ना जाने
ये कब
और कैसे हो गया
मुठ्ठी में करते करते आसमां
आसमां सा जीवन
मुठ्ठी सा अदना हो गया
करते करते मुठ्ठी में जहाँ
ये जीवन
खाली मुठ्ठी सा
रीत गया।
ये खेल सत्र मानो कुछ खिलाड़ियों की दीर्घावधि से लंबित पड़ी अधूरी इच्छाओं के पूर्ण होने का सत्र है। कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते ...
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