Tuesday 23 July 2019


पुसरला वेंकट सिंधु निसंदेह भारतीय बैडमिंटन की एक  बड़ी उपलब्धि हैं जिन्होंने बैडमिंटन को नई ऊँचाई तक पहुंचाया है। लेकिन अपनी तमाम खूबियों और विशेषताओं के बावजूद वे एक अपूर्ण खिलाड़ी हैं। उनके खेल में निरंतरता की बेहद कमी हैं। वे पैचेज में बेहतरीन खेलती हैं। वे एक दिन बहुत अच्छा खेलेंगी और अगले दिन उतना ही बुरा। वे अक्सर ही महत्वपूर्ण मुक़ाबले में हार जाती हैं। आप चाहें तो उन्हें चोकर कह सकते हैं।

अभी हाल ही में सम्पन्न इंडोनेशिया ओपन इसका बड़ा उदाहरण है। पहले दो मुक़ाबलों में अनसीडेड खिलाड़ियों के विरुद्ध संघर्ष करती दिखाई दीं।पहले राउंड में ओहोरी को 11-21,21-15,21-15से जीतीं तो दूसरे राउंड में ब्लिचफेल्ट को 21-19,17-21,21-11 से जीतीं। उसके बाद वे गज़ब का शानदार खेलीं। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने तीसरी सीड नोजोमो ओकुहारो को 21-14,21-7 से रौंद डाला। इतना ही नहीं उसके बाद सेमीफाइनल में भी उन्होंने दूसरी सीड चेन युफेई को भी आसानी से 21-19,21-10 से हरा दिया। और जब ये लगाने लगा कि अब वे इस साल का पहला खिताब जीत लेंगी तो फाइनल में बहुत ही आसानी से 15-21,14-21 से अकाने यामागुची से  हार गईं जिनसे  पिछले 4 मैच लगातार जीते थे।

शायद ये अपूर्णता ही सिंधु के खेल की खूबसूरती है कि तकनीकी के इस युग में वे मशीन नहीं बन सकीं।


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