Friday, 29 September 2017

बने रहें ज़िंदगी में रंग


ताकि बने रहें ज़िंदगी में रंग 


वे ख़्वाहिशें 
जो सबसे छोटी होती हैं 
होती हैं हमारी पहुँच के अंदर 
कि कर सकते हैं 
उन्हें सबसे सुगमता से पूर्ण 
उनका पूरा होना 
होता है सबसे भयावह। 


उन छोटी ख़्वाहिशों से 

जुडी होती हैं 
हमारी सबसे बड़ी ख़्वाहिशें 
कि छोटी ख्वाहिशों के पूरा होने पर 
अक्सर खिसक जाती है बड़ी ख़्वाहिशों की ज़मीन 
कि टूट कर बिखर बिखर जाती हैं किरचें 
लहूलुहान हो जाती है आत्मा।।


मेरी अब सबसे बड़ी ख़्वाहिश है 

कि सबसे छोटी ख़्वाहिश 
कभी ना बन सके हक़ीक़त
ताकि फलती फूलती रहे बड़ी ख़्वाहिशें 
बने रहें ज़िंदगी में रंग 
बनी रहे तरलता 
और बनी रहे गति।।। 

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