घरौंदा
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समय रुका हुआ
अठखेलियां कर रहा है
धूप के शामियाने में
छाँव चांदनी सी बिछी है
ओस है कि दूब के श्रृंगार में मग्न है
गुलाब अधखिले से बहके है
सूरज की किरणें पत्तों के बीच से
झाँक रही हैं बच्चों की शैतानियों सी
सरसराती सी हवा है कि महका रही है फ़िज़ां
मस्ती में झूम रही है डाल
और पत्तों ने छेड़ी हुई है तान
चिड़ियाँ कर रही है मंगल गान
तितलियाँ बिखेर रहीं है रंग
कि शब्द
तैर रहे हैं फुसफुसाते से
कि कुछ सपने बस अभी अभी जन्मे है
कभी बिलखते कभी खिलखिलाते
किसी नवजात से
हाथ पैर चला रहे हैं
कि बस अभी दौड़ पड़ेंगे
दरअसल यहां एक घरौंदा है
और उसमें प्यार रहता है।
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ये तेरा घर ये मेरा घर
घर बहुत हसीं है.
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