Tuesday, 2 September 2014

ईश्वर छुट्टी पर है





मैंने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया इन बिरला मंदिरों में 

किसी बिरला की मूर्ति है या नहीं। लेकिन ये बात पक्की है कि आजकल 

हर जगह अ, बि, टा, ही पूजे जा रहे हैं। सरकार से लेकर नौकरशाहों 

सबके मन में ये देवता ही विराजमान हैं। ये सर्वज्ञाता, सर्वव्यापक और 

सर्वशक्तिमान हैं।अब देखिये ना एक तरफ किसान भूख से मर रहा 

है,आत्महत्या कर रहा है । पर सरकारें हैं कि खाद, पानी, डीज़ल सब से 

सब्सिडी ख़त्म करना चाहती हैं। उनके अनुसार ये सब्सिडी देश के 

आर्थिक विकास में बाधक हैं । और दूसरी तरफ चीनी मिल मालिक हैं 

जिन्हें सरकार बड़े बड़े पैकेज दे रही हैं। उन्हें प्रति कुंतल २० रुपये की 

सब्सिडी भी कम पड़ रही है। ये लोग चीनी के अलावा ढेर सारे उप 

उत्पादों (by products)जैसे खोई, मैली, शीरे से लाखों करोड़ो कमा रहे 

हैं। फिर भी घाटे में हैं। सरकारों को इन पर चढ़ावा तो चढ़ाना ही है ।

आखिर भगवान तो ये ही है ना। किसान हज़ारों में क़र्ज़ लेकर बैंक और 

पुलिस कर्मियों के खौफ से आत्महत्या लेते हैं। सरकार द्वारा उनके कर्ज 

माफी से आर्थिक क्षेत्र में बर्बादी की सुनामी आ जाती है। पर अरबों खरबों 

का क़र्ज़ जान बूझकर ना चुकाने के दोषी घोषित होने के बावज़ूद वे किसी 

शानदार बीच पर कैलेंडर की शूटिंग कर रहे होते है या किसी लीग में 

अपनी टीम का मज़ा ले रहे होते हैं। आखिर भगवान जो ठहरे। मैं 

आस्तिक हूँ। ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास करता हूँ। पूजा भी करता हूँ 

और उपवास भी। और इसीलिये मानता हूँ कि ईश्वर या तो कहीं लम्बे 

अवकाश पर चले गए हैं या लम्बी तान कर सो गए हैं या फ़िर उन्हें 

मायोपिया हो गया है कि दूर की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई दे रही है।

और ईश्वर की खाली जगह इन भगवानों ने ले ली है।अन्यथा ईश्वर की 

सबसे अनुपम कृति इस दुनिया की ये दुर्दशा ना होती । 



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अकारज_22

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