Tuesday 1 February 2022

रॉकिंग राफा




   आज मेलबोर्न क्लब के पुरुष एकल फाइनल के बाद हारने वाले खिलाड़ी डेनिल मेदवेदेव अपने प्रतिद्वंद्वी राफा के लिए लिए कह रहे थे 'इनसेन'और वो उन्हें बता रहे थे 'अमेजिंग चैंपियन'। वे बता रहे थे कि उन्होंने मैच के बाद राफा से पूछा कि 'क्या वे थके हैं'। पांच घंटे चौबीस मिनट का मैच खेलने के बाद राफा लाकर्स रूम के जिम में वर्कआउट कर रहे थे। वे अद्भुत हैं। वे असाधारण हैं। महानतम हैं। वे ऑस्ट्रेलिया ओपन 2022 के चैंपियन हैं। वे 21 ग्रैंड स्लैम विजेता हैं। दरअसल कई बार किसी को वर्णित करने के लिए आपके पास शब्द नहीं होते। सारी संज्ञाएँ और विशेषण छोटे लगने  लगते हैं। राफेल नडाल ऐसे ही खिलाड़ी हैं।

कुछ खिलाड़ी अपने खेल को उन ऊंचाइयों पर पहुंचा देते हैं जहां खिलाड़ी और खेल एक दूसरे का पर्याय बन जाते हैं। राफा का मतलब टेनिस है। राफा का मतलब जीत है। वे जीत को इतना आसान बना देते हैं कि जीत केवल एक नंबर बन कर रह जाती है। ऑस्ट्रेलिया ओपन 2022 के दौरान सिर्फ और सिर्फ एक नंबर की चर्चा थी। नंबर 21 की। राफा इस नंबर को पाना चाहते थे और मेदवेदेव उनके रास्ते में सबसे बड़ा अवरोध थे। उनके देशवासी पूर्व नंबर एक येवगेनी कफेलनीकोव ट्वीट कर कह रहे थे 'आप चाहे या ना चाहे तीनों(राफा/फेड/नोवाक) 20 पर ही रहने वाले हैं क्योंकि अब यहां मेदवेदेव हैं।' दरअसल वे राफा को आंकने में चूक कर रहे थे। 

कहावत है 'मौका हर किसी को मिलता है।' राफा,नोवाक और राफा तीनों 20 ग्रैंड स्लैम खिताब के साथ टाई पर थे। तीनों को 21 पर आने का मौका मिला। पर उस मौके को उपलब्धि में तब्दील केवल राफा कर सके। उनमें ये सलाहियत थी। काबिलियत थी। 2019 के विम्बलडन फाइनल में फेडरर के पास नोवाक के विरुद्ध दो मैच पॉइंट थे लेकिन निर्णायक टाई ब्रेक में हार गए। नोवाक ने फेड को 21वें नंबर पर जाने से रोक दिया। उसके बाद 2021 के यू एस ओपन में ये मौका नोवाक के पास था। वे साल के पहले तीन ग्रैंड स्लैम जीतकर विजय रथ पर सवार थे। पर उन्हें मेदवेदेव ने नोवाक को 21 पर जाने से रोक दिया। आज ये मौका राफा को मिला और उन्होंने मौके को हाथ से जाने नहीं दिया। उन्होंने एक इतिहास रच दिया।



वे 'गोट'की रेस में फिलहाल आगे निकल गए हैं। हालांकि अभी रेस खत्म नहीं है। नोवाक की वापसी होनी अभी बाकी है। लेकिन राफा ने मेलबर्न जीतकर बताया कि वे 21 पर नहीं रुकने वाले हैं। अब उनके पैरों तले उनकी अपनी ज़मीन लाल मिट्टी का अपना रोलां गैरों जो होना है। वे  सभी ग्रैंड स्लैम को कम से कम दो बार जीतने वाले रॉय इमर्सन, रॉड लेवर और नोवाक के बाद चौथे और ओपन इरा के दूसरे खिलाड़ी बन गए हैं। अब तक ये प्लस नोवाक के पास था।

