आज यात्रा वृतांत 'बहुत दूर,कितना दूर होता है' खत्म किया है। अभी भी यात्रा के सम्मोहन में हूँ कि यात्राएं ऐसी भी होती हैं। अपनी रवानी में इतनी कोमल मुलायम मखमली सी और बनावट में थोड़ी थोड़ी खुरदुरी सी। एक साथ धूप छांह सी। कभी खुशियां बिखेरती तो कभी उदासी फैलाती। यात्रा निपट अकेले यात्री की। यात्रा जितनी आदमी के बनाए भौतिक अवशेषों को देखने की,उससे कहीं ज़्यादा बजरिये मानव मन उसके बनाए समाज के भीतर झांकने की। यात्रा जितनी बाहर की है,उतनी ही यात्रा अपने भीतर की। यात्रा जितना दृश्य को देखती चलती है उससे कहीं ज़्यादा अदृश्य को व्यक्त करती हुई।
ये यात्रा भावनाओं और विचारों का ऐसा संगम है जिसमें भावनाएं तीव्र गति से बहाती ले जाती हैं और विचार हैं कि आपको बार बार थम जाने को कहते हैं,ठहर कर सोचने को मजबूर करते हैं।
यात्रा ऐसी जिसमें मुलाकात होती है खूबसूरत लोगों से कि ये यात्रा किन्ही जगहों की यात्रा भर ना रहकर ज़िन्दगी का सफर बन जाती है। जिसमें सुख भी हैं,दुःख भी हैं। थोड़ी बेचैनी है तो सुकूँ भी है। यात्रा जिसमें एक ओर लंदन है,पेरिस है,शैलों सु सोन(chalon sur saone) है,मेकन(मैकॉन) है,लीयोन है,एनेसी(annecy) है,शमोनी(chamonix )है, जिनेवा है,बासेल है तो दूसरी ओर ज़िंदगी को खोजती कैथरीन है,यारों का यार बेनुआ है,अपने सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद में लगा तारिक है,असफल प्रेमी एलेक्स है,दो खूबसूरत बच्चों का जिम्मेदार पिता निकोलस है,आंखों में प्यार के सपने सजाए युवा एक और निकोलस है,अनुभवी प्यारी दोस्त जंग हे है,अकेलेपन से जूझती मार्टीना है और अपना मुक्ताकाश खोजती ली वान है। दुनिया में जितनी खूबसूरत जगहें है,उतने ही कमाल के लोग भी हैं और ये सब मिलकर इस बात का अहसास दिलाते हैं कि अभी भी दुनिया में बहुत कुछ ऐसा है जिससे दुनिया में उम्मीद है,दुनिया खूबसूरत है।
यात्रा में आप सिर्फ बाहर की दुनिया भर ही नहीं देखते बल्कि अपने भीतर की दुनिया को देखते बूझते बहुत दूर निकल जाते हो। आपको पता चलता है दुनिया बाहर की हो,भीतर की हो,उसे देखने, उसे बुझने बहुत दूर तलक जाना पड़ता है इतनी दूर कि दिल पूछ बैठता है आखिर 'बहुत दूर कितना दूर होता है',लेकिन जब यात्रा खत्म होती तो दिल एक आह के साथ कह उठता है 'बहुत दूर इतने पास क्यूं होता है'।
दरअसल इस मौसम में ये यात्रा करते हुए जितना बाहर से शरीर बारिश के पानी से भीगता है उतना ही अंतर्मन शब्दों से भीग भीग जाता है।
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थोड़ी सी आह, थोड़ी सी वाह के साथ
ओह
Manav Kaul
तो ये तुम हो।
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