Monday 12 October 2020

इनक्रेडिबल राफा

 खबर :

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फिलिप कार्टियर मैदान पर आज स्पेन के राफेल नडाल ने सर्बिया के नोवाक जोकोविच को 6-0,6-2,7-5 से हराकर फ्रेंच ओपन के पुरुष एकल का खिताब जीत लिया। ये उनका रिकॉर्ड 13वां फ्रेंच ओपन खिताब था। उन्होंने कुल 20 ग्रैंड स्लैम खिताब जीत कर  रोजर फेडरर की बराबरी कर ली है।

प्रतिक्रिया :

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असाधारण,अविश्वसनीय, अद्भुत,बेजोड़,किंग ऑफ क्ले, आदि आदि आदि आदि।

विश्लेषण :

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आज राफा फ्रेंच ओपन के पुरुष एकल फाइनल मैच के तीसरे सेट में 6-5 के स्कोर पर 12वें गेम में चैंपियनशिप के लिए सर्व कर रहे थे। उन्होंने पहले तीन अंक जीते। अब उनके पास तीन चैंपियनशिप अंक थे। उसके बाद उन्होंने शानदार ऐस लगाया और घुटनों के बल बैठ गए। ये अद्भुत जीत का शानदार समापन था। वे टेनिस इतिहास में अपना नाम दर्ज़ करा चुके थे। वे एक ऐसा  कार्य कर चुके थे जो अब 'ना भूतो ना भविष्यति' की श्रेणी में आ चुका है।

याद कीजिए 1973 में एक फ़िल्म आई थी 'बारूद'। उसमें एक गीत था 'समुंदर समुंदर, यहां से वहां तक,ये मौजों की चादर बिछी आसमान तक, मेरे मेहरबां,मेरी हद है कहाँ तक,कहाँ तक।' इन पंक्तियों को राफेल नडाल की जीत से जोड़कर देखिए और उनसे पूछिए कि रोलां गैरों के इस समुंदर में उनकी जीत की हद है कहां तक,कहां तक। और इसका एक ही जवाब मिलेगा रोलां गैरों का पूरा समंदर ही उनकी जीत की हद है। 

आप उनकी जीत के लिए चाहे किसी भी विशेषण का प्रयोग कर लें,पर वो अपर्याप्त लगेगा। 2005 में फिलिप कार्टियर कोर्ट पर 19 साल की उम्र में उन्होंने पहली जीत हासिल की थी। और आज 2020 तक 15 सालों में 13वीं जीत। 13 फाइनल और 13 जीत। कुल मिलाकर रोलां गैरों में 100वीं जीत और क्ले कोर्ट पर 60 खिताब। वे 'किंग ऑफ क्ले'यूं ही थोड़े ही कहलाते हैं। पर क्या ये विशेषण उनकी महत्ता को सही अर्थों में अभिव्यक्ति देता है। शायद नहीं ना। 

प्राचीन भारतीय राज्य व्यवस्था में चक्रवर्ती सम्राट की संकल्पना है जो अपनी संप्रभुता सिद्ध करने के लिए प्रतिवर्ष अश्वमेध यज्ञ करता। अब इस रूपक को नडाल की जीत के  संदर्भ में देखिए। रोलां गैरों नडाल का अपना साम्राज्य है जिस पर प्रभुसत्ता सिद्ध करने के लिए वे साल दर साल आते और अपने खेल का अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करते हैं। तमाम छोटे बड़े राजा से लेकर सम्राट तक मस्केटियर ट्रॉफी रूपी अश्व को पकड़ने का असफल प्रयास करते। नडाल के अद्भुत खेल के प्रताप के आगे हर किसी की आभा फीकी पड़ जाती। दरअसल वे 'क्ले के चक्रवर्ती सम्राट' हैं।

और अगर किसी को इस बारे में कोई संदेह हो तो इस साल की प्रतियोगिता में उनके खेल पर एक नज़र भर डाल लें। बिना कोई सेट खोए ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने का ये कारनामा टेनिस इतिहास में सिर्फ चौथी बार हुआ है। 34 साल की उम्र में राफेल ने 19 साल के जोश और ताकत से लबरेज सिनर से लेकर 33 साल के अनुभवी, विश्व के नम्बर एक खिलाड़ी चैंपियन खिलाड़ी नोवाक तक को बहुत ही आसान से और कन्विनसिंगली हराया। 

