Friday 27 December 2019

फुटबॉल का वो सुनहरा तीर



अभी हाल ही में अर्जेंटीना के एक खेल टीवी चैनल के साक्षात्कार में अर्जेंटीना के डिएगो माराडोना से जब फुटबॉल के सार्वकालिक महानतम खिलाड़ी के बारे में पूछा गया तो वे अपने देशवासी लियोनेस मेस्सी और ब्राज़ील के पेले के साथ स्वयं को भी धता बताते हुए अर्जेंटीना के ही एक अन्य महान खिलाड़ी अल्फ्रेडो डि स्टेफानो का नाम ले रहे थे। उन्होंने कहा कि 'डि स्टेफानो सर्वश्रेष्ठ था। वो किसी भी अन्य खिलाड़ी से बेहतर था,यहां तक की मुझसे भी।' पेले या फिर मेस्सी के समर्थक इस बात से इत्तेफ़ाक़ भले ही ना रखें,पर फुटबॉल के तमाम जानकार माराडोना के इस कथन की ताईद करते मिलेंगे। इंग्लैंड के महान खिलाड़ी बॉबी चार्लटन ने 1957 में रियाल मेड्रिड के गृह मैदान बेर्नाबु में स्टैंड से इस खिलाड़ी को खेलते हुए  देखा था जिसे बाद में उन्होंने शब्दों में बयां किया कि मैं सोच रहा था 'कौन है ये खिलाड़ी,(वो) गोलकीपर से बॉल कलेक्ट करता है,फुल बैक खिलाड़ियों को निर्देश देता है,मैदान में जहां कहीं भी होता है बॉल लेने की स्थिति में होता है। आप मैदान में हो रही हर गतिविधि पर उसका प्रभाव लक्षित कर सकते हो..... मैंने ऐसा कंप्लीट आज तक नहीं देखा.....आप उस पर से नज़र नहीं हटा सकते।' दरअसल ये 'कंप्लीट' शब्द ही है जो स्टेफानो के इस खेल के महानतम आल राउंडर खिलाड़ी होने की एकदम सही व्याख्या करता है क्योंकि बॉबी कह रहे हैं कि वे गोलकीपर से बॉल कलेक्ट करते हैं और फुल बैक खिलाड़ियों को निर्देश देते हैं,जबकी वे सेन्टर फारवर्ड थे।

वे बहुत ही नफीस और ज़हीन खिलाड़ी थे।कभी उनके वीडियो देखिये कितनी रवानगी और प्यार से बॉल को सहलाते हुए धीरे से बॉल को पुश करते और बॉल गोल पोस्ट के भीतर नेट में झूल जाती। वे ऊर्जा के अजस्र स्रोत थे। स्टेमिना का उनमें अक्षय भंडार था। वे मैदान में हर जगह मौज़ूद होते थे। उनके बारे में रियाल मेड्रिड लीजेंड मिगुएल मुनोज़ कहते हैं 'डि स्टिफानो के बारे में सबसे बढ़िया बात ये है कि जब वो आपकी टीम में होते हैं तो आपके पास हर पोजीशन पर दो खिलाड़ी होते हैं।' यही डि स्टिफानो की ख़ासियत थी कि वो हर पोजीशन पर खेल सकते थे और खेलते भी थे।वे 'टोटल' खिलाड़ी थे।उस समय जब कोई खिलाड़ी अपनी पोजीशन को छोड़कर दूसरी पोजीशन पर खेलने की सोच भी नही सकता था,तब वे बीच मैदान में हर पोजीशन पर खेलते थे। भले ही उन्हें 'टोटल फुटबॉल' का व्याख्याता या अग्रगामी ना माना जाता हो पर वे थे वही  जिसके दम पर आगे चलकर 70 के दशक में रिनुस मिचेल और योहान क्रुयफ़ के नेतृत्व में नीदरलैंड की टीम को अपनाना था और इसे अपनाकर 1974 में फुटबॉल विश्व कप फाइनल्स के फाइनल तक पहुंची थी। वे शानदार ड्रिब्लिंग करते थे और इतनी तीव्रता से गोल की तरफ बढ़ते थे कि उन्हें 'सुनहरा तीर' कहा जाने लगा। सुनहरा इसलिए कि उनके बाल सुनहरे थे। वे मैदान के हर कोने में दिखाई देते। सच में,वे बहती हवा से थे जो मैदान के सारे स्पेस को खुद की उपस्थिति से भर देना चाहते थे  मानो उसके ज़र्रे ज़र्रे से गले लग जाना चाहते हों,घास के एक एक तिनके को छू कर महसूसना चाहते हों। वे ज़्यादा से ज़्यादा बॉल के पास पहुंचना चाहते मानो वे बॉल की परछाईं बनाना चाहते हों या फिर बॉल के आशिक भंवरे की तरह हर समय उसका पीछा कर रहे हों। बॉल के पीछे पीछे। जहां बॉल वहां स्टेफानो।

