चित्र गूगल से साभार |
कभी कभी कुछ चीजों का घटना सपने का हक़ीक़त में बदल जाने जैसा होता है। मंगवार की रात जब क्लीवलैंड ऑहियो के 'द क्यू' के नाम से प्रसिद्ध क्विकें लॉन्स एरीना के सेंटर कोर्ट में गोल्डन स्टेट वारियर्स और क्लीवलैंड कैवेलियर्स के बीच एनबीए के फाइनल्स का छठा गेम समाप्त हुआ तो गोल्डन स्टेट टीम के लिए 40 सालों से संजोया सपना उनका अपना बन चुका था।गहराती रात में झूमते खिलाड़ियों के चेहरों से निकलता तेज़ और छलकती खुशी इस बात को बयां करने के लिए पर्याप्त थी कि जीत किसी टीम के लिए क्या मायने रखती है। छठे गेम में गोल्डन स्टेट वारियर्स टीम ने सच्चे योद्धाओं की तरह खेलते हुए एनबीए के संभवतः सबसे बेहतरीन खिलाड़ी लेब्रोन जेम्स की अगुआई वाली क्लीवलैंड कैवेलियर्स की टीम को 105 -97 अंकों से हराया तो वे सात मैचों की सीरीज 4 -2 से जीत कर इतिहास बना चुके थे। 1962 में वेस्टर्न कोन्फेरेंस में आने के बाद गोल्डन स्टेट ने केवल एक बार 1975 में एनबीए खिताब जीता था। हालांकि 1947 और 1956 में भी वे चैम्पियनशिप जीत चुके थे। वारियर्स की टीम पिछले चालीस वर्षों की नाकामयाबी भुला कर स्टीफेन करी और क्ले थॉम्पसन की अगुआई में पूरे सत्र में चैंपियन की तरह खेली। उन्होंने शानदार ले अप और 3पॉइंटर किए। बढ़िया रिबाउंड लिए, बेहतरीन टर्न ओवर किए शानदार स्टील भी।अपने खेल में रक्षण और आक्रमण का बेहतर संतुलन का समावेश किया। गोल्डन स्टेट के खिलाडियों के हाथों की उँगलियों के पोरों से जब भी गेंद छूटती थी तो कुछ जादू सा कुछ अविश्वसनीय सा कर गुज़र जाती थी। सामान्यतः टीमें 3पॉइंटर में बहुत ज़्यादा विशवास नहीं रखतीं पर इस टीम ने आरंभ से ही इसी रणनीति पर भरोसा किया। निश्चित ही क्ले और करी ने अद्भुत खेल दिखाया। केवल प्लेऑफ मुकाबलों में करी ने 95 3पॉइंटर बास्केट की। इससे पहले का केवल 53 बास्केट का रेकॉर्ड है। वैसे पूरे सीज़न में करी ने सबसे ज़्यादा 276 और उसके बाद उनके साथी खिलाड़ी क्ले ने 223 3पॉइंटर बास्केट कीं। करी ने अपने खेल से दिखाया कि उन्हें इस साल का एमवीपी का खिताब यूँ ही नहीं मिला।
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