आज तो वे गज़ब की फॉर्म में थे। एक सच्चे चैंपियन की तरह। आत्मविश्वास और उत्साह से लबरेज। पूरे मैच में एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि वे चैंपियन नहीं बनेंगे,बल्कि कहें तो पूरी प्रतियोगिता में। यूं तो आज दोनों ही खिलाड़ी जीतकर नया इतिहास बनाने को बेताब थे। अगर नोवाक जीतते तो ओपन इरा में वे पहले ऐसे खिलाड़ी होते जिसने चारों ग्रैंड स्लैम कम से कम दो बार जीते हों। और उनके ग्रैंड स्लैम की संख्या 18 हो जाती और वे नडाल और फेडरर के और करीब आकर गोट(सार्वकालिक महान खिलाड़ी) की रेस को ओर करीबी और रोचक बना देते। तो दूसरे ओर नडाल जीतते तो कोई एक प्रतियोगिता 13 बार जीतकर एक असाधारण रिकॉर्ड बनाते और अपनी ग्रैंड स्लैम की संख्या फेडरर के बराबर 20 तक पहुंचा देते। सफलता नडाल के हाथ लगी।

मैच का पहला ही गेम ड्यूस में गया और नोवाक की सर्विस ब्रेक हुई। अगला गेम भी ड्यूस में गया और राफेल ने तीन ब्रेक पॉइंट बचाए और 2-0 की बढ़त ले ली। अपनी सर्विस बचाते हुए नोवाक की अगली दोनों सर्विस भी ब्रेक की और पहला सेट 6-0 से जीतकर बताया कि क्ले के असली चैंपियन वे ही हैं और ये भी कि यहां फाइनल में उनका अजेय रहने का रिकॉर्ड बरकरार ही रहना है। हांलांकि  6-0 के स्कोर से ये नहीं समझना चाहिए कि राफा बहुत आसानी से जीते। दरअसल इसमें जोरदार संघर्ष हुआ और सेट कुल 45 मिनट में समाप्त हुआ। औसतन साढ़े सात मिनट प्रति गेम समय लगा। नोवाक अच्छा खेल रहे थे लेकिन एक तो राफा आज अपने सर्वश्रेष्ठ रंग में थे तो दूसरी और नोवाक ने अनफोर्स्ड एरर (बेजा गलतियां) बहुत ज़्यादा की। अगले सेट की भी कहानी पहले जैसे ही रही और दो सर्विस ब्रेक के साथ  नडाल ने दूसरा सेट भी 6-2 से जीत लिया। और जब तीसरे सेट में दूसरी सर्विस ब्रेक कर 3-1 की बढ़त ले ली तो लगा नडाल की जीत की अब औपचारिकता बाकी है। तभी नोवाक कुछ रंग में आए और ना केवल अपनी सर्विस बचाई बल्कि नडाल की सर्विस ब्रेक कर 3-3 की बराबरी की। अब लगा मैच अभी बाकी है। पर  5-5 के स्कोर पर नडाल ने फिर नोवाक की सर्विस ब्रेक की और 6-5 चैंपियनशिप के लिए चैंपियन की तरह सर्विस की और शानदार ऐस से मैच समाप्त किया।

