Tuesday, 10 September 2019

राफा द ग्रेट



रविवार की रात को न्यूयॉर्क के आर्थर ऐश स्टेडियम में  33 साल के राफेल नडाल और उनसे 10 साल छोटे 23 साल के डेनिल मेडवेदेव जब यूएस ओपन के फाइनल में आमने सामने थे तो ये केवल एक फाइनल मैच भर नहीं था बल्कि समय के दो अंतरालों के बीच द्वंद था,बीतते जाते और और आने वाले के बीच रस्साकशी थी, पुराने और नए के बीच संघर्ष था,दरअसल ये अनुभव और युवा जोश के बीच का महासंग्राम था। आने वाले नए के पास पर्याप्त समय होने से उपजी बेपरवाही तो है पर स्वयं को स्थापित करने की आतुरता भी है लेकिन बीतते जाते पुराने में मुट्ठी से समय रेत की तरह फिसलते जाने के अहसास से उपजी अधीरता है। उसमें बीतते समय के साथ चीज़ों को दोनों हाथों से समेटते जाने की लालसा है और वो हर चीज़ को पूरे जोश और जूनून से समेट लेने की  चाहना है,लालसा है। दरअसल  एक खिलाड़ी के जीवन में 30 साल की उम्र एक ऐसी विभाजक रेखा है जहां से उसकी ढलान शुरू हो जाती है। और तब खिलाड़ी के भीतर शीघ्रातिशीघ्र बहुत कुछ सिद्ध करने का एक आग्रह पैदा होता है। कुछ खिलाड़ियों के भीतर का ये आग्रह आग बन जाती है और तब राफेल नडाल और रोजर फेडरर और हां जोकोविच जैसे खिलाड़ी खेल दुनिया को मिलते हैं।

जोकोविच(32साल),राफा(33साल)और फेडरर(38साल) तीनों ने मिलकर इस शताब्दी के 19 सालों में 55 ग्रेंड स्लैम अपने नाम किये हैं और इनमें से 13 खिताब 30 साल की उम्र के बाद। पिछले 12 ग्रैंड स्लैम इन तीनों ने ही जीते। इन 12 फाइनल मुक़ाबलों में केवल चार बार 1990 के बाद जन्मे खिलाड़ी फाइनल में चुनौती देने में सक्षम हुए पर हर बार उन्हें मुँह की खानी पड़ी। दरअसल इन तीनों खिलाड़ियों की प्रतिभा और अनुभव का आभामंडल इतना प्रकाशवान है कि जो भी उनकी तरफ नज़र भरकर देखता है उसकी आंखें इस कदर चुंधिया जाती हैं कि उसे कोई रास्ता ही नहीं सूझता और असफलता के बियावान में भटक जाता है।

तो बात कल के मैच की। ये फाइनल ग्रैंड स्लैम के सबसे शानदार मैचों में एक था। 4 घंटे 52 मिनट चले इस मैच की अवधि ही इस संघर्ष की तीव्रता और गहनता का वक्तव्य है। ये यूएस ओपन के फाइनल का दूसरा दूसरा सबसे लंबा मैच था। मेडवेदेव ने पहले ही गेम में ब्रेक पॉइंट लेकर अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए थे और तीसरे गेम में राफा की सर्विस ब्रेक भी कर दी। लेकिन अगले ही गेम में राफा ने मेडवेदेव की सर्विस ब्रेक कर दी तो लगा कि दर्शकों को कैसा शानदार मैच मिलने जा रहा है। हालांकि जब राफा ने पहले दो सेट जीत लिए तो लगा कि यहां भी कनाडा ओपन की कहानी दोहराई जाने वाली है जहाँ राफा ने फाइनल में मेडवेदेव को 6-3,6-0 से हरा दिया था। मैच समाप्ति के पश्चात इंटरव्यू में मेडवेदेव ने कहा कि कि इस स्टेज (दो सेट से पिछड़ने के बाद)पर आकर वे रनर्स अप स्पीच के बारे में सोचने लगे थे।यानी उस समय उन्हें लग गया था कि अब उनके पास कुछ खोने के लिए कुछ नहीं है और शायद इस निश्चिंतता ने ही उनके खेल को एक उचांई की और ले जाने में मदद की होगी और अगले दो सेट उन्होंने जीतकर बताया कि एक महीने के अंदर सेंट लॉरेंस नदी से लेकर हडसन नदी तक बहुत पानी बह चुका है और अब अब वे वो नहीं रहे जो मांट्रियल में थे।वे बेहतर तैयारी के साथ और हार्डकोर्ट पर 22-2 के इस साल के सबसे सफल खिलाड़ी के रूप में फ्लशिंग मीडोज पहुंचे थे। तभी तो 5वें और अंतिम सेट में 5-2 से पिछड़ने के बाद भी उन्होंने हार नही मानी और 5-4 के स्कोर के बाद 10वें गेम में ब्रेक पॉइंट लेकर स्कोर 5-5 कर ही दिया था कि राफा का अनुभव काम आया और अभी तक एकदम बराबरी को अपने पक्ष में मोड़ दिया। अंततः राफा ने 7-5,6-3,5-7,4-6,6-4 से मैच जीतकर एक इतिहास की निर्मिति की। हां इस मैच ने पुराने को बताया कि नए का आगमन बस कुछ समय का फेर है तो पुराने ने नए से कहा देखा पुराने को खारिज किया जाना कितना कठिन होता है।


जो भी हो 33 वर्ष की उम्र में राफा की 19वीं ग्रैंड स्लैम जीत अविस्मरणीय है जो फेडरर की सर्वाधिक 20 जीतों से एक कम है। जिस तरह से राफा अभी खेल रहे हैं आने वाले समय में वे कई और ग्रैंड स्लैम जीतने वाले हैं,ये तय है। दरअसल उन्होंने अपने खेल में समयानुरूप परिवर्तन किए हैं। समय की शानदार शिड्यूलिंग की है। और चोटों से उबर कर शानदार वापसी की है। 

जो भी हो राफा, फेडरर और जोकोविच ऐसे विशाल वटवृक्ष हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा और अनुभव की छांव से पूरे टेनिस जगत को इस तरह से घेर रखा है कि नवोदित खिलाड़ियों को उनकी छाया से बाहर आने और स्वयं को मजबूत दरख़्त बनाने में  लंबी जद्दोजहद करनी पड़ेगी।

फिलहाल तो राफा को 19वीं जीत मुबारक और ये भी कि जीत की संख्या की ये बाली (टीन)उम्र खत्म होने को है और इस संख्या को युवावस्था में पहुंचाने की अग्रिम शुभकामनाएं कबूल हों।

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