Thursday 20 August 2015

इस बरसात





1.
इस बरसात  
तेरी याद में 
कैसा सील गया है मन
घर में रखे सामां की तरह 
बस इक ख्वाइश है 
तेरे दीदार की धूप की। 



2.

इस बरसात 
कम बरसे बादल 
पर तेरी याद में 
खूब बरसे नैना 
बस इतनी सी इल्तिज़ा है मेरी 
तू भी तो एक बार भीग 
यादों की बारिश में।



3.
इस बरसात 
तेरी याद में 
धुआँ धुआँ हुआ सीला मन 
और धीमे धीमे सुलगा 
भीगा तन। 

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