Wednesday 4 December 2019

मेस्सी के प्यार में पड़कर



साल के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ी के खिताब 'बैलन डी ओर' की घोषणा किए जाने से एक दिन पहले रविवार को लियोनेल मेस्सी एटलेटिको मेड्रिड के विरुद्ध मैच खेल रहे थे। मैच खत्म होने में केवल पांच मिनट शेष रहते दोनों टीमें बिना गोल किए बराबरी पर थी कि मेस्सी ने सुआरेज के साथ मिलकर एक शानदार मूव बनाया। मेस्सी लगभग मध्य रेखा से बॉल ड्रिबल करते हुए  पेनाल्टी बॉक्स तक आए, बॉक्स  के बाहर सुआरेज को पास देकर अपने लिए जगह बनाई, सुआरेज ने पास वापस  मेस्सी को दिया और मेस्सी ने बाएं पैर से गेंद जाल में टांग दी। ये दरअसल ना केवल उनकी टीम बार्सिलोना के लिए विजयी गोल था बल्कि अपनी टीम के लिए उनका 614 वां गोल था। इस  मैच के तुरंत बाद रियल मेड्रिड के महान गोलकीपर और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के साथी खिलाड़ी रहे इकेर कैसिलास ट्वीट कर मेस्सी को सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बता रहे थे। प्रकारान्तर से वे शायद ये भविष्यवाणी करना चाह रहे थे कि कल 'बैलन डी ओर' का खिताब मेस्सी को ही मिलने जा रहा है। और फिर अगले दिन इस खिताब के लिए वोटिंग में मेस्सी के बाद दूसरे स्थान पर आने वाले डच खिलाड़ी वर्जिल वान डिक मेस्सी को बधाई देते हुए कह रहे थे "मुझे गर्व है पिछला साल मेरे लिए असाधारण उपलब्धियों वाला रहा , पर दुर्भाग्य ये है कि इस समय मेस्सी जैसे अति मानवीय(unnatural)खिलाड़ी मौजूद हैं।" जब वे ऐसा कह रहे थे तो वे केवल सच्चाई बयां कर रहे थे,अतिशयोक्ति कतई नहीं थी उसमें। निसंदेह मेस्सी हमारे समय के सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। हमारे समय के जिन लोगों ने ध्यानचंद या फिर डॉन ब्रेडमैन या फिर पेले को या फिर माइकेल जॉर्डन को सजीव(लाइव) खेलते हुए नहीं देखा है,उन लोगों को मायूस होने की कतई ज़रूरत नहीं है क्योंकि उन्होंने मेस्सी को खेलते हुए देखा है ना। और ऐसा मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि इंग्लैंड के महान फुटबॉल खिलाड़ी गैरी लिनेकर कहते हैं कि "मैं इतना भाग्यशाली हूँ कि अपने ग्रैंड चिल्ड्रन्स को बता पाऊंगा कि मैंने मेस्सी को खेलते हुए देखा है।"

 आखिर मिथक बनते कैसे हैं। यही ना कि उन मिथकीय चरित्र के जीवन में कुछ अविश्वसनीय घटित होता है। 24 जून 1987 को दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना के मध्य प्रान्त सांता फे के मध्यवर्गीय चेतना वाले सबसे बड़े शहर रोसारियो में जन्मे बहुत ही प्रतिभाशाली बालक लियोनेल आंद्रेस मैस्सी को फुटबॉल से प्रेम हो जाता है। परन्तु 10 साल की उम्र होते होते उसे 'ग्रोथ हार्मोन्स डेफिशियेंसी' बीमारी होती है। इसका खर्च ना परिवार उठाने की स्थिति में है और ना आर्थिक मंदी से जूझते देश अर्जेंटीना का कोई फुटबॉल क्लब। तब बार्सिलोना फुटबॉल क्लब के खेल निदेशक कार्ल रिक्सेस उसकी प्रतिभा को पहचानते हैं,उसके साथ अनुबंध करते है और उसके इलाज का प्रबंध  भी। मैस्सी स्पेन आ जाता है। साल था 2000। ये नई सदी की शुरुआत ही नहीं थी बल्कि एक नए मिथक के जन्म लेने की शुरुआत भी थी। मेस्सी में दक्षिण अमेरिकी फुटबॉल की कलात्मकता और एलेगेंस तो जन्मजात थी ही,बस उसमें अब यूरोपीय फुटबॉल की पावर और स्पीड  का ऐसा ब्लेंड हो जाना था जिससे मेस्सी की कलात्मकता में ग़ज़ब की लय और रवानी आ जानी थी और एक सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर का जन्म होना था।
