वो जो सबसे शक्तिशाली है
मन के किसी कोने में सबसे बुझदिल है
उसे सताता है डर
हर पल
अपने जैसे ही किसी दूसरे के अपने मुक़ाबिल खड़े होने का
डरता है हर किसी से
ना जाने कौन सा निहत्था उसे कर दे निरुत्तर
ना जाने कौन सा बच्चा खड़ा हो जाए उसके ख़िलाफ़ लेकर हथियार
ना जाने कौन सा किसान छीन ले उसकी मुँह का निवाला
ना जाने कौन सा नागरिक छीन ले उसकी आज़ादी
ना जाने कौन सा शासक छीन ले उसकी सत्ता
गिराता है परमाणु बम
चलाता है ड्रोन से मिसाइलें
जलाता है तेल के कुँए
रोकना चाहता है आत्महत्या करते किसानों की सब्सिडी
करता है हवाई हमले मातृभूमि की मांग करते बच्चों और औरतों पर
बंद कर देना चाहता है अभिव्यक्ति के सारे साधन
चाहता है हर किसी को रौंदना
चाहता है कुचलना
कर देना चाहता है नेस्तनाबूद
मिटा देना चाहता है अस्तित्व
पर वो नहीं जानता
भस्मासुर भी नहीं बचा था
एक दिन
अपनी शक्ति के मद में चूर
वो भी उसी की तरह नाचेगा
अपने सर हाथ रखकर
और खुद ही भस्म हो जाएगा।
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