आज नडाल अपनी शानदार फॉर्म में थे। उन्होंने जिस शानदार खेल की शुरुआत पहले दौर के मैच में इ. गेरासिमोव को हराकर की थी,वो आज चरम पर था। वे आत्मविश्वास से भरे थे। उन्होंने न्यूनतम बेजा गलती की। उनकी कोर्ट की कवरेज अविश्वसनीय थी। हर बॉल तक आसानी से पहुंच जाते और असाधारण  रिटर्न्स कर बार बार नोवाक को हैरत में डाल देते। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इस बार परिस्थितियां नडाल के प्रतिकूल थीं। एक तो खचाखच दर्शकों से भरे स्टैंड्स नहीं थे। दूसरे इस बार ये प्रतियोगिता मई-जून के बजाय अक्टूबर में हो रही थी जब ठंडा काफी ज्यादा होती है। ऊपर से इस बार नई गेंद का इस्तेमाल किया गया जो पहले की तुलना में थोड़ी भारी थीं। भारी मौसम और भारी गेंद से गेंद का स्पिन होना बहुत कठिन था और ये बात राफेल के प्रतिकूल जा रही थी और इसीलिए गेंद बदलने पर प्रारंभ में ही राफा ने अप्रसन्नता ज़ाहिर  कर दी थी। लेकिन वो चैंपियन ही क्या जो विपरीत परिस्थितियों में खेल को एक अलग स्तर पर ना ले जाए। नडाल ऐसे ही चैंपियन खिलाड़ी हैं। उनकी आज कोर्ट कवरेज तो असाधारण थी ही। साथ ही उन्होंने शानदार ड्राप शॉट खेले और टॉपस्पिन लॉब शॉट भी खेले जिससे ना केवल उन्हें अपनी पोजीशन में आने का अतिरिक्त समय मिलता बल्कि नोवाक को रिटर्न करने में भी परेशानी होती। उन्होंने आज शानदार फोरहैंड वॉली लगाई। उन्हें बैकहैंड पर आई गेंद को भी फोरहैंड की  पोजीशन में आकर विनर लगाते देखना दर्शनीय था। 

निसन्देह आज वे अपने सर्वश्रेठ रंग में थे। आखिर जब वे इस लाल मिट्टी पर खेलने आते हैं तो क्या हो जाता है उन्हें। दरअसल वे इस प्रायद्वीप में बचपन से रहे हैं,पले हैं,बढ़े हैं और इसी मिट्टी पर खेलते हुए बड़े हुए हैं। इसका ज़र्रा ज़र्रा उनके कदमों की आहट पहचानता है, वे राफा के  पसीने की खुशबू से सुवासित हो उठते हैं। वे राफा के कदमों में बिछ बिछ जाते हैं और उनके कदमों को अद्भुत गति देते हैं। और फिर वे इतने गतिशील और लयबद्ध हो जाते हैं कि लगता है वे अपने रैकेट और बॉल से खेल नहीं रहे हैं बल्कि कोई कविता रच रहे हैं। स्पेनिश भाषा में कविता की एक फॉर्म है 'डेसिमा' जिसे 16वीं सदी के महान स्पेनिश लेखक और संगीतकार विंसेंट एस्पिनल ने विकसित किया था। इसमें 10 पंक्तियों के स्टेन्ज़ा होते हैं। अपनी जीत से लिखी जा रही 'डेसिमा' (कविता) का पहला स्टेन्ज़ा उन्होंने 2017 में वारविन्का को हराकर 10वां फ्रेंच ओपन खिताब जीतकर पूरा किया था और आज 13वें  फ्रेंच ओपन के साथ 20वां  ग्रैंड स्लैम जीत कर अपनी डेसिमा (कविता ) का दूसरा स्टेन्ज़ा पूरा किया है।

यहां पर याद कीजिये रियाल मेड्रिड फ़ुटबाल क्लब के दसवें यूरोपियन कप को जीतने के उसके ऑब्सेशन को कि 'ला डेसिमा' फ्रेज़ उसके इस ऑब्सेशन का समनार्थी बन गया था। उसने यूरोपियन कप जिसे अब चैम्पियंस लीग के नाम से जाना जाता है,नौवीं बार 2002 में जीता था। उसके बाद उसे 12 सालों तक प्रतीक्षा करनी पडी थी। तब जाकर 2014 में रियाल मेड्रिड की टीम अपना दसवां खिताब जीत सकी थी। लेकिन नडाल ने तो लगभग इस अवधि में दो 'ला डेसिमा' रच दिए।

      दरअसल आज नडाल के रूप में एक महान स्पेनिश खिलाड़ी कोर्ट के भीतर एक  एकतरफ़ा फाइनल मैच में बाल और रैकेट से लाल मिट्टी पर शानदार डेसिमा की रचना कर दुनिया को सुना रहा था जिसे खुद उनका प्रतिद्वंदी भी मंत्र मुग्ध सा सुन और देख रहा था ।

 और ,और इस तरह राफा था कि टेनिस जगत का एक असाधारण इतिहास लिख रहा था।  

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राफा को 20वां ग्रैंड स्लैम बहुत मुबारक हो



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