Friday, 21 February 2020

'एक आसमां पर हम दो चाँद आधे हैं'


'एक आसमां पर हम दो चाँद आधे हैं'
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'तुझमें गुनगुनाते हैं, तुममें मुस्कुराते हैं
 खुद को तेरे पास ही छोड़ आते हैं।'

ये ज़िन्दगी विरुद्धों का द्वंद है, विरुद्धों का सामंजस्य है।  तन्हाई भी है तो साथ भी है। ग़म भी हैं तो दवा भी है। ख़्याल भी हैं हक़ीक़त भी है। खालीपन भी है भराव भी। सवाल हैं और उनके जवाब भी हैं। उलझनें भी हैं सुलझने भी। अधूरेपन का अहसास है तो पूर्णता की अनुभूति भी। राज़ भी हैं और हमराज़ भी। रास्ते है और मंज़िलें भी। और ज़िन्दगी के इस स्याह-सुफेद कैनवास में ये  प्रेम ही है जो हलचलों के अद्भुत  रंगों से इसे भर भर देता है। ये प्रेम का आना है कि बसंत का आगमन और  पतझड़ का जाना है। कि सन्नाटों में सदाएँ सुनाई देना है। कि अकेलेपन का महफिलों में बदल जाना है। कि खामोशियों का संगीत से भर जाना है।
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कि कलम से बूंद बूंद रिसती भावनाएं जब साज़ों को भिगो देती हैं तो गीलेपन के अहसास से साज़ों से भावनाओं का ज्वार उठता है जिसे सधे पगे सुर साधकर प्रेम के दरिया में तब्दील कर देते हैं।
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कि शकील आज़मी की कलम से निकले शब्द शब्द भावनाओं के रंग से  ज़िन्दगी के कैनवास पर ऐसी खूबसूरत तस्वीर बनती हैं जिसमें चिरंतन अपने साज़ों की कूँची के खूबसूरत स्ट्रोकों से रूह डाल देते हैं और महालक्ष्मी अय्यर अपनी मखमली सी खनकती आवाज के जादू से शहद को  भावनाओं के रंग में घोल देती हैं तो असीम आनंद की ऐसी  अनुभूति होती है कि लब बोल उठते हैं
'एक साथ तेरा हो तो
 सौ मंज़िलें हो'
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(ज़िन्दगी के बहाव में कुछ गीत छूट जाते है।पर जब मिलते है तो साया बन जाते हैं)
#1920 ईविल रिटर्न्स
#बॉलीवुड_गीत_7


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