उनकी कीर्ति,उनकी महानता दो वजहों से  हैं। एक,मैदान में उनकी मौज़ूदगी और खेल पर उनका प्रभाव। वे आला दर्ज़े के फारवर्ड तो थे ही। उन्होंने 1944 से 1966 तक के 22 साल के करियर में 1090 मैचों में 789 गोल किये। इनमें से यूरोपियन कप के 59 मैचों में 49 गोल और रियल मेड्रिड केलिए 282 मैचों में 216 गोल शामिल हैं। इस दौरान एक बार अर्जेंटीना लीग में टॉप स्कोरर रहे,दो बार कोलंबिया लीग में और पांच बार ला लीगा में। साथ ही वे डिफेंडर भी थे और सबसे ऊपर बेजोड़ प्लेमेकर। उन्हें खेल की गहरी समझ थी और रणनीति बनाने में उस्तादों के उस्ताद। दो,अपनी विलक्षण खेल प्रतिभा और समझ से रियल मेड्रिड को बुलंदियों पर पहुंचाना। वे रियल से 1953 में 27 वर्ष की उम्र में जुड़े और 1964 तक उससे जुड़े रहे। इन 11 वर्षों में स्टीफानो  ने रियल को ज़मीन से आसमान पर पहुंचा दिया। 1953 में रियल के लिए पहला ही मैच बार्सिलोना के खिलाफ खेला और रियल ने बार्सिलोना को 5-0 से हराया जिसमें स्टीफानो ने हैट्रिक की। ये रियल का यूरोपीय फुटबॉल की महाशक्ति बनने की ओर पहला कदम था। आसमान की बुलंदियों को छूने के लिए पहली परवाज़ थी। रियल की टीम को अब ऐसा कारीगर मिल चुका तो जो उसे तराशकर एक अनमोल हीरा बना देने वाला था। जो टीम अब तक बहुत ही साधारण सी थी और जिसने पिछले 21 वर्षों में ला लीगा का एक भी खिताब नहीं जीता था उसे स्टीफानो ने अगले 11 वर्षों में 8 बार ला लीगा का चैंपियन बनाया। 1953-54 में अपने पहले ही सीजन में रियल के लिए 28 मैचों में  27 गोल किये और  चैंपियन बना दिया। सिर्फ इतना ही नहीं। 1955 में शुरू होने वाले यूरोपियन कप,जिसे अब चैंपियन लीग के नाम से जाना जाता है,का 1955 से 1960 तक लगातार 5 बार चैंपियन भी बनाया और  स्टीफानो ने पांचों बार फाइनल में गोल किए। 1960 में रियल को पहले इंटरकॉन्टिनेंटल कप का विजेता भी बनाया। 1957 और 1959 में दो बार स्टीफानो को 'बैलन डि ओर' खिताब से नवाजा गया और वो एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्हें 1989 में 'सुपर बैलन डी ओर' खिताब दिया गया। 1960 का यूरोपियन कप का फाइनल एनट्रेख्त फ्रेंकफर्ट के बीच ग्लासगो में सवा लाख दर्शकों के सामने खेला गया था। इस मैच में रियल ने फ्रेंकफर्ट को 7-3 से हराया था। इसे रियल के इतिहास का ही सबसे शानदार मैच नहीं गिना जाता  बल्कि फुटबॉल इतिहास के सबसे शानदार मैचों में शुमार किया जाता है। इसमें रियल की तीन गोल स्टीफानो और चार गोल पुस्कस ने किए थे। इस मैच में स्टीफानो की फुटबॉल की समझ,रणनीतिक चातुर्य और खेल कौशल अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में उपस्थित था। रियल के इतिहास में स्टीफानो के स्थान और महत्व को क्लब के प्रेसिडेंट फ्लोरेंतिनो पेरेज़ की उस टिप्पणी से समझा जा सकता है जो उन्होंने उन्हें श्रध्दांजलि देते हुए की थी कि 'डी स्टीफानो रियल मेड्रिड हैं। उनकी उपस्थिति उनकी क्लब से बड़ी छवि बनाती है कि इस छवि के आस पास भी कोई नहीं पहुंच  सकता।