     मेस्सी के इस ब्लेंड को देखना है तो याद कीजिये इस साल मई में खेले गए चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल के पहले चरण का मैच। बार्सिलोना एफ सी की टीम अपने मैदान कैम्प नोउ में लिवरपूल की टीम को होस्ट कर रही थी। पिछले विश्व कप की असफलता को भुला कर मेस्सी इस सीजन अपने पूरे रंग में आ चुके थे। और अब मैच दर मैच अपना जादू बिखेरा रहे थे। इस मैच से पहले वे इस सीजन 46गोल कर चुके थे। बार्सिलोना को स्पेनिश लीग का खिताब दिला चुके थे। और....और इस मैच में अपने खेल के जादू से पिछले दर्शकों को हिप्नोटाइज़ कर रहे थे और अपने खेल कैरियर का एक और लैंडमार्क स्थापित कर रहे थे। जब 75वें मिनट में अपना पहला और टीम का दूसरा गोल कर रहे थे तो ये अपने क्लब के लिए 599वां गोल था। और उसके बाद 83वें मिनट में मेस्सी का ट्रेडमार्क गोल आया। उनका 600वां गोल दरअसल इससे कम शानदार नहीं ही होना चाहिए था। ये एक फ्री किक थी। वे 35 मीटर दूरी से गोल के लगभग बाएं पोल के सामने से किक ले रहे थे। सामने चार विपक्षी खिलाड़ियों की मजबूत दीवार। गोल पर सबसे महंगे और शानदार गोलकीपर एलिसन मुस्तैद। ये वही एलिसन थे जिन्हें इस वर्ष के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर के लिए याशीन ट्रॉफी मिली है। ये एक असंभव कोण था। लेकिन मेस्सी के लिए नहीं। मेस्सी ने किक ली। बॉल एक तीव्र आर्च बनाती हुए सामने खिलाड़ियों की दीवार के सबसे बाएं खिलाड़ी के ऊपर से गोल पोस्ट के पास जब पहुंची तो एक क्षण को लगा कि बॉल गोलपोस्ट से बाहर। पर ये क्या! बॉल तीक्ष्ण कोण से दांई ओर ड्रिफ्ट हुई और गोल के ऊपरी बाएं कोने से होती हुई जाल में जा धंसी। ये गोल नहीं था। एक खूबसूरत कविता थी जिसे केवल मेस्सी के कलम सरीखे पैर फुटबॉल के शब्दों से विपक्षी गोल के श्यामपट पर लिख सकते थे। दरअसल कोई एक चीज कला और विज्ञान दोनों एक साथ कैसे हो सकती है,इसे मेस्सी के फ्री किक गोलों को देखकर समझा जा सकता है। वे विज्ञान की परफेक्ट एक्यूरेसी के साथ अद्भुत कलात्मकता से अपनी पूर्णता को प्राप्त होते हैं। इस गोल के बाद एक खेल पोर्टल जब ये ट्वीट करता है कि "लिटिल जीनियस डिफाइज लॉजिक" तो आप समझ सकते हैं क्या ही खूबसूरत गोल रहा होगा।और 600 गोल के लैंडमार्क को प्राप्त करने के लिए इससे कम खूबसूरत गोल की दरकार हो सकती है भला। दरअसल यही मेस्सी का जादू है जो सर चढ़ कर बोलता है।