आज का पुरुष एकल फाइनल मैच किसी ग्रैंड स्लैम का एक फाइनल मैच भर नहीं था। विश्व नंबर दो रूस के डेनिल मेदवेदेव और विश्व नंबर छह स्पेन के राफेल नडाल दोनों टेनिस खेल के नए इतिहास की निर्मिति के लिए खेल रहे थे। दो में से एक इतिहास लिखा जाना था और दूसरे को इतिहास की बात हो जाना था। अगर राफा जीतते तो सर्वाधिक 21 ग्रैंड स्लैम जीतने टेनिस के महानतम खिलाड़ी होते और मेदवेदेव जीतते तो अपने कैरियर के बैक टू बैक पहले दो ग्रैंड स्लैम जीतने वाले खिलाड़ी ओपन इरा के पहले खिलाड़ी होते। राफा ने जीतकर अपने सपने को इतिहास बना दिया और मेदवेदेव का सपना हार के बाद इतिहास की बात हो गया।

लेकिन एक मैच जिसे एक इतिहास रचना था खुद इतिहास में दर्ज हो गया। दरअसल इस मैच को बिल्कुल ऐसा ही होना चाहिए था जैसा ये हुआ। एक असाधारण मैच जिसका एक एक पल रोमांच के चरम को छू रहा था। जिसमें पल पल,अंक दर अंक संभावनाएं बन बिगड़ रही थीं। 

इस मैच के शुरुआत लगभग वैसी ही थी जैसी कल महिला एकल फाइनल की थी। उसका अंत भी वैसा ही था। लेकिन आगाज़ और अंत के बीच के अंतराल ने इसे अविस्मरणीय मैच में बदल दिया। बार्टी की तरह राफा दर्शकों के फेवरिट थे। राफा भी बार्टी की तरह अब तक पहले चार मुकाबलों में मेदवेदेव से 3-1 से  आगे थे और ये भी कि आखिरी मैच राफा मेदवेदेव से हारे थे। और ये मैच अंततः राफा जीते।

दोनों ही खिलाड़ी मानसिक रूप से सुदृढ और शारीरिक रूप से मजबूत थे। दोनों समान स्ट्रोक्स खेलने वाले थे। दोनों ही बेसलाइन के खिलाड़ी थे। लेकिन मेदवेदेव के पास रॉकेट गति की सर्विस प्लस थी तो राफा के पास हैवी टॉप स्पिन फोरहैंड प्लस था। दोनों ने इस इसे दिखाया भी। मेदवेदेव ने राफा के 02 के मुकाबले 23 ऐस लगाए तो राफा ने शानदार टॉप स्पिन फोरहैंड लगाए। शुरुआत में मेदवेदेव शानदार फॉर्म में दिखे और राफा ऑफ कलर। मेदवेदेव शानदार सर्विस कर रहे थे और स्ट्रोक्स लगा रहे थे तो दूसरी और राफ़ा ज़रूरत से अधिक बेज़ा गलतियां कर रहे थे। मेदवेदेव आसानी से अपनी सर्विस होल्ड कर पा रहे थे और राफा को अपनी सर्विस को बनाए रखने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही थी। जल्द ही राफा   की सर्विस ब्रेक हुई और पहला सेट मेदवेदेव आसानी से 6-2 से जीत लिया। दूसरा सेट फहले का उलट था। दोनों ने एक दूसरे की दो-दो सर्विस ब्रेक की। सेट टाई ब्रेक में मेदवेदेव ने 7-6(7-5) से जीत लिया। अब लगने लगा कि राफा की हार कुछ समय की बात भर है। इसके बाद तीसरे सेट में 3-3 कई बराबरी के के बाद राफा 0-40 से पीछे थे और राफा की हार में कोई शक नही रह गया था। लेकिन राफा किसी और मिट्टी के बने हैं। यहां से उनके पास खोने को कुछ नहीं रह गया था। अब उन्होंने अपने खेल के स्तर को इतना ऊंचा उठाया जिसे मेदवेदेव छू नहीं सके। उन्होंने ना केवल तीन ब्रेक पॉइंट बचाये बल्कि वो गेम जीता और अगले गेम में मेदवेदेव की सर्विस ब्रेक कर सेट 6-4 से जीत लिया। अब मैच का रुख बदल चुका था। अब मेदवेदेव के कंधे झुकने लगे। दो सेट से पिछड़ने के बाद राफा ने अगले तीन सेट जीतकर लगभग असंभव को संभव कर दिखाया। उन्होंने 2-6,6-7(5-7),6-4,6-4,7-5 से ये मैच जीत लिया। 

