एक कदम आगे
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बीसीसीआई के एक निर्णय के अनुसार 'अब से महिला क्रिकेटरों को भी पुरुषों के समान पारिश्रमिक मिलेगा'। 2006 में भारतीय महिला क्रिकेट एसोसिएशन के बीसीसीआई में विलय होने के बाद से बीसीसीआई द्वारा महिला क्रिकेट के लिए पहला बड़ा और ठोस कदम है। ये लड़कियों की कड़ी मेहनत और संघर्ष का नतीजा है। ये वही लड़कियां हैं जिन्हें कभी अपनी किट और दैनिक भत्तों तक के लिए संघर्ष करना पड़ता था।
मिताली राज,हरमनप्रीत कौर ,झूलन गोस्वामी, स्मृति मंधाना जैसी खिलाड़ियों ने अपने खेल के को उन ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया कि वे 'क्रिकेटिंग आइकॉन' बन गईं। हाल के दिनों में भारतीय महिला क्रिकेट ने महत्वपूर्ण सफलताएं प्राप्त की हैं और क्रिकेट जगत में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। इसका दबाव भी इस निर्णय में ज़रूर रहा होगा।
सच बात तो ये है कि बीसीसीआई ने ये लड़कियों को सौगात खैरात में नहीं दी है। दरअसल अब उनकी उपेक्षा की ही नहीं जा सकती थी। उन्हें पता है कि अब महिला भारत में इतना लोकप्रिय हो गया है कि उसे बेचा जा सकता है। निसंदेह ये लड़कियों की कड़ी मेहनत का हासिल है। और बीसीसीआई इस महत्वपूर्ण अवसर को कैसे हाथ से जाने दे सकता था।
ध्यान दीजिए अगले सीजन से महिला आईपीएल भी शुरू होने जा रहा है।
और हां ये समानता अभी अधूरी है। लड़ाई बाकी है। ये केवल फीस की समानता है। अनुबंध में अभी भी भारी अंतर है।
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फिर भी बहुत बधाई लड़कियों!
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