मार्कस रशफोर्ड मैनचेस्टर यूनाइटेड फुटबॉल क्लब के और इंग्लैंड की राष्ट्रिय टीम के सुप्रसिद्ध फॉरवर्ड हैं जिन्होंने मैदान में अनेकों बार विपक्षी टीम के रक्षकों को अपनी प्रतिभा और दृढ़ संकल्प से परास्त कर अपनी टीम की नियति को बदल दिया। 22 वर्ष का वही युवा रशफोर्ड अपनी इसी दृढ़ संकल्प शक्ति का प्रयोग इस बार मैदान में नहीं बल्कि मैदान के बाहर ब्रिटेन के 13 लाख निर्धन बच्चों की नियति बदलने के लिए कर रहा था और इस बार घुटनों के बल वहां के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ब्रिटिश सरकार थी।
दरअसल हुआ ये कि ब्रिटिश सरकार की स्कूल जाने वाले निर्धन बच्चों के लिए मुफ़्त भोजन की स्कीम है जिसे उसने कोविड 19 महामारी से उपजी परिस्थितियों के चलते निर्धारित समय सीमा से आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया था। ऐसे में युवा रशफोर्ड आगे आए। उन्होंने इस योजना के समर्थन में एक अभियान शुरू किया और पिछले सोमवार को सभी सांसदों को एक खुला पत्र लिखा जिसमें इस योजना को बंद ना करने की अपील करते हुए उन्होंने बताया कि उनके खुद के जीवन में 'फ्री स्कूल्स मील्स' और 'फ़ूड बैंक' की क्या अहमियत थी। इस पत्र के साथ वे अपने 27 लाख ट्विटर फॉलोअर में ट्रेंड होने लगे। साथ ही उन्होंने भूख और खाने की बर्बादी को रोकने वाली संस्था 'फेयरशेयर'से जुड़कर लगभग 20 मिलियन पाउंड की धनराशि एकत्र करने में सहायता की।
अगले दिन ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री को अपने निर्णय को बदलने को बाध्य होना पड़ा और इन बच्चों के लिए गर्मियों की छुट्टियों के दौरान छह सप्ताह के लिए फ़ूड वाउचर देने के लिए 120 मिलियन पाउंड का 'कोविड समर फ़ूड फण्ड' स्थपित करने निर्णय किया।
एक बड़ा और महान खिलाड़ी वही होता है जिसमें सिर्फ खेल जीतने की योग्यता ही नहीं होती बल्कि दिलों को जीतने की चाहत और काबिलियत भी होती है। मारकस रशफोर्ड इस कसौटी पर खरे उतरते हैं। दरअसल वे खेल का वो खूबसूरत चेहरा हैं जिसके काले शरीर में सबसे उजली आत्मा बसती है।
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और हां अश्वेतों की ज़िंदगी के भी मायने हैं
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