क्रिकेट का प्रबंधन बीसीसीआई अपने हाथों में ले लेता है। पर महिला खिलाड़ियों का संघर्ष जारी रहता है। उनकी स्थिति किस हद तक दयनीय थी इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें अपनी किट तक के लिए लड़ाई लड़नी होती थी। उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी योग्यता से उन्होंने विश्व क्रिकेट में अपनी हैसियत बनाई और वो सम्मान हासिल किया जो 24 सितंबर 2022 को लॉर्ड्स में झूलन को मिला।

झूलन  की असाधारण विदाई और सम्मान केवल झूलन का सम्मान नहीं है,ये भारतीय महिला क्रिकेट का सम्मान है,पूरी आधी आबादी का सम्मान है।

-----------------

झूलन को असाधारण क्रिकेट कॅरियर और उपलब्धियों के लिए बधाई और जीवन की नई पारी के लिए शुभकामनाएं।

खेल मैदान से अलविदा झूलन


No comments:

Post a Comment

अकारज_22

उ से विरल होते गरम दिन रुचते। मैं सघन होती सर्द रातों में रमता। उसे चटकती धूप सुहाती। मुझे मद्धिम रोशनी। लेकिन इन तमाम असंगतियां के बीच एक स...