दो सेट पिछड़ने के बाद मैच जीतने का ये ऐसा कारनामा था जो इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ओपन के फाइनल में पहले कभी नहीं हुआ था। दरअसल इस मैच में दोनों खिलाड़ियों ने अलग अंदाज से शुरू किया और अलग अंदाज से खत्म। शुरू में राफा बहुत खराब और मेदवेदेव सबसे अच्छा खेल रहे थे। धीरे धीरे राफा अपने खेल के स्तर को ऊंचाइयों पर ले गए। जैसे जैसे राफा अच्छा खेल रहे थे वैसे वैसे मेदवेदेव के खेल का स्तर नीचे जा रहा था। पहले मेदवेदेव अपनी सर्विस आसानी से होल्ड कर रहे थे और राफा के सर्विस गेम ज़्यादा समय ले रहे थे। लेकिन मैच जैसे जैसे मैच आगे बढ़ रहा था इसका उलट होने लगा।



ऑस्ट्रेलियाई समाज दरअसल एक खुला समाज है। ये अपेक्षाकृत नया समाज है जिसे बाहर के लोगों ने आकर निर्मित किया। शायद इसलिए उनका अपनी परम्पराओं के प्रति उस तरह का आग्रह नहीं है जैसा यूरोपीय समाज में है। वे अमेरिकी समाज के अधिक करीब हैं। उनका नए के प्रति विशेष आग्रह है। शायद यही कारण रहा हो  कि मेलबोर्न ओपन जो कभी घास पर होता था, अब कृत्रिम सतह पर होने लगा है। ऐसा ही यूएस ओपन में भी हुआ। जबकि फ्रेंच और विम्बलडन आज भी घास और मिट्टी पर होते हैं। इस हिसाब से आज मेलबोर्न के रॉड लेवर एरीना को पुराने के ऊपर नए को तरजीह देनी थी। पर हुआ इसके उलट। उन्होंने पुराने का साथ दिया। 

ये ओल्ड ज़ेन और नेक्स्ट जेन के बीच मुकाबला था। ये शक्ति का अनुभव से मुकाबला था। ये जोश का धैर्य से मुकाबला था। ये 35 साल के राफा का 25 साल के मेदवेदेव का मुकाबला था। जिस समय 8-9 साल के मेदवेदेव अभ्यास के दौरान फेड और राफा के साथ खेलने के सपने देखते थे उस समय वे दोनों ग्रैंड स्लैम जीतकर शोहरत के आसमान पर उड़ान भरने लगे थे। 

नए और पुराने का द्वंद्व हमेशा रहता है। पुराना जाता है और नया आता है। नया पुराने को रिप्लेस कर देता है। लेकिन नए को ये जगह हासिल करनी होती है। उसे अपनी काबिलियत साबित करती होती है। पुराना अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए कड़ा संघर्ष करता है। आज रॉड लेवर एरीना ने सिद्ध किया पुराने को विदा कहने का समय अभी नहीं हुआ है। 

आज की जीत दरअसल शक्ति पर अनुभव की, जोश पर धैर्य की,नए पर पुराने की जीत है। ये राफा की मेदवेदेव पर जीत है। ये जीत कहती है कि राफा अभी चुके नहीं हैं। अभी नोवाक और राफा का समय खत्म नहीं हुआ है।

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चैंपियनों के चैंपियन राफा को ये जीत मुबारक



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ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।

आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...