Friday 13 March 2020

ये खेल के सुपर फैंस की दुनिया है



खेल के लिए टीमों का होना जरूरी होता है और टीमों के लिए खिलाड़ियों का। लेकिन ये सब बिना फैंस के अधूरे हैं। फैंस का अपनी अपनी चहेती टीम और चहेते खिलाडियों के लिए उनके उत्साह,उनके उल्लास,उनके ज़ुनून, उनके दीवानेपन से खेलों की तस्वीर में रंग भरते हैं,वो मुकम्मल होती है। इन फैंस के अजब गजब रंग होते हैं। ये फैंस ही हैं जो खेल को और खिलाड़ियों को भी दूसरी दुनिया में पहुंचा देते हैं।

अब बार्मी आर्मी को ही देखिए। इंग्लिश क्रिकेट टीम के पीछे पीछे साए की तरह लगी रहती है। पॉल बर्नहम ने इंग्लिश क्रिकेट समर्थकों का 1994 में जो ग्रुप बनाया वो आज एक लिमिटेड कंपनी में बदल गया है और अब वो सिर्फ क्रिकेट कोय ही नहीं बल्कि अन्य खेलों के दीवानों को भी तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराती है। और उसके एक सदस्य ट्रम्पेट वादक बिली कूपर उर्फ बिली द ट्रम्पेट को भला कौन नहीं जानता होगा। और फिर सचिन के उस दीवाने का क्या जिसका नाम सुधीर कुमार गौतम है। जो अपने पूरे शरीर को तीन रंगों में रंग कर सचिन का नाम लिखकर तेंदुलकर के हर मैच में कई सौ किलोमीटर साईकल से ही तय कर लेता। उसे हर हाल में मैच के वेन्यू पर पहुंचना ही होता था भले ही बिना टिकट यात्रा करनी लड़े या चंदा करना पड़े।और फिर धोनी के उस दीवाने फैन को क्या कहें जो चंडीगढ़ का बाबूराम है। दरअसल ये सुपर फैंस ही हैं जो खेलों के सबसे गाढ़े रंग हैं। 

लेकिन इन सुपर फैंस का एक सुपर फैन हो तो उसका क्या। सुपर फैन विंसेंट नवार्रो अपरिसिओ। स्पेनिश फुटबॉल क्लब का अनोखा फैन। वेलेंशिया क्लब का मेम्बर नंबर 18। नवार्रो  साठ के दशक से अपनी मृत्यु की मृत्यु तक लगातार वेलेंसिया के हर मैच में उपस्थित रहा। सबसे बड़ी बात तो ये कि 54 साल की उम्र में रेटिना डिटैचमेंट की वजह से दृष्टिहीन हो जाने के बावजूद  उसने वेलेंसिया का कोई भी मैच नहीं छोड़ा। वो लगातार अपने बेटे के साथ मैच देखता। वेलेंसिया के घरेलू मैदान मेस्तला स्टेडियम के ट्रिब्यूना सेंट्रल सेक्शन के 15वीं पंक्ति की सीट न.164 की सीट पर बैठकर अपनी दृष्टिहीनता के बावजूद स्टेडियम के वातावरण और बेटे के आंखों देखे हाल से हर मैच का आनंद लेता। 2017 में वेलेंसिया के उस अनोखे फैन की मृत्यु हो गई। और तब क्लब ने उनके सम्मान में 2019 में उसकी उस सीट पर उज़की कांसे की मूर्ति स्थापित कर दी। 

बीते 10 मार्च को चैंपियंस लीग के प्री क्वार्टर फाइनल मैच के दूसरे चरण के मैच में वेलेंशिया क्लब अतलांता क्लब को अपने घरेलू मैदान मेस्तला स्टेडियम में होस्ट  कर रहा था। इस समय तक कोरोना का खतरा वाया इटली यूरोप में फैल चुका था। अब बहुत सारे खेल आयोजन रद्द होने लगे थे। इस मैच के बारे में निर्णय लिया गया कि मैच खाली स्टेडियम में खेला जाएगा। लेकिन मेस्तला स्टेडियम में ये संभव कैसे हो सकता था। सेंट्रल ट्रिब्यूना सेक्शन की 15वीं पंक्ति की सीट नंबर 164 पर वेलेंसिया टीम का अनोखा दीवाना नवार्रो  जो बैठा था। सच में उस मैच का नवार्रो एकमात्र दर्शक था जो अकेले किसी राजा की तरह उस मैच का आनंद ले रहा था।
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सुशोभित लिखते हैं 'जीवन ऐसी कहानियों का संकलन है'। और सच ये भी है कि खेल की ऐसी ही कहानियां खेल के खिलंदड़पने को संभाल कर रखती हैं।



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