 असाधारण प्रतिभा वो होती है जो किसी सजीव चीज में ही नहीं निर्जीव में भी जान फूंक दे। बैजू बावरा और तानसेन के बारे में कहा जाता है कि वे जब गाते तो वे अपने गायन से दीपक जलास देते   या फिर वर्षा करा देते। ये उनके संगीत और प्रतिभा का कमाल था। ध्यानचंद के बारे में कहा जाता है कि वे इतनी कमाल की ड्रबलिंग किया करते थे कि बॉल हमेशा स्टिक से चिपकी रहती थी। आप इसको यूं भी कह सकते हो कि उनके असाधारण खेल से मंत्रमुग्ध हो वो गेंद ही उनकी स्टिक से अलग ही ना होना चाहती हो या फिर क्रिकेट बॉल डॉन ब्रेडमैन के खेल पर रीझ कर हर बार उनके बल्ले के स्वीट स्पॉट पे आकर उनके बल्ले के उस स्वीट स्पॉट की आवाज पर झूम झूमकर मैदान में चारों और बिखर जाना चाहती हो। और फिर ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि फुटबॉल खेल की हर चीज मेस्सी के प्यार में ना पड़ गयी हो। फिर वो गेंद हो या गोल पोस्ट। मैदान की लाइन्स हो या घास या फिर स्वयं मैदान ही क्यों ना हो। और ये सब अपने महबूब की हार पर दुखी और महबूब की जीत पर खुश होते होंगे तो और क्या करते होंगे। याद कीजिए रूस में तातारिस्तान की राजधानी कजान  में खेले गए विश्व कप फुटबॉल का वो प्री क्वार्टर फाइनल मैच जिसमें अर्जेंटीना फ्रांस से हार कर विश्वकप से बाहर हो रहा था। वो शाम जो कयामत की शाम थी जिसमें लोगों ने एक क्लासिक मैच देखा। उन्होंने उम्मीदों के उफान को देखा और उसे बहते हुए भी देखा। लोग अर्जेंटीना को मेस्सी के लिए जीतता देखना चाहते थे तो खुद मेस्सी अर्जेंटीना के लिए जीतना चाहता था। मेस्सी ने अपना सब कुछ झोंक दिया। उसने कुल मिला कर दो असिस्ट किये। लेकिन अर्जेंटीना और जीत के बीच 19 साल का नौजवान एमबापा आ खड़ा हुआ। उसने केवल दो गोल ही नहीं दागे बल्कि एक पेनाल्टी भी अर्जित की। उसकी गति के तूफ़ान में अर्जेंटीना का रक्षण तिनके सा उड़ गया। मेस्सी का अर्जेंटीना 4 के मुकाबले 3 गोल से हार गया। लोगों की उम्मीदें हार गई। हताश निराश मेस्सी मैदान से बाहर निकले तो एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मानो वे इस असफलता को पलटकर देखना ही नहीं चाहते थे। और तब मेस्सी के प्यार में पड़ी तमाम चीजे दुख में भीग भीग जा रही थीं। निश्चित ही उस दिन बहते  आंसुओं से कज़ान के वातावरण में कुछ ज़्यादा नमी रही होगी,कराहों से हवा में सरसराहट कुछ तेज हुई होगी,हार की तिलमिलाहट से सूरज का ताप कुछ अधिक तीखा रहा होगा,दुःख से सूख कर मैदान की घास कुछ ज़्यादा मटमैली हो गयी होगी और कजान एरीना से बाहर काजिंस्का नदी वोल्गा नदी से गले लग कर जार जार रोई होगी। यकीन मानिए जब  मेस्सी का कोई शॉट गोल पोस्ट मिस करता होगा  तो गोल पोस्ट उस दिशा में ना खिसक पाने का मलाल करता होगा। या फिर जब उसके शॉट्स मैदान से बाहर जा रहे होते है तो ज़रूर लाइन्स मन मसोस कर रह जाती होंगी कि क्यों ना हम थोड़ा सा दांई या बांई ओर खिसक गए। और फिर उन गेंदों का क्या जिनको मेस्सी के पैरों ने छुआ ही नहीं, उन गोलपोस्ट्स का क्या जिनमें मेस्सी गोल नहीं दाग पाए और उन फुटबॉल मैदानों  का क्या जहां मेस्सी ने कभी खेला ही नहीं।
फिलहाल तो मेस्सी के प्यार में पड़े वे सारे फुटबॉल मैदान , वो गेंद, वो गोलपोस्ट्स, वो फिजाएं उल्लास में डूब डूब जा रहे होंगे जो मेस्सी को छठवीं बार 'बैलन डी ओर' जिताने के सहभागी बने और जो उस के भागी नहीं बन सके वे भविष्य में इसके जादू को महसूसने को लालायित हो रहे होंगे।
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मैस्सी को 6 बैलन डी ओर' खिताब जीतने पर बहुत बधाई।

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