ये दिल
अक्सर
तुम्हारे
अहसासों की मखमली दूब पर
विचरते हुए
आँखों से फैले उम्मीद के नूर में
मासूम खिलखिलाहट से निसृत राग भूपाली
सुनते हुए
होठों से झर कर
यहां वहां बिखरे शब्दों के
रेशमी सेमल फाहों को
चुनने में दिन यूँ
लुट जाता है
कि अभी तो बस एक लम्हा गुज़रा
और रात घिर आई
कि दिल के आसमां पर
तारों से टिमटिमाते सपनों की
महफ़िल सज गयी है
ये नादाँ दिल है
कि डूब डूब जाता है
बार बार
यादों के समंदर में ।
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ये हसीं रात हो के ना हो
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