ये कहा गया 'कोरोना वायरस अमीर-गरीब,जाति-धर्म, ऊंच नीच किसी में कोई भेद नहीं करता'।
लेकिन करता है मेरे भाई। साला ये वायरस भी भेद करता है।
नहीं तो अलग अलग लोगों की इतनी भिन्न भिन्न प्रतिक्रिया कैसे होती!
अब देखिए ना! राजनेताओं ने एक खूबसूरत प्रहसन खेला। पूंजीपतियों ने उसका निर्देशन किया। उच्च वर्ग ने मनोरंजन कर ताली पीटी।
मध्यम वर्ग ने अपने छूटे शौक पूरे किए और व्यंजन वैविध्य का आनंद लिया।
आवश्यक सरकारी सेवा वालों ने मानवीयता की एक खूबसूरत कविता रची।
और कामगारों व मज़दूरों का क्या!
उन्होंने वही रचा जो इन सब के बाद उनके लिए हमेशा छोड़ दिया जाता है।
उन्होंने राजमार्गों पर अपने लहू से एक ग्रीक ट्रेजेडी रची।
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