Friday 6 March 2020

और उन बुकमार्क्स का क्या जो यूँही बीत जाते हैं


और उन बुकमार्क्स का क्या जो यूँही बीत जाते हैं
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बिला शक किसी भी किताब का कंटेंट सबसे महत्वपूर्ण होता है। लेकिन किताब की फॉर्म यानि रूप सज्जा के भी तो कुछ मायने होते हैं। किताब की छपाई,अक्षरों का फॉन्ट और डिज़ायन, काग़ज़ और उसका आवरण के भी तो कुछ मायने होते है कि किताब के प्रति आकर्षित करने,उसे खरीदने और पढ़ने के उत्प्रेरक कारक बन जाते हैं। और  उन आनुषंगिक चीजों का क्या जो एक किताब के बीच से होकर की जाने वाली यात्रा को पूरी करने में साथ निभाती हैं। उन कुर्सी मेजों का क्या जिन पर बैठ कर ये यात्राएं पूरी होती हैं। किताबों की उन जिल्दों और कवरों का क्या जो उनकी उम्र बढ़ाने के लिए चढ़ाई जाती हैं। उन बुक शेल्फ़ और बुक रैक्स का क्या जिन पर वे किताबें सजाई जाती हैं। किताबों की उस महक का क्या जो आपको मदहोश कर कर जाती है।

और इन सबकी तो अहमियत है भी। पर उन'बुकमार्क्स' का क्या जो इस यात्रा में महत्वपूर्ण किरदार निभाते हुए भी सबसे उपेक्षित रहते हैं। वे बुकमार्क्स जो इन लंबी यात्राओं के मध्य पड़ने वाली वे सराय सरीखे हैं जहां यात्री ठहरता है,आराम करता है और आगे की यात्रा के लिए निकल पड़ता है। ये वे लाइटहाउस हैं जो आगे की यात्रा का मार्ग दिखाते हैं। किताबों की यात्रा के अल्प विराम और अर्द्ध विराम हैं जो यात्रा को सही मायने में रवानी देते हैं। किताब से होकर की जाने वाली यात्रा के बीच जब भी कोई व्यवधान आता,कोई समस्या आती या यात्री को आराम करने का मन होता तो ये ही वे खूबसूरत किरदार होते हैं जो इन यात्रियों को रुकने की,सुस्ताने की और आगे की यात्रा करने की सहूलियत देते हैं।

 पर दुख! बेचारे कितने उपेक्षित रहते हैं! कहीं किसी दराज़ में, मेज़ के किसी कोने में या फिर पढ़ ली गई किताब के बीच गुमनाम ज़िन्दगी बिताते हुए! वे बस यूं ही बीत जाते हैं,रीत जाते हैं,खत्म हो जाते हैं!
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(खूबसूरत बुकमार्क्स जो बेटी ने बनाकर गिफ्ट किए और कुछ विक्रेताओं ने किताबों के साथ भेजे)

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