विंबलडन की नई रानी
'इतिहास अपने को दोहराता है' बहुत सारे लोग इस उक्ति को आंशिक सत्य ही मानते हैं क्योंकि ऊपर से समान दिखाई पड़ने के बावजूद दो घटनाएं अपनी मूल प्रकृति में काफी अलग होती हैं। लेकिन आज विंबलडन के सेंटर कोर्ट पर जो कुछ घट रहा था वो इस उक्ति को अक्षरशः सत्य सिद्ध कर रहा था।उस पर संयोग ये कि 23 साल पहले जो कुछ उस्ताद ने किया था उसे आज शागिर्द दोहरा रहा था। याद कीजिये 1994 का विम्बलडन। 37 वर्षीया चेक गणराज्य की मार्टिना नवरातिलोवा ओपन एरा में किसी ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुँचने वाली सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी थी जो अपना दसवां विंबलडन खिताब जीतने का दावा पेश कर रहीं थीं। उनके सामने थीं 22 वर्षीया स्पेन की कोंचिता मार्टिनेज़। कोंचिता ने नवरातिलोवा की हसरत पूरी नहीं होने दी। उन्होंने नवरातिलोवा को 6-4,3-6 ,6-3 से हराकर उनका सपना चूर चूर कर दिया।अनुभव पर युवा जोश भारी पड़ा था। आज एक बार फिर उसी सेंटर कोर्ट पर 37 वर्षीया अमेरिकी वीनस विलियम्स सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी के रूप में अपना छठवां विंबलडन खिताब जीत कर ना भुला देने वाली रोमानी दास्ताँ लिख देना चाहती थीं।उन्होंने अपना पिछला ग्रैंड स्लैम 9 साल पहले जीता था।उनके रास्ते में एक बाधा थी। एक बार फिर स्पेन की ही युवा 23 वर्षीया बाला गार्बिने मुगुरूजा।एक बार फिर किंवदंती बनाते बनते रह गयी। अनुभव जोश से हार गया और वीनस मुगुरुजा से। संयोग ये भी था कि मुगुरुजा के रेगुलर कोच सैम सुमिक विंबलडन में नहीं थे और उनकी कोच के रूप में काम कर रही थी कोंचिता। उस्ताद की निगेहबानी में शागिर्द उसी का कारनामा दोहरा रहा था। विंबलडन को एक नया चैम्पियन मिला और 'वीनस रोजवाटर डिश' चूमने वाले नए होठ और उठाने वाले दो हाथ। और हाँ ग्रैंड स्लैम के फाइनल में दोनों विलियम्स बहनों-सेरेना और वीनस को हारने वाली पहली खिलाड़ी भी।
दरअसल ये मुकाबला दो आक्रामक शैली वाले दो खिलाड़ियों के बीच था। अंतर उम्र का था। जिस समय वीनस ने पहला विंबलडन जीता था उस समय मुगुरुजा मात्रा 6 साल की थीं। जिस खिलाड़ी को वो खेलता देखते बड़ी हुई थीं आज उनसे दो दो हाथ करने को तैयार थी।दोनों की ताक़त बेसलाइन से तेज आक्रामक वॉली थी हांलाकि दोनों ही नेट पर भी समान रूप से खेल को नियंत्रित करने में सक्षम। पहले सेट में दोनों में कड़ा संघर्ष हुआ भी। 4-4 गेम जीत कर दोनों बराबरी पर। वीनस ने अपनी पांचवी सर्विस बरकरार रखी और मुरगुजा की पांचवी सर्विस पर दो ब्रेक पॉइंट हासिल किए। यहां वीनस चूक गयीं। मौके का फ़ायदा नहीं उठा पाईं। मुगुरुजा ने ना केवल दोनों ब्रेक पॉइंट बचाए बल्कि पांचवां गेम जीत कर 5-5 की बराबरी की। इसके बाद मुरगुजा के शानदार वोली और फोरहैंड शॉट्स और उनकी चपलता का वीनस के पास कोई जवाब नहीं था। अगले दो गेम जीत कर पहला सेट 7-5 से अपने नाम किया बल्कि अगलेसेट में लगातार तीन बार वीनस की सर्विस ब्रेक कर 6-0 सेट जीतकर चैंपियनशिप अपने नाम की।
निसंदेह इस जीत ने स्पेन वासियों की राफा की हार से मिली टीस को कुछ राहत पहुंचाई होगी। मुगुरुजा को बहुत बहुत बधाई।
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