इस बरसात.....
3.
इस बरसात
तेरी याद
आँखों से बरसी बन
कतरा कतरा।
4.
इस बरसात
तेरी याद में
इतनी बरसी आँखें
कि बेवफाई से लगे
जख्मोँ के समंदर भी
छोटे लगने लगे।
5.
ये सावन
तेरी यादों का ही तो घर है
यहां अक्सर वे बादलों की तरह घुमड़ती हैं
और बिछोह की अकुलाहट की उष्मा से
पिघल पिघल
बूँद बूँद बरसती है।
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