मैं जानता हूँ
तुम्हारी ये छोटी छोटी गोल सी आँखे
ना तो नीली झील सी गहरी हैं
कि इनमें डूब जाऊं मैं
ना ही ये चंचल चितवन मृग नयन जैसी है
जिनसे प्यार में डूब सकूँ मैं
कमल दल जैसी भी नहीं हैं
कि पूजा कर सकूँ मैं
फिर भी बहुत खूबसूरत हैं तुम्हारी आँखें
उतर आता है खूं उनमें आज भी
हर बेजा बात पर
बचा हैं इनमें पानी
नहीं मरा है अभी तक
इन आँखों का पानी।
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