स्टीफानो का जन्म ब्यूनस आयर्स में 4 जुलाई 1926 को हुआ था। उसके दादा इटली से अर्जेंटीना आये थे। इसलिए जब उन्होंने वहां  फुटबॉल खेलना शुरू किया तो उसमें दक्षिणी अमेरिका की कलात्मकता और आक्रमण का वो कौशल तो आया ही जो यहां के खिलाड़ियों में स्वाभाविक तौर में होता है और जो पेले,माराडोना और मैस्सी जैसे खिलाड़ी पैदा करती है,लेकिन इन खिलाड़ियों से इतर उसमें उस डिफेंस की वो काबिलियत भी आई जो इटली के खेल की जान है,उसकी पहचान है। वो इटली जो अपने बेजोड़ अभेद्य रक्षण के लिए जाना जाता है। रक्षण जो 'कैटेनेसिओ' यानी 'द चेन ' के नाम से जग प्रसिद्द है। रक्षण जिसने जीनो डॉफ और बुफों जैसे गोलकीपर दिए और फ्रैंको बरेसी,पाओलो माल्दीनी,फैबिओ कैनावरो और चेलिनी जैसे डिफेंडर भी। और इस तरह एक स्टीफानो फुटबॉल को मिलता है जो फुटबॉल जीनियस था,अपनी तरह का अकेला,एक कंप्लीट फुटबॉलर।


उनके जीवन में तमाम ऐसी घटनाएं घटी जो सामान्य नहीं थीं। 1953 में उन्होंने कोलंबिया के क्लब मिलोनेरिस के खिलाड़ी के रूप में यूरोप का दौरा किया। वहां उन्होंने शानदार खेल दिखाया और इतने प्रसिद्ध हो गए कि यूरोप के दो सबसे बड़े क्लब रियल मेड्रिड और बार्सेलोना दोनों ने उन्हें अपने क्लब में लाने के प्रयास शुरू कर दिए। उनका हस्तांतरण सबसे चर्चित और विवादास्पद हस्तांतरणों में से एक है। हुआ यूं कि रियल ने कोलंबिया के मिलोनेरिस के साथ समझौता किया तो बार्सिलोना ने उनके मूल क्लब अर्जेंटीना के रिवर प्लेट के साथ। झगड़ा बढ़ा तो मामला स्पेनिश फुटबॉल फेडरेशन में पहुंचा और अंततः इस बात पर सहमति बनी कि स्टीफानो अगले चार सालों तक बारी बारी से एक एक सीजन दोनों क्लब से खेलेंगे। अंततः बार्सिलोना ने अपना अधिकार छोड़ दिया। लेकिन जब पहले ही मैच में स्टीफानो के तीन गोल की मदद से रियल ने बार्सिलोना को 5-0 से हराया तो उन्हें अहसास हुआ होगा कि उन्होंने क्या खोया था। कहा जाता है स्टीफानो के रियल में ट्रांसफर में स्पेन के तानाशाह जनरल फ्रांको ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी क्योंकि वो रियल का समर्थक था। एक और बात। बात 1963 की। रियल मेड्रिड की टीम दक्षिण अमेरिका के प्री सीजन टूर पर थी। 24 अगस्त को वेनेजुएला के विद्रोही दल आर्म्ड फोर्सेज ऑफ लिबरेशन आर्मी ने राजधानी कराकास से डि स्टीफानो का अपहरण कर लिया। हालांकि दो दिन बाद उन्हें बिना नुकसान पहुंचाए विद्रोहियों ने छोड़ दिया और अगले दिन ही उन्होंने साओ पाओलो के विरुद्ध मैच खेला।  

जिस तरह से अपनी तमाम उपलब्धियों के बावजूद मैस्सी के खाते में ये अपूर्णता दर्ज की जाती है कि वे अर्जेंटीना को विश्व कप नहीं दिला सके,ठीक वैसे ही स्टीफानो के खाते में दर्ज है कि तीन देशों का प्रतिनिधित्व करने के बावज़ूद वे एक भी विश्व कप फाइनल्स में नहीं खेल सके। शायद महान लोगों के जीवन इन अपूर्णताओं के लिए अभिशप्त होते हैं या फिर यूं कहें कि ये अपूर्णताएँ खूबसूरत चांद के धब्बों की तरह हैं जो उनकी महान उपलब्धियों पर नज़र के काले टीकों की तरह हैं या फिर ये अपूर्णताएँ इसलिए भी होती हैं कि अविश्वसनीयता की हद तक पहुंचने वाली इन उपलब्धियों में ये मानवीय रंग भरती  हैं और ये अहसास कराती हैं कि वे हमारे बीच के ही एक खिलाड़ी हैं।








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